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अगर राष्ट्र और धर्म की रक्षा के लिए हिंसा करनी पड़े तो यह धर्म सम्मत, योगी आदित्यनाथ का बड़ा बयान

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (YOGI ADITYANATH) ने एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग हिंदू देवी-देवताओं के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करते हैं और मूर्तियों को तोड़ने को अपना अधिकार मानते हैं। पर, ऐसी गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि अगर राष्ट्र और धर्म की रक्षा के लिए हिंसा करनी पड़े तो यह धर्म सम्मत है।

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योगी आदित्यनाथ ने कहा, ”हिंदू धर्म अहिंसा की महत्ता पर जोर देता है, लेकिन अगर बात राष्ट्र और धर्म की रक्षा की है तो आवश्यकता पड़ने पर हिंसा करना भी धर्म सम्मत है। हिंदू धर्म निर्दोषों की रक्षा और राष्ट्र की एकता के लिए खड़ा है। हमें दीन-दुखियों की सेवा करनी चाहिए, लेकिन राष्ट्र और धर्म की रक्षा के लिए जरूरत पड़ने पर हमें हिंसा करने से भी नहीं हिचकिचाना चाहिए।”

सीएम ने वाराणसी  के सिगरा(SIGRA) स्थित भारत सेवाश्रम संघ (BHARAT SEVA ASHRAM ) में दुर्गा पूजा समारोह के दौरान यह महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने कहा कि स्वामी प्रणवानंद, जिन्होंने भारत सेवाश्रम संघ की स्थापना की थी, ने भी राष्ट्रवाद के महत्व पर जोर दिया था। स्वामी प्रणवानंद ( SWAMI PRANAVANANDA) ने साधना से सिद्धि प्राप्त की थी, लेकिन उनका मुख्य उद्देश्य राष्ट्रवाद का प्रसार करना था ।

 

सनातन पर क्या बोले योगी 

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (YOGI) ने आगे कहा कि पश्चिम बंगाल, जहां से दुर्गा पूजा की परंपरा शुरू हुई थी, वहां आज सनातन धर्म असहाय और असुरक्षित दिखाई देता है। यह बयान राष्ट्रवाद और हिंदू धर्म के महत्व को रेखांकित करता है, जो कि मुख्यमंत्री योगी के भाषण का मुख्य फोकस था। उन्होंने लोगों से राष्ट्रवाद के मूल्यों को अपनाने और सनातन धर्म की रक्षा करने का आह्वान किया।

 

महिलाओं को 100 सिलाई मशीनें वितरित कीं

इस अवसर पर, सीएम ने मां दुर्गा की पूजा की और महिलाओं को 100 सिलाई मशीनें वितरित कीं। योगी आदित्यनाथ ने यह भी कहा कि ‘अहिंसा परमो धर्मः’ का सिद्धांत गरीबों और जरूरतमंदों की मदद के लिए अपना जीवन समर्पित करने पर जोर देता है, जो कि हमारे समाज में सहानुभूति और सेवा की भावना को बढ़ावा देता है। योगी ने यह भी कहा है कि देश की एकता और अखंडता को चुनौती देने या सीमाओं पर अतिक्रमण करने की स्थिति में धर्म हिंसा तथैव च का सिद्धांत देश की सुरक्षा और संप्रभुता के लिए आवश्यक कार्रवाई का समर्थन करता है। उन्होंने सभी जातियों, पंथों और धर्मों के महान व्यक्तियों का सम्मान करने के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि अगर कोई किसी महान व्यक्ति या संन्यासी के खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल करता है, तो ऐसे लोग दंड के भागी होंगे और उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि विरोध का मतलब बर्बरता या लूटपाट करना नहीं है, और ऐसी कार्रवाइयां पूरी तरह से अस्वीकार्य है l

 

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