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Jammu Kashmir Result 2024: अनुच्छेद 370 हटा कर भी कश्मीरियों का दिल नहीं जीत पाई भाजपा

बीजेपी भले ही हरियाणा की जीत का जश्न मना रही हो लेकिन अंदर ही अंदर उसे जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir Result 2024) की हार खाए जा रही होगी। क्योंकि अगर नरेंद्र मोदी और अमित शाह को यदि हरियाणा और जम्मू कश्मीर में किसी एक राज्य की जीत को चुनना होता तो बेशक वे जम्मू-कश्मीर ही चुनते। ऐसा इसलिए क्योंकि यहां की जीत ना सिर्फ राष्ट्रीय में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्त पर भी बेहद मायने रखती है।

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खासकर तब जब बीजेपी यहां 370 हटाने को अपनी सबसे बड़ी जीत मान रही हो और उसके बावजूद यहां की जनता उसे नकार दे तो फिर इसे पार्टी कैसे बचा पाएगी। सच्चाई तो यह है कि हरियाणा की जगह ये जम्मू-कश्मीर जीते हो तो शायद यह जीत इनके लिए देश की सबसे बड़ी जीत होती। यहां तक कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इसे भुना पाते और पीओके में दो चार किमी अंदर घुस कर ऐसा डंका बजाया जाता कि रूठा हुआ संघ नेतृत्व भी शायद इनके सामने सरेंडर कर दिया होता।

 

सच्चाई को यह भी है कि अगर ये जम्मू-कश्मीर जीते हो तो उसके बाद कभी बंगाल में अगर जीत होती तो वह भी फीका रहता। सोचिए जम्मू कश्मीर में नेशनल कॉंफ़्रेंस ने मात्र 23.5 % वोट लेकर 42 सीट जीतीं हैं जबकि 25.5 % वोट लेकर भाजपा ने जम्मू क्षेत्र की 29 सीटों पर जीत कर अब तक का अपना सबसे बेहतर प्रदर्शन किया है। इसके बावजूद बीजेपी पूरा राज्य नहीं जीत पाई।

 

यह कहने की ज़रूरत नहीं है कि जम्मू हिंदू बहुल और कश्मीर घाटी मुस्लिम बहुल अंचल है। भाजपा घाटी में एक भी सीट नहीं जीत सकी है । कांग्रेस ने 12% वोट लेकर मात्र 6 सीटें जीत सकी है। महत्वपूर्ण तथ्य एक है अन्य निर्दलीयों व छोटी पार्टियों ने कुल मिलाकर 29% वोट लिये लेकिन सीटें केवल 8 जीत सके। पीडीपी को महज़ 9% वोट मिले जबकि सीटें मात्र 3 ही।

 

अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद जम्मू कश्मीर में विकास कार्यों की बड़ी घोषणाओं के बावजूद बीजेपी को हार मिली है। जम्मू में पार्टी का प्रदर्शन अच्छा रहा, लेकिन कश्मीर में हमेशा की तरह इस बार भी खाता नहीं खुला। तो इसे आखिर क्या माना जाए? क्या 370 हटाने के बाद भी घाटी के लोगों का दिल नहीं जीत पाई भाजपा? आखिर कहां कमी रह गई? हालांकि अभी भी तमाम राजनीतिक विश्लेषक इस हार को भी बीजेपी के लिए जीत मान रहे हैं और उनका मानना है कि हिंदू बहुल जम्मू में बीजेपी का शानदार प्रदर्शन कहीं न कहीं बीजेपी के पक्ष में जाता है।

 

इन मुद्दों को बीजेपी ने रखा था सामने

हालांकि बीजेपी ने इस चुनाव में घाटी की सुरक्षा, रोजगार के मौके और पर्यटन जैसे मुद्दों को सामने रखा। एक नया कश्मीर बनाने का वादा भी किया गया, लेकिन फिर भी विफल हुई तो इसके पीछे कारण क्या है वो भी जान लीजिए। दरअसल, राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद जम्मू कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया और घाटी में लंबे समय तक पाबंदियों में रहा। यहां विशेष दर्जा खत्म होने से लोगों के मन में जो टीस थी, उसे दूर करने की कोशिशें उस मजबूत तरीके से नहीं हो पाईं जैसी होनी चाहिए थी। सरकार के ‘नए कश्मीर’ की सुरक्षा रणनीति में सामूहिक जिम्मेदारी और सजा की नीति भी शामिल थी। कहा जा रहा है कि इसे लेकर भी लोगों में असंतोष था और इसका खामियाजा भी बीजेपी को भुगतना पड़ा है।

 

घाटी के लोगों ने इसलिए नकार दिया

आतंकवाद, अलगाववाद और पत्थरबाजी के खिलाफ सरकार की सख्ती का लोगों ने समर्थन किया, लेकिन एक बड़ी आबादी को लगा कि इसकी आड़ में उनकी बोलने की आजादी उनसे छीन रही है और इसका डर भी था कि घाटी में लोगों ने बीजेपी को पूरी तरह  से नकार दिया।

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