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हरियाणा में कांग्रेस की हार के लिए केजरीवाल जिम्मेदार, समझिए 5 सीटों का पूरा खेल

हरियाणा में कांग्रेस की हार के लिए अरविंद केजरीवाल भी जिम्मेदार हैं। जी हां, चौंकिए नहीं जो आंकड़े मैं बताने जा रहा हूं वो आंकड़े अगर कांग्रेस के पक्ष में गए होते तो बीजेपी अभी जो मुस्कुरा रही है, वो उदासी में डूबी होती। यानी केजरीवाल ने राहुल गांधी की नैया हरियाणा में डूबो दी। अगर केजरीवाल की आम आदमी पार्टी हरियाणा में चुनाव नहीं लड़ती तो आज कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी वहां अपनी सरकार बनाने की तैयारी कर रहे होते। तो कितने सीटों पर केजरीवाल की पार्टी ने कर दिया खेला और कैसे वे बीजेपी को सहयोग कर गए और कांग्रेस के लिए गड्ढा खोद दिया चलिए इस वीडियो में विस्तार से समझते हैं।

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देखिए यूं तो आम आदमी पार्टी हरियाणा में पिछले 3 चुनाव से मैदान में उतर रही है लेकिन इस बार भी उसका प्रयास असफल रहा।। पार्टी ने 88 सीटों पर उम्मीदवार उतारे लेकिन कोई उम्मीदवार जीत नहीं पाया। लेकिन इस हार के बावजूद अरविंद केजरीवाल की पार्टी कांग्रेस के लिए सत्ता के रास्ते का रोड़ा बन गई।

 

कांग्रेस जो हरियाणा में सत्ता हथियाने के बेहद करीब थी, उसके हाथ से अगर सत्ता निकला है तो इसके लिए केजरीवाल भी जिम्मेदार हैं। केजरीवाल की पार्टी 5 सीटों पर ऐसा खेल किया है जहां कांग्रेस जीत सकती थी लेकिन आम आदमी पार्टी के होने का कारण उसका प्रत्याशी हार गया। ये तो सीधा खेल है जो हार साफ दिख रही है। कई ऐसी सीटें भी रही हैं जहां आम आदमी पार्टी और कांग्रेस दोनों के वोटर बंटे हैं और फायदा सीधे तौर पर बीजेपी को हुआ है।

 

इन सीटों पर हुआ है खेला

दरअसल, इन 5 सीटों पर आम आदमी पार्टी को मिले वोट कांग्रेस की हार के अंतर से ज्यादा या फिर लगभग बराबर हैं। यानी अगर कांग्रेस और आप दोनों का गठबंधन रहा होता तो दोनों के वोट को अगर जोड़ देते तो ये 5 सीटें कांग्रेस अपने आप जीत जाती। ये सीटें हैं उचाना कलां, असंध, डबवाली, दादरी और महेंद्रगढ़। खुद कई राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैें कि ऐसे राज्यों में इन पार्टियों को गठबंधन करना चाहिए जहां आपको सीधे बीजेपी को हराना है। अगर कांग्रेस और बीजेपी के अंतर को देखें तो बीजेपी ने 48 जबकि कांग्रेस ने 37 सीटें जीती हैं।

 

तो 50 सीटें जीत लेती कांग्रेस

अगर 5 सीटें और आ जातीं तो यह आंकड़ा 42 पर पहुंच जाता।  वहीं करीब 8 सीटें ऐसी हैं जहां अगर दोनों मिलकर चुनाव लड़े होते तो निश्चित रूप से वोटर इनकी तरफ खींचे होते और फिर कांग्रेस गठबंधन के पास करीब 50 सीटें होती हैं और वो सरकार बना लेते। हालांकि कई चुनावी रणनीतिकार मान रहे हैं कि इन दोनों के मिलने से भी कोई खास नुकसान बीजेपी को नहीं होता। 5-6 सीटों पर ही फर्क पड़ता लेकिन सरकार बीजेपी ही बनाती। आपको क्या लगता है, कांग्रेस की हार के लिए केजरीवाल हैं जिम्म्मेदार कमेंट में बताइए।

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