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सांसदी जाने के बाद महुआ मोइत्रा पहुंची सुप्रीम कोर्ट !

तृणमूल कांग्रेस की नेता महुआ मोइत्रा लोकसभा सदस्यता खत्म होने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची गई है. उन्होंने याचिका दायर कर अपने खिलाफ एथिक्स कमिटी की सिफारिश और उसके बाद लोकसभा से प्रस्ताव पारित होने को गलत बताया है. ‘कैश फॉर क्वेरी यानी पैसे लेकर सवाल पूछने के मामले में महुआ के खिलाफ कार्रवाई करते हुए लोकसभा की उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई. उन्होंने अपने ऊपर लगे आरोपों से इनकार किया है.

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कैश फॉर क्वेरी’ यानी पैसे लेकर सवाल पूछने के मामले में महुआ के खिलाफ कार्रवाई करते हुए लोकसभा की उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई. उन्होंने अपने ऊपर लगे आरोपों से इनकार किया है. महुआ ने एथिक्स कमेटी के फैसले का भी विरोध किया और कहा कि इस बात के भी कोई सबूत नहीं हैं कि उन्होंने बिजनेसमैन हीरानंदानी से कैश लिया है.

 

 

 

महुआ ने एथिक्स कमेटी के फैसले के बाद कहा कि कमेटी के पास उनकी सदस्यता रद्द करने का कोई अधिकार नहीं है. उन्होंने ये भी कहा कि इस बात के भी कोई सबूत नहीं हैं कि उन्होंने बिजनेसमैन हीरानंदानी से कैश लिया है. इस आरोप को सबसे पहले बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने लगाया था, जिस पर कार्रवाई करते हुए ही महुआ की सदस्यता गई. महुआ ने ये भी कहा कि उन्हें हीरानंदानी और उनके पूर्व पार्टनर जय अनंत देहाद्रई के साथ सवाल-जवाब का भी मौका नहीं मिला. 

 

 

 

टीएमसी के टिकट पर पश्चिम बंगाल की कृष्णानगर सीट से जीतकर महुआ मोइत्रा पहली बार संसद पहुंची थीं. उन्हें शुक्रवार (8 दिसंबर) को संसद से निष्काषित किया गया. एथिक्स कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में पाया कि महुआ का आचरण अनैतिक और अशोभनीय रहा है. इसकी वजह से उन्हें निष्काषन का रास्ता साफ हो गया. इस दौरान विपक्ष ने काफी हंगामा भी किया. संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने लोकसभा में निष्कासन प्रस्ताव पेश किया, जिसे मंजूरी मिली और महुआ की सदस्यता चली गई. 

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