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पुतिन के एक फैसले से दुनिया पर गहराया अनाज का संकट..!

Russia: पुतिन के एक फैसले से दुनिया पर गहराया अनाज का संकट रुसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक बार फिर अपने फैसले से दुनिया को चौका दिया। रूस की सरकारी मीडिया ने सरकार के हवाले से कहा कि उसने काला सागर अनाज सौदा रद्द कर दिया है। यूक्रेन ब्लैक सी यानी काला सागर के ज़रिए अनाज का सुरक्षित निर्यात कर रहा था लेकिन रूस अब इस समझौते से पीछे हट गया है। रूस के पीछे हटने से यह समझौता अब ख़त्म हो गया है। रूस के इस फैसले की आलोचना करते हुए वैश्विक नेताओं ने कहा कि इसका सबसे ज्यादा असर गरीब देशों पर पड़ सकता है।

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समझौते की शर्तों का नहीं किया पालन : रूस

रुसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन लम्बे समय से शिकायत करते रहे हैं कि रूस को अपने खाद्य पदार्थों और फ़र्टीलाइज़र निर्यात करने की अनुमति देने वाले समझौते के हिस्सों का पालन नहीं किया जा रहा है। उन्होंने खासतौर पर कहा कि इस समझौते की शर्त थी कि ग़रीब देशों को अनाज दिया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। रूस ने बार-बार ये शिकायत भी की है कि वो पश्चिमी प्रतिबंधों की वजह से अपने कृषि उत्पादों को निर्यात नहीं कर पा रहा है। पुतिन ने कई बार इस समझौते को तोड़ने की धमकी भी दी थी। सोमवार को अपनी इन्हीं शिकायतों को फिर से दोहराते हुए कहा कि पश्चिमी देशों ने ‘खुलेआम हमला किया है’ और अपने व्यावसायिक हितों को मानवीय उद्देश्यों से ऊपर रखा है।

 

यूक्रेन सूरजमुखी, मक्का, गेहूं और बाजरे का सबसे बड़ा निर्यातक देश

आपको बता दें अनाज निर्यात का ये समझौता बेहद अहम है क्योंकि यूक्रेन सूरजमुखी, मक्का, गेहूं और बाजरे का सबसे बड़ा निर्यातक देश है। फ़रवरी 2022 में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण और बंदरगाहों को घेरे जाने के कारण दो टन अनाज फस गया था और जिससे श्विक स्तर पर खाद्य पदार्थों के दाम बढ़ गए थे। साथ ही इसकी वजह से मध्य-पूर्व और अफ़्रीका के कई देशों में खाद्य संकट भी पैदा हो गया था क्योंकि ये देश यूक्रेन के अनाज पर निर्भर हैं। लंबे चले प्रयासों और तुर्की और संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता के बाद पिछले साल जुलाई में रूस और यूक्रेन के बीच अनाज निर्यात का ये समझौता हुआ था।

 

क्या कहना है वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की का?

अनाज निर्यात का सौदा रद्द होने के बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने कहा है कि उनका देश अनाज का निर्यात करते रहना चाहता है। उन्होंने रेखांकित करते हुए कहा कि ये समझौता एक जैसे दो समझौतों पर आधारित है, जिसमें से एक पर यूक्रेन और दूसरे पर रूस ने हस्ताक्षर किए हैं। ज़ेलेंस्की ने कहा हम डरे नहीं हैं। यूक्रेन की ग्रेन एसोसिएशन के अध्यक्ष निकोले गोर्बाचोव ने कहा कि उन्होंने वैकल्पिक रास्तों की पहचान की है, जिनमें डैन्यूब नदी पर बनें बंदरगाह भी शामिल हैं. हालांकि इन बंदरगाहों की क्षमता सीमित होगी और इनके ज़रिए अनाज निर्यात करना महंगा भी होगा।

 

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