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कानपुर: पत्नी को ट्रांस्जेंडर बताकर मांगा तलाक, क्या है पूरा मामला..?

कानपुर से तलाक का एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां एक पति ने अपनी पत्नी को ट्रांसजेंडर बताकर तलाक की मांग की। उसने दाखिल याचिका में कहा है कि शादी के बाद से उसकी पत्नी उसे छूने भी नहीं देती थी। जिसके बाद वो डॉक्टर के पास भी गया था। जिसके बाद उसे पता चला कि उसकी पत्नी के बॉडी के कई पार्ट डेवलप ही नहीं हुए हैं। साथ ही उसकी पत्नी को गंजापन की भी समस्या है। जिस कारण हिंदू मैरिज एक्ट की धारा-12 के तहत शादी शून्य यानी अमान्य की जाए। इस मामले को कोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए महिला की जांच का आदेश दिया है। यह जांच 5 डॉक्टरों के एक पैनल से कराने आदेश दिया है।

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शादी के बाद से पत्नी मुझे अपने पास नहीं आने देती थी।

यह मामला शास्त्री नगर निवासी एक व्यक्ति का है। जिसने फैमिली कोर्ट में एक याचिका दाखिल की। इसमें उसने कहा कि मेरी शादी 2 साल पहले यानी 27 अप्रैल 2021 को शादी हुई थी। शादी के बाद से पत्नी मुझे अपने पास नहीं आने देती थी। इसके बाद हमने कई डॉक्टरों को दिखाया। लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ। युवक ने अपनी पत्नी की मेडिकल रिपोर्ट भी कोर्ट को सौंपी है।

इस केस की सुनवाई 25 अगस्त को फैमिली कोर्ट की अपर प्रधान न्यायाधीश शगुन पंवार ने की। जिसके बाद कोर्ट की ओर से सीएमओ को पत्र लिखा गया। कोर्ट ने यह जानकारी मांगी है कि चिकित्सा पद्धति के अनुसार, स्त्री के स्त्रीत्व के लिए किन-किन लक्षणों की शारीरिक संरचना में आवश्यकता होती है। क्या प्रस्तुत वाद की प्रतिवादिनी संबंधित में स्त्रीत्व के लिए शारीरिक संरचना में सभी लक्षण हैं। यदि नहीं तो कौन-कौन से हैं और उसका क्या प्रभाव है।

5 एक्सपर्ट डॉक्टर की कमेटी करेगी जांच। 

इसके साथ ही कोर्ट ने CMO को 5 एक्सपर्ट डॉक्टर का पैनल बनाकर महिला की जांच कराने का आदेश दिया। जिसपर सीएमओ ने 5 सितंबर जांच कमेटी गठित की। वहीं युवक ने अपने ससुराल वालों पर भी धोखाधड़ी करके शादी करने का आरोप लगाया है। इस मामले में युवक ने 18 जून 2021 काकादेव थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई। लेकिन दरोगा ने बगैर मेडिकल रिपोर्ट के फाइनल रिपोर्ट लगा दी। जिसके बाद पीड़ित ने कोर्ट में FIR को चैलेंज किया। जिसके बाद दरोगा भी जांच के घेरे में हैं।

जानकारी अनुसार, युवक ने कानपुर के तीन चिकित्सक की मेडिकल रिपोर्ट को आधार बनाते हुए केस दायर किया है। जिसके आधार पर कोर्ट ने सीएमओ को पैनल गठित करके जांच करने का आदेश दिया। वहीं, दूसरी तरफ विवेचक की भूमिका भी इसी मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर संदिग्ध हो गई है। क्योंकि उसने पूरी जांच रिपोर्ट में कोई भी मेडिकल रिपोर्ट नहीं लगाई है। मामले की सच्चाई CMO द्वारा गठित डॉक्टरों की कमेटी की जांच रिपोर्ट के बाद ही सामने आएगी।

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