Hindi English Marathi Gujarati Punjabi Urdu
Hindi English Marathi Gujarati Punjabi Urdu

बकरीद पर क्यों दी जाती है कुर्बानी और क्या हैं इसके नियम?

Bakrid 2023: देशभर में बकरीद या ईद उल अजहा का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। लोग एक दूसरे को बकरीद की मुबारकबाद दे रहे हैं। बाज़ारो में रौनक है, गली -मुहल्ले गुलज़ार हैं। आइए आपको बताते बकरीद पर क्यों दी जाती है कुर्बानी और क्या हैं इसके नियम? इसलिए दी जाती है कुर्बानी !

- Advertisement -

 

 

 

 

इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, ईद उल अजहा का पर्व साल के आखिरी महीने यानी 12वें महीने में मनाया जाता है। ईद उल अजहा के पीछे कहानी यह है कि हजरत इब्राहिम को अल्लाह ने ख्वाब में हुक्म दिया था कि वह अपने प्यारे बेटे हजरत इस्माइल को कुर्बान कर दें। हजरत इब्राहिम के लिए यह एक इम्तिहान था, जिसमें एक तरह प्यारा बेटा और दूसरी तरह अल्लाह का हुक्म था।इब्राहिम ने अल्लाह का हुक्म मानते हुए अपने बेटे की कुर्बानी देने के लिए तैयार हो ग‌ए। जब हजरत इब्राहिम कुर्बानी दे रहे थे, तभी छुरी के नीचे एक मेमना आ गया और कुर्बान हो गया। इसके बाद से ही बकरे की कुर्बानी देने का दौर शुरू हुआ।

 

 

 

तीन हिस्सों में बांटी जाती है कुर्बानी

बकरे या जिस भी जानवर की कुर्बानी दी जाती है।उसके मांस के तीन हिस्से किए जाते हैं।कुर्बानी का पहला हिस्सा रिश्तेदारों और दोस्तों के लिए होता है।ईद पर गरीबों का भी ख्याल रखा जाता है।कुर्बानी का दूसरा हिस्सा गरीब और जरूरतमंद लोगों के लिए होता है। तीसरा हिस्सा घर परिवार के सदस्यों के लिए होता है।

 

 

 

कैसे जानवर की कुर्बानी से बचे?

बकरी ईद पर जिस जानवर की कुर्बानी दी जाती है उसकी उम्र एक वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए।कमजोर, बीमार या लंगड़े जानवर की कुर्बानी देने से बचना चाहिए।कुर्बानी के जानवर की आंख, कान, पांव और सींघ सही सलामत होने चाहिए।बकरी ईद के मौके पर हर मुसलमान जानवर की कुर्बानी देता है! (उपर्युक्त जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है,हम इसकी कोई पुष्टि नहीं करते हैं)

विज्ञापन बॉक्स (विज्ञापन देने के लिए संपर्क करें)

The specified carousel is trashed.

इसे भी पढे ----

वोट जरूर करें

क्या आपको लगता है कि बॉलीवुड ड्रग्स केस में और भी कई बड़े सितारों के नाम सामने आएंगे?

View Results

Loading ... Loading ...

आज का राशिफल देखें