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Electoral Bond: इलेक्टोरल बॉन्ड की वजह से BJP की बजी बैंड, चंदा दो ,धंधा लो – कांग्रेस नेता जयराम रमेश

लोकसभा चुनाव 2024 का बिगुल बज चुका है ऐसे में चुनाव से ठीक पहले ही इलेक्टोरल बांड्स के मुद्दे ने बीजेपी की बैंड बजा दी है , बीजेपी की कलई खुल सी गई है सुप्रीम कोर्ट की तल्ख़ टिप्पणियों ने बीजेपी सहित एसबीआई और चुनाव आयोग को कटघरे में खड़ा कर दिया है ! इलेक्टोरल बॉन्ड की वजह से बीजेपी की आम जनता में थू – थू हो रही है !

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सुप्रीम कोर्ट के सख़्त आदेश के बाद स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने चुनाव आयोग को इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी जानकारी उपलब्ध करा दी है। निर्वाचन आयोग की तरफ से इस डेटा को अपनी वेबसाइट पर भी अपलोड किया जा चुका है जिसके चलते चुनावी चंदे को लेकर खूब बवाल मचा हुआ है, क्योंकि बीजेपी को चुनावी बॉन्ड का जबरदस्त चंदा मिला है, जिसे सुनकर आपके भी होश उड़ जाएंगे। दरअसल, ये चुनावी चंदा 1-2 करोड़ का नहीं है, करीब 6 हजार करोड़ का बताया जा रहा है।

 

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने चुनाव आयोग को इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी जानकारी उपलब्ध करा दी है। निर्वाचन आयोग की तरफ से इस डेटा को अपनी वेबसाइट पर अपलोड किया जा चुका है। डेटा के अनुसार इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिये बीजेपी को सबसे अधिक चंदा मिला है। डेटा के सामने आने के बाद विपक्ष इस मुद्दे को लेकर बीजेपी पर हमलावर है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल तो इससे सबसे बड़ा घोटाला बता रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने इस मामले में एसआईटी जांच की भी मांग कर दी है। वहीं, कांग्रेस की तरफ से इसे कथित रूप से दुनिया का सबसे बड़ा एक्सटॉर्शन रैकेट बताया जा रहा है। दूसरी तरफ बीजेपी की तरफ से इस चुनावी चंदे में पारदर्शिता की बड़ी पहल करार दिया जा रहा है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब इलेक्टोरल बॉन्ड पर रोक लग चुकी है।

 

 

इसके साथ ही प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री और केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पति परकला प्रभाकर ने चुनावी बांड के विवादास्पद मुद्दे पर अपने विचार व्यक्त करते हुए सुझाव दिया है कि, आगामी लोकसभा में इसका सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा।
प्रभाकर ने कहा कि, चुनावी बांड का मामला अपनी वर्तमान स्थिति से आगे और भी महत्वपूर्ण हो जाएगा और कहा कि, जनता को तेजी से एहसास हो रहा है कि, ये न केवल भारत का बल्कि दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण “घोटाला” बताया जा रहा है। इतना ही नहीं प्रभाकर ने भविष्यवाणी की है कि, इस मुद्दे के परिणामस्वरूप सरकार को गंभीर चुनावी परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।

 

 

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर बीजेपी और केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने कहा- “पिछले कुछ दिनों में इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी भरपूर तरीके से आई है। सभी को ये जानकारी मिली है कि, कितना इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदा गया है और कितना बेचा गया है और वो किस-किस पार्टी को दिया गया है। बीजेपी सरकार ने निजी कंपनियों का सिर्फ इस्तेमाल किया है। हमारा निशाना कोई प्राइेट कंपनी है, हमारा निशाना बीजेपी सरकार है और प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने इस इलेक्टोरल बॉन्ड को सोचा और इसे अंतिम रूप दिया।

चंदा दो-धंधा लो, ठेका लो-घूस दो’-जयराम रमेश

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि, “बीजेपी ने चार तरीके से घोटाला किया है, पहला रास्ता है चंदा दो धंधा लो, यह प्रीपेड घूस है। दूसरा रास्ता है ठेका दो घूस दो, ये पोस्टपेड घूस है। तीसरा रास्ता है हफ्ता वसूली और ये पोस्ट रेड है। इसका मतलब साफ़ है कि, पहले ईडी, सीबीआई, इनकम टैक्स को कंपनी के खिलाफ छोड़ो और उससे बचने के लिए ये कंपनियां इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदेंगी और बीजेपी को चंदा देगी।” ‘फर्जी कंपनियों का इस्तेमाल किया गया’

