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अमेठी के संजय गांधी अस्पताल का लाइसेंस सस्पेंड, चार सौ कर्मचारी हुए बेरोजगार !

अमेठी जिले के मुंशीनगर स्थित संजय गांधी अस्पताल के लाइसेंस को निरस्त करते हुए, ओपीडी समेत सभी सेवाएं बंद कर दी गयी हैं। एक महिला की मौत और उसके परिवार के आरोपों के बाद बंद कर दिया गया है। अब इसे लेकर सियासी बवाल शुरू हो गया है। अस्पताल को रद्द करने के आदेश पर कांग्रेस ने नाराजगी व्यक्त की है। कांग्रेस ने राज्य की भाजपा सरकार पर आरोप लगाया है। उसका कहना है कि अस्पताल इसलिए बंद किया गया क्योंकि ये उस ट्रस्ट द्वारा संचालित है जिसकी अध्यक्ष सोनिया गांधी हैं। कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इससे संबंधित एक पत्र लिखा। जिसमें उन्होंने पंजीकरण रद्द करने संबंधी आदेश को तत्काल निरस्त करने की मांग की है। संजय गाँधी अस्पताल की बंदी के बाद करीब चार सौ कर्मचारी बेरोजगार हो गए। जिनमें आधे से ज्यादा महिलायें हैं।

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अस्पताल न्यूनतम शुल्क पर इलाज मुहैया कराता रहा है- अजय राय।

बेरोजगार कर्मचरियों ने बुधवार को अमेठी के कलेक्टर राकेश कुमार मिश्र को अस्पताल खुलवाने के लिए ज्ञापन सौपा। साथ ही कांग्रेस पार्टी की तरफ से भी जिलाधिकारी से मिलकर राज्यपाल को ज्ञापन भेजा गया है। वहीं कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय को पत्र लिखकर स्थानीय नागरिकों के लिए अस्पताल की सुविधाओं के बारे में बताया। अमेठी व आसपास के इलाकों के लिए संजय गांधी अस्पताल मेडिकल कॉलेज की तरह है। राय ने कहा कि यह अस्पताल दशकों से स्थानीय और आसपास के लोगों को न्यूनतम शुल्क पर इलाज मुहैया कराता रहा है। इससे लाखों लोग स्वास्थ्य लाभ पाते हैं। स्वास्थ्य सेवाओं के लिए यह अस्पताल अमेठी क्षेत्र व उसके आसपास के इलाकों के लिए लाइफलाइन की तरह है। ऐसे में अस्पताल बंद किये जाने से अमेठी जिला और सीमावर्ती इलाके के ग्रामीणों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।

अस्पताल बंद होने से मरीज बेहाल हो रहे हैं।

आपको बता दें कि संजय गांधी अस्पताल में सभी सुविधाओं की मौजूदगी के चलते भारी संख्या में मरीज यहां इलाज के लिए आते हैं। सभी सुविधाएं होने के चलते यहां आपातकालीन सेवा के मरीजों का भी आना-जाना लगा रहता है। लेकिन अस्पताल बंद होने से मरीज इलाहाबाद, लखनऊ जाने पर मजबूर हैं। इस पर कांग्रेस के पूर्व विधायक दीपक सिंह ने कहा कि सरकारी अस्पतालों में आपातकालीन सेवाओं का हाल किसी से छुपा नहीं है। ऐसे में संजय गांधी अस्पताल बंद होने से मरीज बेहाल हो रहे हैं। जनता परेशान है और कर्मचारी बेरोजगार हो गए हैं। वहीं अस्पताल बंद किये जाने पर सपा नेता शिवप्रताप यादव ने भी नाराजगी जतायी है।

अस्पताल का लाइसेंस रद्द क्यों किया गया?

मिडिया रिपोर्ट के अनुसार, 14 सितंबर की सुबह पेट दर्द की शिकायत के बाद एक 22 साल की महिला को संजय गांधी अस्पताल में भर्ती कराया गया। जिसे पित्ताशय की सर्जरी से ठीक पहले हालत बिगड़ने पर लखनऊ के एक निजी अस्पताल में रेफर कर दिया गया। जहां 16 सितंबर को महिला की मौत हो गई। जिसके बाद महिला के परिवार ने संजय गांधी अस्पताल पर मौत का आरोप लगाया। परिवार ने आरोप लगाया कि अस्पताल में एनेस्थीसिया के ओवरडोज के कारण महिला की मौत हुई। इसे लेकर 17 सितंबर को एक FIR दर्ज की गई। पुलिस ने महिला की मौत पर अस्पताल के मुख्य अधिकारी सहित चार कर्मचारियों के खिलाफ इलाज के दौरान लापरवाही से मौत का मामला दर्ज किया।

मामले का संज्ञान लेते हुए अमेठी के जिला स्वास्थ्य अधिकारी ने जांच के आदेश दिए। जिसमें तीन सदस्यीय जांच टीम का गठन किया। 18 सितंबर को जिला स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि पहली नजर में इलाज के दौरान लापरवाही के सबूत मिले हैं। जिसके आधार पर अस्पताल का लाइसेंस निलंबित कर दिया गया है। इस आदेश के अगले दिन यानी 19 सितंबर को डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने मामले का संज्ञान लिया। उन्होंने कहा कि शुरूआती जांच में पाई गई कमियों के आधार पर अस्पताल प्रशासन को क्लिनिकल एक्ट के तहत स्पष्टीकरण मांगने के लिए नोटिस जारी किया जाएगा। लापरवाही पाए जाने पर अस्पताल को सील कर दिया जाएगा।

अस्पताल के 400 से अधिक कर्मचारी बेरोजगार हो जायेगे।

उधर, लाइसेंस निलंबित करने के बाद अस्पताल के 400 से अधिक कर्मचारियों के बड़ा संकट खड़ा हो गया है। अस्पताल बंद होने से ये सभी कर्मचारी बेरोजगार हो जायेगे और इनकी रोजी रोटी खतरे में पड़ जायेगी। बुधवार को अस्पताल के कर्मचारियों डीएम के समक्ष अपनी इन्ही समस्याओं को रखते हुए ज्ञापन सौंपा। उन्होंने अस्पताल के लाइसेंस को बहाल करने की मांग की। संजय गांधी अस्पताल में ग्रामीण नागरिकों के लिए कार्डियोलॉजी, नेफ्रोलॉजी, गेस्ट्रो, श्वास एवं फेफड़ों संबंधित अन्य सेवाएं उपलब्ध हैं। साथ ही सामन्य ओपीडी सहित महिला और शिशु रोगों के लिए भी सुविधा मुहैया करायी जाती है। इसके अलावा आकस्मिक सेवाओं के साथ सिटी स्कैन, ब्लड बैंक, रेडियोलॉजी, दवाखाना तथा शिशु के जन्म जैसी महत्वपूर्ण सेवाएं भी उपलब्ध हैं। ये सभी स्वास्थ्य सेवायें न्यूनतम मूल्य पर उपलब्ध हैं। इन सुविधाओं के चलते क्षेत्र के मरीजों को बड़े शहरों में नहीं जाना पड़ता था।

 

 

 

 

 

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