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कभी कांग्रेस को खत्म कर उभरी थी बसपा, अब कांग्रेस के कारण ही खात्मे के कगार पर है मायावती की पार्टी

लोकसभा चुनाव 2024 का जनादेश सुनाया जा चुका है। इस चुनाव में भाजपा को उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में बड़ा झटका लगा है। लेकिन उससे बड़ा झटका बसपा सुप्रीमो मायावती को लगा है..I.N.D.I.A. और NDA से दूरी बनाकर अकेले चुनाव मैदान में उतरना बसपा को बहुत भारी पड़ा। गलत निर्णय के कारण बसपा अपने अब तक के सबसे खराब दौर में पहुंच गई है। एक भी सीट जीतना तो दूर, वह किसी भी सीट पर दूसरे नंबर पर भी नहीं रही। पार्टी का प्रदर्शन 1989 से भी खराब रहा, जब वह पहला चुनाव लड़ी थी। इस बीच अब यह भी बात सामने आ रही है कि कांग्रेस बसपा को पूरी तरह से खत्म कर सकती है। ऐसा क्यों कहा जा रहा है चलिए आपको आंकड़ों के साथ समझाते हैं। कैसे कांग्रेस के कारण बसपा पार्टी अब पूरी तरह से खत्म होने जा रही है तो वीडियो अंत तक देखिए और इसे समझिए।

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देखिए बसपा ने अपने पहले चुनाव में 9.90% वोट हासिल किए थे और दो सीटें भी जीती थीं। लेकिन इस बार चुनाव में बसपा को एक भी सीट नहीं मिली और वोट प्रतिशत गिरकर 9.14% रह गया। इस तरह बसपा न तो कोई सीट जीत सकी और न साख बचा सकी। तीन दशक पहले जिस बसपा के उठान के बाद से उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का पतन होता दिखाई दे रहा था , अब उसी कांग्रेस के ‘जिंदा’ होने से बसपा के सामने अस्तित्व बचाने का ‘खतरा’ है।

इस लोकसभा चुनाव के नतीजों को सीटवार देखने से लगता है कि संकट से जूझ रही बसपा को सबसे ज्यादा झटका कांग्रेस ने ही दिया है। कांग्रेस का जिन सीटों पर बेहतर प्रदर्शन रहा है, उनमें से 50 प्रतिशत से अधिक सीटों के पांच प्रतिशत मतदाताओ ने इस बार ‘हाथी’ का बटन नहीं दबाया। प्रदेश की 50 लोकसभा सीटों पर बसपा को दस प्रतिशत से भी कम वोट मिला है। इस बीच विधानसभा चुनाव में भी अब सपा-कांग्रेस के साथ रहने की घोषणा के बाद बसपा के भाजपा से हाथ मिलाने की भी चर्चा होने लगी है।

लोकसभा चुनाव में अकेले ही उतरने वाली बसपा के लिए फिर शून्य पर सिमटने से ज्यादा चिंता की बात यह है कि उसका दस प्रतिशत से अधिक जनाधार खिसक गया है। 80 में से 79 सीटों पर चुनाव लड़ी बसपा तीसरे-चौथे पायदान पर पहुंच गई। कहीं न कहीं माना जा रहा है कि बसपा का वोटबैंक सपा और कांग्रेस में बंट रहा है। इसका मतलब है कि एक समय कांग्रेस के लिए मुसीबत बनी बसपा के लिए अब कांग्रेस की सबसे बड़ी मुसीबत बन गई है।

2019 के चुनाव में सपा-रालोद से गठबंधन के कारण चलते 38 सीटों पर लड़कर दस सीट जीतने वाली बसपा 27 सीटों पर दूसरे स्थान पर रही थी। वर्ष 2014 में भी कोई सीट न आने पर भी बसपा 34 सीटों पर दूसरे स्थान पर रही थी। बसपा का वोट बैंक भी 19 प्रतिशत से अधिक बना रहा, लेकिन इस चुनाव में घटकर 9.39 प्रतिशत ही रह गया है। सीटवार नतीजे देखने से साफ़ है कि बसपा को 17 सीटों पर पांच फीसद से भी कम वोट मिला है.इनमें आठ सीटें ऐसी हैं जहां कोंग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन करने के साथ ही रायबरेली, बाराबंकी, अमेठी और इलाहाबाद सीटें जीत भी ली हैं। ऐसे में साफ है कि आने वाले दिनों में अगर कांग्रेस और मजबूत होती है तो फिर मायावती और उनकी पार्टी की मुश्किलें यूपी में ज्यादा बढ़ जाएंगी। बल्कि कई राजनीतिक विश्लेषक तो यहां तक दावा कर रहे हैं कि आने वाले दिनों में बसपा का अस्तित्व भी खत्म हो सकता है। दलित नेता के रूप में चंद्रशेखर रावण का उभार कहीं न कहीं बसपा के लिए एक और बड़ी चुनौती है। अब देखना दिलचस्प होगा कि इन चुनौतियों से मायावती कैसे निपटती हैं। आपको क्या लगता है कांग्रेस यूपी में बसपा को खत्म कर देगी या बसपा वापसी कर सकती है, कमेंट करें।

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