Hindi English Marathi Gujarati Punjabi Urdu
Hindi English Marathi Gujarati Punjabi Urdu

राहुल के लिए समय मुश्किल मगर विपक्ष के लिए अवसर: शकील अख्तर

कर्नाटक के मामले में गुजरात की कोर्ट से फैसला हुआ और अगले दिन ही लोकसभा ने एक दिन पहले की तारीख से सदस्यता रद्द कर दी। राहुल कुछ बोले नहीं। मगर आरोप यह है कि विदेशों से बुलवा रहे हैं। गालिब के एक शेर का हिस्सा है बुत हमसें कहें काफिर! अमेरिका में जाकर ट्रंप का प्रचार हमारे प्रधानमंत्री ने किया था।

- Advertisement -

 

अन्तरराष्ट्रीय जगत आश्चर्य में पड़ गया था कि, दुनिया के गुटनिरपेक्ष देशों का नेता भारत किसी देश में जाकर वहां राजनीतिक गुटबाजी में पड़ गया। उससे पहले 2015 में यह भी हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी ने ही कहा था कि, 2014 से पहले भारत में पैदा होना शर्म बात थी। यह भी विदेश में ही कहा गया था। सिओल में मगर इल्जाम कांग्रेस पर है राहुल पर है कि, वह विदेशो से अपनी सदस्यता पर विदेशी नेताओं के बयान दिलवा रहे हैं।

 

राहुल की कोई एक भी अपील बयान ऐसा नहीं है, जिसमें उन्होंने विदेशी ताकतें तो क्या कांग्रेस के कार्यकर्ताओं से भी कहा हो कि विरोध करो। राहुल ने यह जरूर कहा कि मेरे उपर लोकसभा में जो चार मंत्रियों ने गलत आरोप लगाए हैं कि, मैंने इंग्लेंड में विदेशियों से कुछ मांगा तो वह बिल्कुल गलत है। लोकसभा में आरोप लगे तो मेरा सदस्य के तौर पर अधिकार था कि मैं उसका जवाब देता। मैंने लोकसभा अध्यक्ष को लिखा, उनसे मिलने गया मगर मुझे जवाब देने के अधिकार से वंचित रखा गया। और अब तो सदस्यता भी ले ली गई।

 

अभी कांग्रेस के प्रवक्ता और सांसद शक्ति सिंह गोहिल ने एक प्रेस कान्फ्रेंस करके दस्तावेजों के साथ बताया कि गुजरात के सांसद नारायण भाई काछड़िया को एक दलित डाक्टर को इमरजेन्सी ड्यूटि में मारने पीटने, जातिगत गालियां देने और जान से मारने की धमकी के आरोप में तीन साल की सज़ा हुई। लोकसभा को सूचना दी गई। मगर कुछ नहीं हुआ। काछड़िया हाई कोर्ट गए मगर वहां भी सज़ा रद्द नहीं हुई। तब भी लोकसभा ने कुछ नहीं किया। फिर सुप्रीम कोर्ट गए।

वहां सर्वोच्च अदालत ने उनसे कहा कि डाक्टर से माफी मांगें, उसे पांच लाख का हर्जाना दें। यह करने के बाद उन्हें रिलिफ दिया गया। लेकिन यह सारा प्रोसेस महीनों चलता रहा उनकी सदस्यता नहीं गई। और इधर आज सूरत कोर्ट का फैसला आया और अगले दिन लोकसभा ने उनकी सदस्यता खत्म कर दी। संविधान का आर्टिकल 14 कहता है कि कानून के सामने सब बराबर हैं। मगर राहुल के मामले में लोकसभा का एक फैसला और भाजपा सांसद के मामले में दूसरा।

 

मगर यह सवाल कहीं नहीं आया। किसी टीवी डिबेट में नहीं। किसी अख़बार में नहीं। जबकि गोहिल ने प्रेस कान्फ्रेंस करके अदालत के निर्णयों की प्रतियां बांटकर यह तथ्य सामने रखे हैं। मगर मीडिया ने अपनी आंख और कान बंद कर लिए। न्यूज चैनलों की हालत यह हो गई कि, एक माफिया डान को लघुशंका करते हुए दिखा रहे हैं। बिग ब्रेकिंग की घोषणा के साथ। पहली बार हमारे यहां के गर्व के साथ।

रिपोर्टरों और कैमरामैनों को स्टूडियो से डांटते हुए कि सामने से क्यों नहीं दिखाया। उसके चेहरे पर आए डर के भाव तो दिखे ही नहीं। रिपोर्टर और कैमरामेन तो फुट सोल्जर ( सेना के अग्रिम दस्ते, सबसे पहले पहुचंने और लड़ने वाले, जाबांज सिपाही) होते हैं। हमेशा मैदान में। हर मुश्किल का सामना करते हुए केवल और केवल खबर के लिए। मगर कभी कभी उनके सब्र का बांध टूट भी सकता है। कह सकते हैं कि हुजूर इतने काबिल तो आप ही लोग हैं जिन्हें सामने से कवर करने का ग्रेट आइडिया आता है। आप ही वह महान लोग हैं जो टीवी को आज इस स्थिति तक लाए हैं।

 

