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मध्य प्रदेश चुनाव: ये राजा-महाराजा भी मैदान में, इन रियासतों की किस्मत लगी है इस बार दांव पर

मध्य प्रदेश में सियासी सरगर्मी काफी तेज हो गई है। जैसे जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे ये सरगर्मी भी बढ़ रही है। चुनाव के लिए बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने अपने ज्यादातर उम्मीदवार तय कर दिए हैं। इन सूचियों में कई ऐसे नाम हैं, जिनका ताल्लुक राजघरानों से भी है। इसका मतलब ये है कि इस चुनाव में कई राजघरानों की किस्मत भी दांव पर लगी है।

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इस सूची में दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन और उनके भाई लक्ष्मण सिंह जैसे चर्चित नाम हैं। मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव राघोगढ़ राजपरिवार दो सदस्य अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। कांग्रेस ने राघोगढ़ से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह को उम्मीदवार बनाया है। वहीं चचौड़ा से पार्टी ने दिग्विजय के भाई लक्ष्मण सिंह को मैदान में उतारा है।

राघोगढ़ रियासत से ये हैं मैदान में

राघोगढ़ ब्रिटिश राज में ग्वालियर रेजीडेंसी की एक रियासत हुआ करती थी। इसकी स्थापना 1673 में लाल सिंह खीची ने की थी। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के पिता बलभद्र सिंह-II इस राजघराने के अंतिम शासक रहे। चुरहट रियासत से आने वाले दिग्गज कांग्रेसी अजय सिंह राहुल चुरहट विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। उनके पिता अर्जुन सिंह मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। इसके अलावा अर्जुन सिंह ने पंजाब के राज्यपाल और केंद्र में मंत्री की भी जिम्मेदारी निभाई है। अर्जुन सिंह के पिता शिव बहादुर सिंह चुरहट के 26वें राव थे। चुरहट रीवा राजपरिवार की एक शाखा हुआ करती थी।

 

देवास राजघराने से कौन है मैदान में

देवास राजघराने से ताल्लुक रखने वाली गायत्री राजे पंवार को देवास विधानसभा सीट से टिकट दिया गया है। गायत्री राजे अभी इस सीट से विधायक भी हैं। उनका विवाह देवास के दिवंगत महाराजा वरिष्ठ तुकोजी राव पवार से हुआ था। देवास राजवंश के महाराज तुकोजीराव चतुर्थ विक्रमादित्य के राजवंश से संबंध रखते थे। उनके पूर्वजों ने 250 वर्षों तक देवास राजघराने पर शासन किया।

 

रीवा राजघराने से कौन हैं मैदान में

रीवा राजघराने से आने वाले दिव्यराज सिंह को रीवा जिले की सिरमौर विधानसभा से टिकट मिला है। दिव्यराज अभी सिरमौर सीट से ही भाजपा के विधायक हैं। उनके पिता और पुष्पराज सिंह भाजपा और कांग्रेस दोनों से रीवा से विधायक रह चुके हैं। पुष्पराज सिंह मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। पुष्पराज सिंह के दादा गुलाब सिंह ब्रिटिश राज में रीवा राज्य के अंतिम आधिकारिक शासक थे।

 

मकड़ाई रियासत  से ये हैं मैदान में

भाजपा ने हरसूद सीट पर मंत्री कुंवर विजय शाह काे उतारा है। वहीं टिमरनी से भाजपा ने विजय शाह के भाई संजय शाह को टिकट दिया है। दोनों का मकड़ाई राजघराने से नाता है। विजय ने भाजपा के टिकट पर पहला विधानसभा चुनाव 1990 में लड़ा था। वर्तमान में विजय शाह शिवराज सरकार में कैबिनेट वन एवं पर्यावरण मंत्री हैं। मकड़ाई रियासत से विजय शाह प्रदेश में मंत्री हैं। वहीं टिमरनी से संजय शाह वर्ष 2008 से जीत रहे हैं। 2018 के चुनाव में टिमरनी से संजय शाह ने कांग्रेस उम्मीदवार और अपने भतीजे अभिजीत शाह को हराया था। विजय शाह के एक भाई अजय शाह कांग्रेस में हैं।

मकड़ाई रियासत के अंतिम शासक देवी शाह थे। इस रियासत की स्थापना 16वीं शताब्दी में राज गोंड राजा कर्कट राय ने 1663 में की थी। 1947 में भारतीय स्वतंत्रता के बाद यहां के शासक भारत संघ में शामिल हो गए और रियासत को मध्य प्रदेश राज्य में शामिल कर लिया गया। 2012 तक मकड़ाई के नामधारी महाराजा राजा अजय शाह हैं।

 

अमझेरा राजघराना
राजवर्धन सिंह दत्तीगांव को धार जिले की बदनावर सीट से उम्मीदवारी थमाई गई है। अमझेरा राजघराने से ताल्लुक रखने वाले राजवर्धन शिवराज सरकार में उद्योग नीति और निवेश प्रोत्साहन मंत्री की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। स्थानीय  लोग उन्हें दत्तीगांव जागीर के नामधारी मुखिया या दत्तीगांव के महाराजा या राव साहब के नाम से बुलाते हैं। राजवर्धन चार बार से बदनावर के विधायक हैं।

राजवर्धन सिंह दत्तीगांव महराणा बख्तावर सिंह से वंशज हैं। दरअसल, महराणा बख्तावर सिंह अमझेरा कस्बे के शासक थे, जिन्होंने 1857 की क्रांति में अंग्रेजों से संघर्ष किया। अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों के खिलाफ सन 1857 में झांसी, ग्वालियर, उत्तरप्रदेश के विद्रोह की हवा मालवा में भी आई। धार से 30 किमी दूर अमझेरा में तब बख्तावर सिंह का राज था।

 

ग्वालियर राजघराना 
ग्वालियर ऐसा राजघराना है जिसके सदस्य मध्य प्रदेश और राजस्थान से लेकर केंद्र तक की सियासत में हैं। राजस्थान की झालरापाटन सीट से भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को टिकट थमाया है। दो बार की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया राजघराने से ताल्लुक रखती हैं। उनके भतीजे ज्योतिरादित्य सिंधिया केंद्र में मंत्री हैं, जबकि बहन यशोधरा राजे सिंधिया शिवराज सरकार में मंत्री हैं।
आजादी के पहले ग्वालियर पर सिंधिया राजाओं का राज हुआ करता था। वसुंधरा के पिता जीवाजीराव सिंधिया ग्वालियर राज्य के अंतिम आधिकारिक शासक थे।

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