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आंखों के लिए कितना खतरनाक हैं ब्लू लाइट, जानिए सबकुछ

जब कभी आप कंप्यूटर सिस्टम या लैपटॉप पर 4 या 5 घंटे काम करते हैं या फिर पढ़ाई करते है या कभी कोई मूवी देखते हैं तो कुछ घंटों के बाद आपकी आंखों और सिर में दर्द शुरू हो जाता। तो ऐसा क्यों होता है? क्या आपने कभी यह जानने की कोशिश की है।

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आंखों के एक जाने माने डॉक्टर प्रशांत इस बारे में कहते हैं, अगर सफेद लाइट को अलग-अलग हिस्सों में बांटा जाए तो लाल से लेकर नीली और बैंगनी लाइट तक पूरा स्पेक्ट्रम बन जाता है. बिल्कुल वैसा ही, जैसा रेनबो होता है। इस स्पेक्ट्रम में नीली और बैंगनी लाइट ‘हाई एनर्जी विज़िबल लाइट्स’ होती हैं. यानी किसी चीज़ पर पड़ने से इनकी एनर्जी सबसे ज़्यादा दूर तक जाती हैं। जब ये लाइट्स हमारी आंखों पर पड़ती हैं तो इनका प्रभाव सबसे ज़्यादा होता है।

Screens, blue light and children – EyeSite

कई बार कुछ बच्चों के चश्मे का नंबर बढ़ता जाता है. ऐसा उनके आईबॉल की लंबाई बढ़ने की वजह से होता है. जैसे-जैसे लंबाई बढ़ती है, वैसे-वैसे चश्मे का नंबर बढ़ता है. लेकिन ब्लू लाइट से आई बॉल की लेंथ स्थिर होती है. इसीलिए, बच्चों को दो घंटे घर से बाहर रहने के लिए कहा जाता है क्योंकि बाहर सूरज की रोशनी में ब्लू लाइट होती है. वास्तव में ब्लू लाइट तो चश्मे का नंबर बढ़ने से रोकती है. यानी अगर आप अपने बच्चे को ब्लू लाइट प्रोटेक्शन वाला चश्मा पहना रहे हैं तो उसके चश्मे का नंबर बढ़ रहा है, वो कम नहीं हो रहा.

 

ब्लू लाइट पूरी आंख पर असर करती है

इसी के साथ ब्लू लाइट कुछ हानिकारक भी हैं। ब्लू लाइट पूरी आंख पर असर करती है। सबसे पहले वो आंख की ऊपरी सतह कॉर्निया पर पड़ती है. फिर कंजक्टिवा यानी आंख का जो सफेद हिस्सा है, उस पर पड़ती है. इससे आंखों में जलन और चुभन हो सकती है. अगर किसी को पहले से आंखों में ड्राईनेस की शिकायत है तो उनको दिक्कत हो सकती है. बुज़ुर्गों और कॉन्टैक्ट लेंस पहनने वालों को ब्लू लाइट से आंखों में जलन हो सकती है. आंखों में ड्राईनेस भी बढ़ सकती है.

 

20-20-20 रूल फॉलो करें

इसके बाद नंबर आता है आंखों के लेंस का. अगर इंसान सालों तक ब्लू लाइट का इस्तेमाल करता रहे तो मोतियाबिंद हो सकता है. हालांकि ये किसी रिसर्च में साबित नहीं हुआ है, सिर्फ एक संभावना है. वैसे तो ब्लू लाइट के अपने फ़ायदे और नुकसान हैं. लेकिन, इसके ज़्यादा इस्तेमाल से आंखों को नुकसान पहुंच सकता है. ऐसे में जो लोग कंप्यूटर, मोबाइल का ज़्यादा इस्तेमाल करते हैं, वो 20-20-20 रूल फॉलो करें. यानी हर 20 मिनट बाद किसी 20 फीट दूर रखी चीज़ को 20 सेकेंड के लिए देखें. इससे आंखों को रिलैक्स होने का समय मिल जाता है.

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