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दिल्ली में कांग्रेस ने बढ़ा दी मनोज तिवारी की मुश्किल, कन्हैया कुमार को उतारकर एक तीर से साधे कई निशाने

लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने दिल्ली में भोजपुरी स्टार और मौजूदा सांसद मनोज तिवारी के लिए चुनौती बढ़ा दी है। कांग्रेस ने मनोज तिवारी के खिलाफ जेएनयू के छात्र नेता रहे कन्हैया कुमार को मैदान में उतारकर ऐसी रणनीति बनाई है कि मनोज तिवारी इस चक्रव्यूह में फंस गए हैं। आखिर ये लड़ाई मनोज तिवारी के लिए मुश्किल क्यों हुई है और कांग्रेस ने कन्हैया को ही उनके खिलाफ मैदान में क्योें उतारा चलिए इसके बारे में विस्तार से आपको बताते हैं। आप सबको मालूम है कि दिल्ली का उत्तर पूर्वी लोकसभा क्षेत्र ऐसा क्षेत्र है जहां पर यूपी और बिहार के लोग सबसे अधिक रहते हैं। या यूं कहें कि पूर्वांचल के लोगों की संख्या यहां ठीकठाक है जिसमें भोजपुरी समाज के लोग ज्यादा हैं। यही वजह है कि मनोज तिवारी ने इस सीट से दो बार बड़े अंतर  से जीत दर्ज की और बीजेपी ने उन्हें तीसरी बार भी यहां से मौका दे दिया। इस बार भी मनोज तिवारी के लिए यहां से जीत आसान दिख रही थी।

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लेकिन अब ये राह मुश्किल हो गई है। अभी तय यह जानकारी आ रही थी कि लोकगायिका नेहा सिंह राठौर को मनोज तिवारी के सामने कांग्रेस उतार सकती है। लेकिन अगर नेहा यहां आतीं तो मनोज तिवारी की जीत पूरी तरह से तय थी। क्योंकि नेहा सिंह राठौर अपने गानों से भले ही लोगों में पॉपुलर हों जमीन पर वो वोटर्स को प्रभावित कर पाएंगी, यह संभव नहीं दिखता। लेकिन कन्हैया कुमार जमीनी नेता हैं। जेएनयू में अध्यक्ष बनने से लेकर बिहार में अपनी शुरुआती राजनीति के दिनों में उन्होंने फील्ड में बहुत काम किया है। अभी भी वो लगातार बिहार में सक्रिय थे और कांग्रेस को मजबूत करने में जुटे थे।

माना जा रहा था कि उन्हें कांग्रेस बिहार से टिकट देगी। लेकिन कांग्रेस ने रणनीति में बदलाव करते हुए कन्हैया कुमार को दिल्ली से मैदान में उतारा है वह भी मनोज तिवारी के सामने। ऐसे में मनोज के सामनेे अब चुनौती ये है कि उन्हें अब अपने ही तरह का एक मजबूत प्रत्याशी मिला है जो खुद बिहार से भी आता है। यानी पूर्वांचल के वोटों को जो मनोज तिवारी साधते रहे हैं उसमें सेंध कन्हैया कुमार लगा सकते हैं। चूंकि मनोज तिवारी 2 बार से सांसद भी हैं तो उनके खिलाफ सत्ता विरोधी लहर भी हो सकती है जिसका फायदा कन्हैया उठा सकते हैं। यही वजह है कि अब यह लड़ाई मनोज तिवारी के लिए मुश्किल हो गई है। जबकि कांग्रेस अपनी रणनीति में बेहद ही सफल दिख रही है।

कन्हैया कुमार जहां भाषण देने और हाजिरजवाबी में माहिर माने जाते हैं, वहीं युवाओं के बीच उनकी जबरदस्त लोकप्रियता भी है। बिहार से तो आते ही हैं, छात्र नेता के रूप में दिल्ली की अपनी पहचान के जरिए वे पूर्वांचल के साथ-साथ दिल्ली के भी मतदाताओं को अपनी तरफ खींच सकते हैं। ऐसे में कन्हैया यहां मनोज तिवारी को मजबूत चुनौती दे ससकते हैं। अब तो ये आने वाला वक्त बताएगा कि जीत किसकी होगी लेकिन फिलहाल इस सीट पर चुनावी लड़ाई दिलचस्प हो गई है। आपको क्या लगता है कौन किस पर भारी कमेंट करें।

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