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मथुरा के कोकिलावन में बनेगा इको टूरिज़्म जोन, शनिदेव के साथ होने दुर्लभ पक्षियों के दर्शन।

मथुरा के कोसीकलां के पास एक शनिदेव मंदिर है। जिसके समीप में आरक्षित वन क्षेत्र कोकिलावन में इको टूरिज़्म जोन विकसित किया जाएगा। इस क्षेत्र की जमीन में नमी होने के कारण यह दुर्लभ पक्षियों के लिए उपयुक्त स्थान है। जिस कारण हर साल हजारों मील से दूर से पक्षी यहां एकत्रित होते हैं। जिस कारण यहां इको टूरिज़्म जोन विकसित किया जा रहा है। टूरिज़्म जोन बनने के बाद पर्यटक और श्रद्धालु शनिदेव के दर्शन के साथ-साथ दुर्लभ पक्षियों को भी निहार सकेंगे।

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इको टूरिज्म जोन बनने से यूपी पर्यटन को होगा काफी फायदा।

मथुरा धार्मिक क्षेत्र होने के कारण यहां श्रद्धालुओं का ताता लगा रहता है। देश के विभिन्न स्थानों से लोग यहां बाके-बिहारी के दर्शन के लिए आते हैं। ऐसे में यहां इको टूरिज्म जोन बनने से यूपी पर्यटन को काफी फायदा होगा। यह टूरिज्म जोन कोसीकलां के समीप शनिदेव मंदिर के पास के कोकिलावन क्षेत्र में विकसित किया जायेगा। बता दें, यहां की जमीन बहुत अधिक नमी वाली है। जो इसे बाहरी दुर्लभ पक्षियों के लिए काफी अनुकूल बनाता है। यहां इको टूरिज्म जोन बनने से यह पर्यटकों को काफी अलग अनुभूति कराएगा। जहां पर्यटक शनिदेव के दर्शन के साथ ही इस वन क्षेत्र में सैर करते हुए दुर्लभ पक्षियों को भी देख पाएंगे।

बताया जा रहा है कि मंदिरों के खुलने और बंद होने के समय के बीच में दोपहर का समय खाली रहता है। ऐसे में श्रद्धालु खाली समय में इस इको जोन में भ्रमण कर सकेंगे। यानी ब्रज में मंदिरों के दर्शन के साथ ही साथ श्रद्धालु-पर्यटकों के पास एक और विकल्प भी होगा। इको टूरिज्म जोन का प्रस्ताव उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद को तरफ से भेजा गया है। इसकी कार्यदायी संस्था वन विभाग होगा।

 

मध्यएशिया एवं यूरोप से हजारों की संख्या में आते हैं प्रवासी पक्षी

मथुरा में साइबेरिया, अलास्का, मंगोलिया, ताजकिस्तान, रूस, फ्रांस, जर्मनी समेत मध्य एशिया एवं यूरोप से प्रवासी पक्षियों का आगमन होता है। दिसंबर और जनवरी माह में मथुरा में साइबेरियन पक्षी आते हैं। भारत आने के लिए ये पक्षी करीब 4 हजार किलोमीटर से ज्यादा का सफर तय करते हैं। ये सफर पक्षी हजारों की संख्या में उड़ कर तय करते हैं। भारत आने पर ये पक्षी सबसे पहले महाराष्ट्र के बारामती में स्थित हाबिक बर्ड सेंचुरी में एकत्रित होते हैं। जिसके बाद ये मथुरा समेत भारत में अलग-अलग जगहों में जाते हैं। कोकिलावन में इको टूरिज्म जोन विकसित करने में करीब 4.09 करोड़ रुपये की लागत आएगी।

 

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