मगर ऐसा कह भी दें तो टीवी के इन संपादकों एंकरों पर कुछ फर्क नहीं पड़ता है। अभी एक सबसे बड़े चैनल के संपादक और उसकी टाप एंकर आपस में एक दूसरे का इंटरव्यू कर रहे थे। चैनल पर। लोगों को जवाब देने के लिए। उसमें कहा कि हमें कोई पत्रकारिता नहीं सिखाए। ऐरोगेन्स बढ़ती जा रही है। अब अगर आप गोदी मीडिया लिख दो लड़ने आ जाती हैं। आप लाख कहो कि हमने आप का नाम कहां लिखा तो कहती हैं बेवकूफ समझ रखा है हमें मालूम नहीं है कि गोदी मीडिया कौन है।

ग्रेट आर के लक्ष्मण का एक कार्टून याद आ जाता है जिसमें एक व्यक्ति को पुलिस पकड़ लेती है क्योंकि वह कह रहा है लोकतंत्र का दमन, तानाशाही की आहट! वह आदमी कहता है कि जनाब मैं पड़ोसी देश के शासक के लिए बोल रहा हूं। पुलिस कहती है बेवकूफ समझ रखा है हमें मालूम नहीं है कि लोकतंत्र पर खतरा कहा है।

आज स्थिति बहुत गंभीर है। देश छोड़कर गया ललित मोदी राहुल को ब्रिटेन की अदालत में मुकदमा दायर करने की धमकियां दे रहा है। कांग्रेस के मीडिया डिपार्टमेंट के चैयरमेन पवन खेड़ा ने सवाल उठाया है कि क्या नीरव मोदी, मेहूल चोकसी, विजय माल्या पर भी राहुल गांधी पर केस करने का दबाव डाला जाएगा?

कुछ भी हो सकता है। निर्भया के बलात्कारियों के परिवार वालों से भी कोई केस करवा सकता है कि राहुल के ज्यादा निर्भया के परिवार की मदद करने के कारण ही उनके परिजनों को फांसी हुई। राहुल ने निर्भया के भाई को पायलट बनावकर उसका सशक्तिकरण किया। अगर निर्भया के परिवार को दबा कर रखा जाता। जैसा बाद में बाकी मामलों में हुआ उन पर ही उल्टे आरोप लगाए जाते तो हमारे लोग भी बच सकते थे। उनके बाद कितने बलात्कार और हत्या के एक से एक भयानक मामले आए। मगर किसी में फांसी नहीं हुई।

 

आज कुछ भी हो सकता है। राहुल की एसपीजी वापस ली गई। लोकसभा सदस्य या सांसद न रहने के बावजूद गुलाम नबी आजाद, लालकृष्ण आडवानी, मुरली मनोहर जोशी के पास सरकारी आवास बने हुए हैं। मगर जिसके पिता और दादी को आतंकवादियों ने मार दिया हो और खुद उन पर हमेशा खतरा मंडराता रहता हो उनसे एक महीने में सरकारी आवास खाली करने को कह दिया गया है। राहुल ने नोटिस का जवाब देते हुए कहा कि वे खाली भी कर देंगे। कोई मसला नहीं है।

उन्हें नहीं है। मगर उनकी सुरक्षा को है। सुरक्षा से जुड़े अधिकारी कहते हैं कि किसी प्राइवेट किराए के मकान में सुरक्षा देना बहुत मुश्किल है। उनकी चिताएं अपनी जगह हैं। मगर उससे आगे की एक चिंता और है वह है इस कम की गई सुरक्षा को भी और कम किए जाने या हटा भी दिए जाने को लेकर।

कुछ भी हो सकता है। जब कर्नाटक के मामले में गुजरात कोर्ट का फैसला आ सकता है। अधिकतम दो साल की सज़ा हो सकती है। जो आज तक मानहानि में किसी को नहीं हुई। जब से आईपीसी बनी है। 1860 से। जोड़ते रहिए कितने साल हो गए। मगर इसकी धारा 504 में कभी किसी अदालत ने अधिकतम सज़ा दो साल नहीं सुनाई है। वजह यह पिटि ( मामूली) क्राइम में आता है मेजर में नहीं। लेकिन यहां अदालत ने उस सीमा तक सज़ा सुनाई जिससे उनकी सदस्यता रद्द हो सके।

इस मामले में बहुत पेंच हैं। एक तो सबसे बड़ा यही है कि अपराध कर्नाटक में हुआ है। मामला गुजरात में चला। शिवसेना के संजय राउत ने इस पर बहुत हिला देने वाली टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि क्या बोलें? गुजरात में फैसला हुआ है। दूसरा आज फैसला हुआ। 168 पेज का पैसला। गुजराती में। और अगले दिन उसका अंग्रेजी ट्रांसलेशन लोकसभा पहुंच गया?

राहुल के लिए यह समय मुश्किल है। मगर जैसा कि खुद राहुल ने कहा कि मोदी जी धन्यवाद आपने यह हमें गिफ्ट दे दिया। विपक्षी एकता का। आज सब साथ आ गए हैं। ममता, केजरीवाल, अखिलेश, केसीआर सब। यह मौका है। और आखिरी! इस बार भी अगर विपक्ष कामयाब नहीं हुआ तो फिर उसका अस्तित्व भी बचेगा या नहीं कहना मुश्किल है।

 

लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं यह उनके निजी विचार हैं।

विज्ञापन बॉक्स (विज्ञापन देने के लिए संपर्क करें)

इसे भी पढे ----

वोट जरूर करें

क्या आपको लगता है कि बॉलीवुड ड्रग्स केस में और भी कई बड़े सितारों के नाम सामने आएंगे?

View Results

Loading ... Loading ...

आज का राशिफल देखें