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बौद्ध मठ तोड़कर मेरठ में गजनवी ने बनवाई थी जामा मस्जिद, इतिहासकार का बड़ा दावा !

ज्ञानवापी विवाद (Gyanvapi Controversy) और मथुरा के श्रीकृष्णजन्मभूमि विवाद के बीच मेरठ की ऐतिहासिक शाही मस्जिद भी इस समय विवादों के घेरे में आ गई है। इस दौरान मेरठ की एतिहासिक शाही मस्जिद को लेकर सियासत गरमा-गर्मी का माहौल है। ऐसे में प्रख्यात इतिहासकार डॉ केडी शर्मा ने शाही मस्जिद के प्राचीन मोनेस्ट्री होने का दावा किया है। कहा कि, बौद्ध मठ को ढहाकर महमूद गजनवी ने शाही मस्जिद बनवाई थी। इतिहासकार के पास इस दावे के ऐतिहासिक और प्रत्यक्ष प्रमाण मौजूद है।

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जानकारी के मुताबिक, मेरठ कॉलेज के इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष रह चुके डॉ. केडी शर्मा का कहना है कि, इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार- 410 हिजरी में भारत आए आक्रांता महमूद गजनवी ने पुराने मेरठ के सबसे ऊंचे टीले पर बने बौद्ध मठ को ध्वस्त कर यहां मस्जिद बनवाई। आज इसे शाही जामा मस्जिद के नाम से जाना जाता है।

पिलर पर सूर्य के प्रतीक

इतिहासकार केडी शर्मा ने बताया कि, पिलर पर हाथियों की कलाकृतियां हैं। कमल और सूर्य के प्रतीक स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं। इस कला को इंडो बुद्धिस्ट कला का नाम दिया जाता है। विदित हो कि, यह पिलर मौर्य काल का है। 119 साल पहले ब्रिटिश गेजेटियर में भी इस घटना का जिक्र किया है। गेजेटियर के वोल्यूम 4 के पेज संख्या 273 पर लिखा है, जामा मस्जिद का निर्माण प्राचीन काल में बौद्ध मंदिर पर किया जाना प्रतीत होता है।

हाथियों की कलाकृतियां

डॉ शर्मा ने दावा किया है कि, मस्जिद की दीवारों से निकले पिलर आज भी उनके पास सुरक्षित मौजूद है। इन पिलर्स पर कमल और सूर्य के प्रतीक स्पष्ट रूप से देखे जा सकते है। इसमें हाथियों की कलाकृतियां भी है। पाषाणकला को इंडो-बुद्धिस्ट कला का नाम दिया जा सकता है। यह मौर्या के वक्त की है और प्रतिहार काल के बेहद नजदीक है।

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