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Lucknow News; भव्य होगा अलीगंज हनुमान मंदिर – मुख्यमंत्री

लखनऊ: यूपी की राजधानी लखनऊ के अलीगंज स्थित हनुमान मंदिर प्रदेश के धार्मिक पर्यटन स्थलों में से एक होगा। जिसे मुख्यमंत्री की पर्यटन विकास सहभागिता योजना के तहत विकसित किया जाएगा। हनुमान मंदिर को भव्य से भव्य बनाने के लिए प्रथम चरण में 191 लाख रूपये दिया जाएगा. मंदिर का विकास कार्य पूर्ण होने के बाद वैदिक कालन झलक दिखेगी। मिली जानकारी के अनुसार नौवीं व दसवीं शताब्दी काल के हिंदू राजाओं के महलों की तर्ज पर झरोखे बनाए जाएंगे। दीवारों पर नक्काशी की जाएगी, जो मंदिर की खूबसूरती में चार चांद लगाएगी। आप को बता दें कि मुख्यमंत्री पर्यटन विकास सहभागिता योजना के तहत प्रदेश के सभी विधानसभा क्षेत्रों में पर्यटन स्थल विकसित किए जाएंगे। पर्यटन विभाग में इसके लिए लगभग 68 प्रस्ताव आ चुके हैं। वहीं मंगलवार को लखनऊ की योजना को स्वीकृति दे दी गई। 50 फीसदी राशि राज्य सरकार और 50 प्रतिशत मंदिर ट्रस्ट खर्च करेगा। पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि इस योजना के तहत जनप्रतिनिधि, संस्था व संगठन भी प्रस्ताव दे सकते हैं।

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जाने क्या है, मंदिर का इतिहास
-डॉ. योगेश प्रवीण की पुस्तक लखनऊनामा के अनुसार इस मंदिर को सुगंधित द्रव्य विक्रेता लाला जाटमल ने 1783 में बनवाया था। मंदिर का मुख्य मंडप उसी समय बनकर तैयार हुआ था। गीता प्रेस गोरखपुर की ओर से प्रकाशित पुस्तक कल्याण के श्री हनुमान अंक में दर्ज तथ्यों के मुताबिक, 19वीं शताब्दी के आरंभ में नवाब शुजाउद्दौला की पत्नी आलिया बेगम की ओर से बसाए गए मोहल्ले अलीगंज में श्री हनुमान मंदिर है, जहां जेठ के प्रत्येक मंगल को होने वाले आयोजन में विभिन्न धर्मों के लोग शामिल होते हैं।

 

नवाब मुहम्मद अली शाह का मंदिर से क्या है नाता
किंवदंती है कि 1792 से 1802 के बीच अवध के तत्कालीन नवाब मुहम्मद अली शाह की बेगम रबिया बेगम को सपने में हनुमान जी ने दर्शन दिया था। कहा जाता है कि जब वह गर्भवती थीं तो फिर सपना देखा। बच्चे के जन्म के बाद वे स्वप्न में दिखाए गए स्थल इस्लामबाड़ी गईं और वहां खोदाई करवाई तो वहां मूर्ति मिली। जिस हाथी पर मूर्ति को लेकर लोग लौट रहे थे, वो अलीगंज पहुंच कर रुक गया और आगे बढ़ा ही नहीं। जैसे ही मूर्ति उतारी गई, हाथी चल पड़ा। वहीं, मौजूद एक साधु ने कहा कि बेगम साहिबा हनुमान जी गोमती पार नहीं जाना चाहते हैं। तब यहीं मूर्ति स्थापित कराई गई। तब गोमती अपनी वर्तमान स्थिति से हटकर अलीगंज के निकट बहती थी।

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