 

 

वहीँ जयराम रमेश ने चौथा रास्ता फर्जी कंपनियों, सेल कंपनियों का अपनाया गया है। साल 2014 में प्रधानमंत्री बार-बार लंबे-चौड़े भाषण करते थे कि मैं फर्जी कंपनियों को बंद कर दूंगा, लेकिन इस इलेक्टोरल बॉन्ड घोटाले में फर्जी कंपनियों के भरपूर इस्तेमाल किया गया है। PM ने बीजेपी की नीवं को हिला कर रख दिया है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, बड़े तौर पर 38 कॉरपरेट ग्रुप हैं, जिन्हें पिछले 6 महीने में मोदी सरकार से 179 कॉन्ट्रैक्ट मिले हैं। इन्हीं 38 ग्रुप ने 2000 करोड़ रुपये का बॉन्ड को खरीदा है।

 

 

कांग्रेस नेता जयराम रमेश के साथ-साथ राहुल गांधी का कहना है कि, वसूली रैकेट कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की ओर से लाई गई चुनावी बॉन्ड योजना को ‘दुनिया का सबसे बड़ा ‘एक्सटॉर्शन रैकेट’ (जबरन वसूली गिरोह)’ बताया है।इतना ही नहीं राहुल ने इस स्कीम को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘दिमाग की उपज’ का करार दे दिया है। राहुल इतने पर ही नहीं रुके। उन्होंने आगे कहा कि, यह कॉर्पोरेट भारत से एक आपराधिक जबरन वसूली है।

 

 

राहुल ने आरोप लगाया कि, हर एक कॉर्पोरेट ये जानता है कि कॉन्ट्रैक्ट दिए जाने के महीनों बाद, कंपनियों ने बीजेपी को चुनावी बॉन्ड के जरिये दान दिए हैं। सीबीआई, ED मामले दर्ज करती है और फिर कॉरपोरेट बीजेपी को पैसा देते हैं। इस योजना का उद्देश्य कॉरपोरेट्स को गुमनाम रूप से धन दान करने की अनुमति देना था। राहुल ने कहा कि, विपक्षी सरकारों को गिराने, शिवसेना और एनसीपी जैसी पार्टियों को तोड़ने के लिए धन इलेक्शन बॉन्ड के जरिये प्राप्त किया गया था।

 

 

वहीं दूसरी तरफ गृह मंत्री अमित शाह की प्रतिक्रिया भी सामने आई है, उन्होंने कहा है कि, इलेक्टोरल बॉन्ड को राजनीति से काले धन की भूमिका ख़त्म करने के लिए लाया गया था और सुप्रीम कोर्ट को इस बॉन्ड को असंवैधानिक क़रार देने के बजाय इसमें सुधार लाने की कोशिश करनी चाहिए।

 

 

बातचीत के दौरान चिदंबरम ने कहा कि, इलेक्टोरल बॉन्ड लोकसभा में बीजेपी को दूसरी राजनीतिक पार्टियों के मुकाबले बेहतर स्थिति में रखेगा क्योंकि वो प्रचार पर ज्यादा पैसा खर्च कर सकेगी। उन्होंने कहा, ”जिन्होंने बॉन्ड ख़रीदे हैं, उन सबके सरकार के साथ नज़दीकी रिश्ते रह चुके हैं। खनन, फ़ार्मा, कंस्ट्रक्शन और हाइड्रोइलेक्ट्रिक कंपनियों के केंद्र सरकार से नज़दीकी रिश्ते तो होते ही हैं.। कई बार कुछ मामलों में ऐसा राज्य सरकारों के साथ भी होता है।

 

 

उन्होंने कहा, “लेकिन सवाल ये है कि सरकार ने ऐसी कपट भरी योजना बनाई ही क्यों? जिसमें राजनीतिक चंदा किसको दिया जा रहा है, इसे जाहिर नहीं किया जा रहा है। सरकार को तो ऐसी योजना बनानी चाहिए थी, जिसमें कोई भी राजनीतिक दलों को चेक, ड्राफ्ट और पे ऑर्डर से भुगतान कर सकता था। इसके साथ ही चिदंबरम ने कहा- राजनीतिक दलों और चंदा देने वालों को अपनी-अपनी बैलेंस शीट में इसे ज़ाहिर करना चाहिए था।”

