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मणिपुर में हो रही हिंसा की बहस पहुंची योरोपीय संसद तक

मणिपुर में मैतेयी और कुकी समुदाय के बीच ज़ारी हिंसा का मामला क्यों योरोपीय संसद में बहस का विषय बना हुआ है।

मणिपुर हिंसा: योरोपीय संसद में बुधवार को होने वाली बहस का एजेंडा मणिपुर की हिंसा की निंदा और योरोपियन यूनियन को भारत सरकार से बातचीत करने का निर्देश देना था। योरोपीय संसद की इस मुद्दे पर बहस पर भारत ने कड़ी आपत्ति जतायी है। अख़बार ‘द हिंदू’ मेंछपी ख़बर के अनुसार भारत ने इसे अपना आतंरिक मामला बताते हुए यूरोपीय संसद की मणिपुर हिंसा पर ‘अर्जेंट डिबेट’ की योजना को ख़ारिज किया है। दरहसल योरोपीय संसद चाहती थी कि योरोपियन यूनियन के आला अधिकारी भारत सरकार से इस मुद्दे पर सुलझाने के लिए बात करें।

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यह पूरी तरह से भारत का आंतरिक मामला है: विदेश सचिव विनय क्वात्रा

आपको बता दें कि योरोपीय संसद में ये मुद्दा ऐसे समय पर उठा है जबकि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 जुलाई से फ़्रांस की दो दिवसीय यात्रा पर हैं। फ़्रांस की अपनी इस यात्रा के दौरान पीएम मोदी बैस्टिल डे परेड में बतौर अतिथि शामिल होंगे। मीडिया से बातचीत में भारत के विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने कहा की यह पूरी तरह से भारत का आंतरिक मामला है। हम योरोपीय संसद में होने वाली घटनाओं से अवगत हैं और हमने संसद से सम्बंधित सदस्यों से संपर्क किया है। हमने यह पूरी तरह से स्पष्ट कर दिया है कि यह भारत का आतंरिक मामला है। हालाकि उन्होंने मणिपुर अखबार में छपी एक खबर कि भारत सरकार ने इस मुद्दे पर लॉबिइंग के लिए ब्रसेल्स में एक कंपनी ‘अल्बेर एंड जिजर’ को हायर किया है, के बारे में बात करने से साफ़ इनकार कर दिया। ख़बर के अनुसार सरकार ने यूरोपीय संसद तक अपनी बात पहुंचाने के लिए ब्रुसेल्स में एक प्रमुख लॉबिंग फर्म ‘अल्बर एंड गीगर’ से संपर्क किया है, जिसने कथित तौर पर भारत सरकार की ओर से एक पत्र भेजा था। यूरोपीय संसद में आठ राजनीतिक समूहों में से कम से कम छह ने ये प्रस्ताव रखा, जो बहस के बाद 13 जुलाई को इस मुद्दे पर मतदान करेंगे।

 

 

 

भारत में हो रहा मानवाधिकारों का हनन

योरोपीय संसद में मणिपुर के हालात सुलझाने को लेकर कुछ प्रस्ताव पेश किये गए थे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार योरोपीय संसद में पेश प्रस्तावों में भारतीय जनता पार्टी की नेतृत्व वाली सरकार पर विभाजनकारी जातीय नीतियों को लागू करने का आरोप लगाया है। वहीं कुछ दलों ने अफस्पा, यूपीपीए और एफसीआरए नियमों के दुरुपयोग का आरोप लगाया है। इस प्रस्तावों में मणिपुर में इंटरनेट बंद किये जाने पर रोक लगाने की मांग की है। योरोपीय संसद से इन प्रस्तावों के माध्यम से कहा गया कि वो मणिपुर में मानवाधिकार उल्लंघन के मामले में भारत सरकार से बात करे। रिपोर्ट के अनुसार वामपंथी समूह से आये एक प्रस्ताव में मणिपुर से जम्मू-कश्मीर की स्तिथ की तुलना की गयी है।

 

आपको बता दन कि 3 मई से शुरू हुई इस हिंसा में अभी तक करीब 142 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। साथ ही लगभग 54 हज़ार लोग विस्थापित हुए हैं। यूरोपीय संसद में यह मुद्दा तब उठा जब हाल ही में भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गारसेटी ने मणिपुर में स्थिति से निपटने के लिए अमेरिकी मदद की पेशकश की थी. उन्होंने कहा था कि यह एक “रणनीतिक” मुद्दा नहीं है, बल्कि एक “मानवीय” मुद्दा है.

 

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