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ISRO का पहला सोलर मिशन आदित्य L1 लॉन्च, चार माह बाद लैग्रेंजियन बिंदु पर पहुंचेगा !

ISRO ने आज यानी 2 सितंबर को अपना पहला सूर्य मिशन आदित्य L1 लॉन्च किया है। इसे शनिवार सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर PSLV-C57 के XL वर्जन रॉकेट के जरिए श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से आदित्य L1 को लॉन्च किया गया। इस यान को लैग्रेंजियन बिंदु 1 (L1) पर भेजा जाना है। यह बिंदु पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। ऐसे में आदित्य L1 को बिंदु तक पहुंचने में लगभग चार महीने का समय लगेगा।

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इस पॉइंट पर ग्रहण का प्रभाव नहीं पड़ता, जिसके चलते यहां से सूरज की स्टडी आसानी से की जा सकती है। ​इस मिशन की अनुमानित लागत 378 करोड़ रुपए है। उम्मीद जताई जा रही है कि यदि सब सही रहा तो यह यान करीब 125 दिन यानी 4 महीने में L1बिंदु पर पहुंच जाएगा। ये 125 दिन 3 जनवरी 2024 को पूरे होंगे। आदित्य L1 मिशन यदि सफलतापूर्वक लैग्रेंजियन पॉइंट-1 पर पहुंच गया। तो नए साल में इसरो के नाम ये एक बड़ी उपलब्धि होगी।

क्यों ISRO ने पॉइंट-1 को सूर्य के अध्ययन के लिए चुना।

आपको बता दें, लैग्रेंजियन पॉइंट-1 जिसे आम बोलचाल की भाषा में एल-1 कहते हैं। इसका नाम इतालवी-फ्रेंच मैथमैटीशियन जोसेफी-लुई लैगरेंज के नाम पर रखा गया। इस प्रकार के पांच पॉइंट पृथ्वी और सूर्य के बीच मौजूद हैं। जहां सूर्य और पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल बैलेंस हो जाता है और सेंट्रिफ्यूगल फोर्स बन जाता है। ऐसे में यदि इन पॉइंट्स पर किसी ऑब्जेक्ट को रखा जाए तो वह स्थिर रहता है। साथ ही एनर्जी भी कम लगती है। इसमें पहला लैगरेंज पॉइंट धरती और सूर्य के बीच 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर है।

L1 पॉइंट पर नहीं होता ग्रहण का असर।

इस पॉइंट पर आदित्य एल-1 को रखने का कारण यह भी है कि यहां ग्रहण का असर नहीं होता। ऐसे में इस पॉइंट से लगातार सूर्य को देखा जा सकता है। बता दें, आदित्य को सूर्य और पृथ्वी के बीच हेलो ऑर्बिट में स्थापित किया जाएगा। ISRO के अनुसार, L1 पॉइंट के आस-पास हेलो ऑर्बिट में रखा गया सैटेलाइट सूर्य को बिना किसी ग्रहण के लगातार देख सकेगा। जिससे रियल टाइम सोलर एक्टिविटीज और अंतरिक्ष के मौसम पर भी नजर रखी जा सकेगी। साथ ही यह सूर्य-पृथ्वी के लैग्रेंजियन पॉइंट पर रहकर सूर्य पर उठने वाले तूफानों का अध्ययन करेगा। यह लैग्रेंजियन पॉइंट के चारों ओर की कक्षा, फोटोस्फियर, क्रोमोस्फियर के साथ सबसे बाहरी परत कोरोना की अलग-अलग वेब बैंड्स से 7 इक्विपमेंट्स के जरिए टेस्टिंग करेगा।

सूर्य के अध्ययन की आवश्यकता।

जिस सोलर सिस्टम का अंग हमारी पृथ्वी है, उसका केंद्र सूर्य है। सभी आठ गृह सूर्य के चक्कर लगाते हैं। पृथ्वी पर जीवन होने का सूर्य सबसे बड़ा कारण है। सूर्य से लगातार बहने वाली ऊर्जा, जिसे हम चार्ज पार्टिकल्स कहते हैं। ऐसे में सूर्य के अध्ययन से यह समझा जा सकता है कि सूर्य में होने वाले बदलाव अंतरिक्ष को कैसे प्रभावित करते हैं। साथ ही इनका पृथ्वी और जीवन पर क्या असर होता है।

 

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