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कोटा में एक और छात्र ने की खुदकुशी, क्यों मौत का अड्डा बनता जा रहा सपनों का यह शहर

राजस्थान को कोटा शहर। देश के लाखों बच्चों के सपनों का शहर। कोचिंग हब के नाम से मशहूर शहर। देशभर से लाखों बच्चे यहां बड़े बड़े सपने आंखों में लिए पहुंचते हैं। कुछ के सपने पूरे होते हैं तो कुछ सपनों के बोझ तले खुद को खत्म कर लेते हैं। यही वजह है कि आज ये शहर सूसाइड का शहर बनता जा रहा है। एक के बाद एक बच्चे यहां आत्महत्या करते जा रहे हैं और अब इस शहर से आने वाली खबरें चेहरों पर मुस्कान बिखरने की जगह डराती ज्यादा हैं। अब एक और बच्चे ने इस शहर में दम तोड़ दिया है, आत्महत्या कर ली है।

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भागलपुर, बिहार से नीट परीक्षा की तैयारी करने के लिए कोटा आए ऋषित अग्रवाल ने इस बार यह खौफनाक कदम उठाया। दादाबाड़ी थाना क्षेत्र में रहकर तैयारी कर रहे इस छात्र ने अपने कमरे में फंदे से झूलकर खुदकुशी कर ली। काफी देर तक जब वह दरवाजा नहीं खोला तो दोस्तों को शक हुआ और उन्होंने पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने दरवाजा तोड़कर छात्र का शव बाहर निकाला।
पुलिस ने बताया कि छात्र के परिवारवालों को सूचित कर दिया गया है। उनके पहुंचने पर ही पोस्टमार्टम किया जाएगा। छात्र के सुसाइड की वजह अब तक सामने नहीं आई है लेकिन आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि कोटा में सूइसाइड का यह इस साल का 13वां मामला है। आप सोचते हैं कि इसका मतलब यह है कि हर महीने कम से कम एक छात्र यहां आत्महत्या कर रहा है। आखिर छात्रों पर इतना दबाव क्यों है? हर महीने कोई न कोई छात्र सूइसाइड करता है तब भी क्या परिवारवाले इससे सबक नहीं लेते कि हमें अपने बच्चों पर जबरदस्ती सपनों का, उम्मीदों का बोझ लादना बंद करना चाहिए। आपको क्या लगता है, कमेंट में जरूर बताएं।

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