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Election Commissioner की नियुक्ति में Chief Justice की भूमिका होगी खत्म: सरकार ने राज्यसभा में पेश किया Bill..!

अब देश में मुख्य चुनाव आयुक्त (Chief Election Commissioner) की नियुक्ति में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की कोई भूमिका नहीं होगी। मोदी सरकार ने देश के मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति प्रक्रिया में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) की भूमिका खत्म किए जाने को लेकर एक विधेयक राज्यसभा में पेश कर दिया है। मतलब यह विधेयक एक बार पास हो गया, तो फिर चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के मामले में चीफ जस्टिस की भूमिका पूरी तरह से खत्म हो जाएगी।

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यही वजह है कि, विपक्ष ने इस विधेयक को मोदी सरकार की तानाशाही बताते हुए कहा है कि, यह सरकार अब चुनाव आयोग को भी कठपुतली बनाना चाहती है। आखिर क्या है यह विधेयक और क्यों हो रहा है इसका विरोध, इसके परिणाम कितने खतरनाक साबित होंगे।

CEC की नियुक्ति में CJI का न हो दखल

दरअसल, इस बिल के पास होने से देश के चीफ इलेक्शन कमिश्नर की नियुक्ति प्रक्रिया में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की भूमिका खत्म हो जाएगी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस बिल के लागू होने से पैनल से चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया हट जाएंगे। उनकी जगह पैनल में प्रधानमंत्री द्वारा नामित कैबिनेट मिनिस्टर को शामिल किया जाएगा। इसी बात को लेकर कांग्रेस हमलावर है। विपक्ष का सवाल है कि, पीएम द्वारा नामित कैबिनेट मिनिस्टर ही क्यों? विपक्ष की मांग है कि, इसके लिए एक निष्पक्ष आयोग का गठन क्यों नहीं हो रहा?

इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने मार्च में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया था, जिसका उद्देश्य मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को कार्यपालिका के हस्तक्षेप से बचाना था। कोर्ट ने आदेश दिया था कि इनकी नियुक्तियां प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश की सदस्यता वाली एक समिति की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा की जाएंगी।

न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने एक सर्वसम्मत फैसले में कहा था कि, यह मानदंड तब तक लागू रहेगा जब तक कि इस मुद्दे पर संसद द्वारा कानून नहीं बनाया जाता। लेकिन अब सरकार जो विधेयक ला रही है उससे एक बार फिर न्यायपालिका और कार्यपालिका में टकराव की स्थिति बनती दिख रही है। इस विधेयक के जरिए मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति में चीफ जस्टिस की भूमिका को पूरी तरह से खत्म करने की तैयारी है।

कांग्रेस ने इस विधेयक का किया कड़ा विरोध

विदित हो कि, चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडे अगली साल 14 फरवरी को सेवानिवृत्त हो जाएंगे। इसलिए अगले साल की शुरुआत में चुनाव आयोग में एक रिक्ति निकलेगी। उनकी सेवानिवृत्ति चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित 2024 लोकसभा चुनावों की संभावित घोषणा से कुछ दिन पहले होगी। पिछले दो मौकों पर आयोग ने मार्च में संसदीय चुनावों की घोषणा की थी।

इस बीच कांग्रेस ने इस विधेयक का कड़ा विरोध किया है। कांग्रेस के संगठन महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने कहा कि, यह चुनाव आयोग को पूरी तरह से प्रधानमंत्री के हाथों की कठपुतली बनाने का खुला प्रयास है।

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