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पहले चरण में कम मतदान से बीजेपी परेशान, नई रणनीति बनाने में जुटी पार्टी, विपक्ष उत्साहित

पहले चरण में हुए कम मतदान ने बीजेपी की चिंता बढ़ा दी है। कम मतदान से विपक्ष उत्साहित है। कई राजनीतिक पंडित भी मान रहे हैं कि कम मतदान का मतलब है कि अंडर करंट कुछ और है और वो बीजेपी के लिए मुश्किलें पैदा कर सकता है। विपक्ष इसे वर्तमान सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी माहौल के रूप में देख रही है। ये भी माना जा रहा है कि इस बार मोदी मैजिक नहीं है और इसका खामियाजा बीजेपी को उठाना पड़ेगा। बीजेपी खुद भी अब चुनाव के लिए नई रणनीति बनाने में जुट गई है। तो क्या है बीजेपी की नई रणनीति, क्या विपक्ष के चाल में फंस गई बीजेपी या चुप्पी साधे वोटर्स ने कर दिया बड़ा खेल, इस वीडियो में करेंगे पूरी पड़ताल तो बने रहिए अंत तक हमारे साथ।

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दोस्तों, लोकसभा चुनाव पीक पर है लेकिन मतदाताओं के भीतर उत्साह नहीं है। पहले चरण के चुनाव में बिहार जैसे पॉलिटिकल ऐक्टिव प्रदेश में सबसे कम मतदान होना यह दिखाता है कि इस बार वोटर्स चुनावों में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। पहले चरण में मतदाताओं के भीतर की निराशा और कम मतदान ने बीजेपी के लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं। बीजेपी इस बार 400 पार का नारा दे रही है लेकिन ऐसे मतदान हुए तो उसके लिए 250 का आंकड़ा भी अब मुश्किल होगा। खुद बीजेपी के रणनीतिकार मान रहे हैं कि केंद्रीय मुद्दे के अभाव, प्रचंड गर्मी और कुछ दूसरे कारणों से समाज के सभी वर्गों के मतदान में कमी आई है।

पार्टी के वरिष्ठ चुनावी रणनीतिकारों की मानें तो प्रथम चरण के बाद शीर्ष स्तर पर बूथ प्रबंधन को लेकर नए सिरे से माथापच्ची हो रही है। राज्य इकाइयों को लगातार समीक्षा करने और मतदाताओं को बूथ तक पहुंचाने के निर्देश दिए गए हैं। फिलहाल बीजेपी ने बूथ स्तर पर माइक्रो मैनेजमेंट में सारी ताकत झोंकने का फैसला किया है।

दरअसल, अगर मतदान फीका रहा और सभी चरणों में यही स्थिति रही तो सीधे सीधे नुकसान बीजेपी को ही होना है। विपक्ष के पास खोने के लिए कुछ नहीं है, उसके लिए जो है वो पाना ही है। यही वजह है कि इस कम मतदान से विपक्ष उत्साहित है। ऐसे में अब उनके कार्यकर्ता भी जोश में आ गए हैं और विपक्ष कैंपेन को धार देने में जुट गई है। चुनावी पंडित भी मान रहे हैं कि सत्ता विरोधी अंडर करंट साफ दिख रहा है और विपक्ष अगर इसे सही से भुना ले गई तो फिर यह चुनाव बीजेपी के लिए काफी मुश्किल होने वाला है। मतलब ये है कि फिलहाल 400 का जो आंंकड़ा बीजेपी चाहती है वह तो ऐसे मतदान पर संभव नहीं ही है बल्कि यह हो सकता है कि यह आंकड़ा 250 या उससे नीचे आ जाए। ऐसे में अगर पूरा विपक्ष एकजुट रहा और लोगों के मुद्दों को उछालते रहा तो संभव है कि ऊपर ऊपर कुछ न दिखे लेकिन अंडर करंट जो लहर है उसका फायदा विपक्ष को मिल जाए।

पहले चरण के मतदान के बाद विपक्षी नेताओं चाहें वो अखिलेश हों या राहुल गांधी सबका मनोबल बढ़ा हुआ है। विपक्ष के तामाम नेता दावा कर रहे हैं कि अब जनता बीजेपी से परेशान है और इसलिए वो मतदान में उत्साह नहीं दिखा रही है जो निकल रहे हैं वो विपक्ष के वोटर हैं। हालांकि बीजेपी को उम्मीद है कि वो अपनी नई रणनीति और बूथ मैनेजमेंट के दम पर पूरा माहौल अंत तक जाते जाते बदल देगी और 400 का आंकड़ा इस बार जरूर पार होगा। फिलहाल ये तो आने वाला वक्त बताएगा कि इस कम मतदान का किसे फायदा और किसे नुकसान होता है लेकिन इतना तो तय है कि फिलहाल इस चुनाव में जनता का उत्साह बेहद फीका है। आपको क्या लगता है क्या है इसके पीछे वजह और क्या ये बीजेपी के लिए मुश्किले पैदा करेगा, कमेंट जरूर करें मिलते हैं अगले वीडियो में

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