 

 

चुनाव आयोग के मुताबिक, भाजपा सबसे ज्यादा चंदा लेने वाली पार्टी है। 12 अप्रैल 2019 से 11 जनवरी 2024 तक पार्टी को सबसे ज्यादा 6,060 करोड़ रुपए मिले हैं। लिस्ट में दूसरे नंबर पर तृणमूल कांग्रेस (1,609 करोड़) और तीसरे पर कांग्रेस पार्टी (1,421 करोड़) है। चुनावी बॉन्ड इनकैश कराने वाली पार्टियों में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी, AIADMK, बीआरएस, शिवसेना, TDP, YSR कांग्रेस, डीएमके, JDS, एनसीपी, जेडीयू और RJD भी शामिल हैं।

 

 

हालांकि, किस कंपनी ने किस पार्टी को कितना चंदा दिया है, इसका लिस्ट में जिक्र नहीं किया गया है। चुनाव आयोग ने वेबसाइट पर 763 पेजों की दो लिस्ट अपलोड की हैं। एक लिस्ट में बॉन्ड खरीदने वालों की जानकारी है। दोनों लिस्ट में बॉन्ड खरीदने वालों और इन्हें इनकैश कराने वालों के तो नाम हैं, लेकिन यह पता नहीं चलता कि किसने यह पैसा किस पार्टी को दिया? इस मामले में याचिका लगाने वाले ADR के वकील प्रशांत भूषण ने सवाल उठाया है कि, SBI ने यूनिक कोड नहीं बताया, जिससे पता चल सके कि, किसने-किसे चंदा दिया। ऐसे में कोड की जानकारी के लिए वे फिर सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं।

 

 

कांग्रेस ने इलेक्टोरल बॉन्ड के डेटा पर सवाल उठाए हैं। पार्टी ने कहा, दानदाताओं और इसे लेने वालों के आंकड़े में अंतर है। दानदाताओं में 18,871 एंट्री है, जबकि लेने वालों में 20,421 की एंट्री है। पार्टी ने यह भी पूछा है कि यह योजना 2017 में शुरू हुई थी तो इसमें अप्रैल 2019 से ही डेटा क्यों है?

 

 

आयोग का कहना है कि, उसे यह जानकारी SBI से ऐसी ही मिली है। दरअसल, 2019 से 2024 के बीच 1334 कंपनियों-लोगों ने कुल 16,518 करोड़ रु. के बॉन्ड खरीदे गए हैं।

विवादों में क्यों आई चुनावी बॉन्ड स्कीम?

दरअसल, 12 अप्रैल 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने सभी पॉलिटिकल पार्टियों को निर्देश दिया कि, 30 मई, 2019 तक में एक लिफाफे में चुनावी बॉन्ड से जुड़ी सभी जानकारी चुनाव आयोग को दें। हालांकि, कोर्ट ने इस योजना पर रोक नहीं लगाई। इसके बाद में दिसंबर, 2019 में याचिकाकर्ता एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने इस योजना पर रोक लगाने के लिए एक आवेदन दिया। इसमें मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से बताया गया कि, किस तरह चुनावी बॉन्ड योजना पर चुनाव आयोग और रिजर्व बैंक की चिंताओं को केंद्र सरकार ने दरकिनार कर दिया था।

 

 

सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड को फरवरी 2024 में निरस्त कर दिया था। इसके साथ ही स्टेट बैंक को आदेश दिया था कि, वो सारा डाटा इकट्ठा करके चुनाव आयोग को दे दें। इसको लेकर स्टेट बैंक ने 30 जून 2024 तक की मोहलत मांगी थी, लेकिन कोर्ट ने मोहलत नहीं दी और स्टेट बैंक को सारा डाटा चुनाव आयोग को सौंपना पड़ा था जिसे अब चुनाव आयोग ने सार्वजनिक कर दिया है।

 

अब देखना होगा कि, भाजपा को राजनीतिक फंडिंग की वजह से लोकसभा चुनाव 2024 में ये चुनावी चंदा क्या रंग दिखायेगा ?

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