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अरबों डॉलर की कंपनी बायजू कैसे हो गई बर्बाद, मार्केट वैल्यू हुई जीरो, कर्मचारियों को देने के पैसे भी नहीं

शोहरत की बुलंदी भी पल भर का तमाशा है
जिस डाल पे बैठे हो, वो टूट भी सकती है..!!

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ये पंक्तियां कभी देश की सबसे वैल्यूएबल कंपनी एडटेक स्टार्टअप बायजू पर बिल्कुल फिट बैठती हैं। एक समय जिस कंपनी का मार्केट कैप अरबों डॉलर था आज वह जीरो हो चुका है। कंपनी पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी है। कंपनी के संस्‍थापक बायजू रवींद्रन ने खुद एक वर्चुअल प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में इसकी जानकारी दी है और कहा है कि अब उनके पास इतने भी पैसे नहीं हैं कि कर्मचारियों का वेतन दे सकें और इसके लिए उन्हें अपना घर तक बेचना पड़ रहा है। इसका मतलब है कि अरबों डॉलर की यह कंपनी अब दिवालिया हो चुकी है। लेकिन आखिर ऐसा हुआ कैसे? आखिर वो क्या गलतियां थीं जो बायजू करता गया और अरबों डॉलर से उसकी मार्केट वैल्यू सीधे जीरो पर आ गई। चलिए इस वीडियो में इसे जानने की कोशिश करते हैं। 

 

बायजू की पहली बड़ी गलती ये है कि जल्द से जल्द देश की सबसे बड़ी कंपनी बनने का सपना देखना। कोरोना काल में जब  लोग घरों में फंसे थे तब ऑनलाइन एजुकेशन सिस्टम में बड़ा बूम मिला और कंपनी ने इसी दिशा में खुद को विस्तार करने की कोशिश की। पैसा था ही त इसने व्हाइटहैट जूनियर और ग्रेट लर्निंग जैसी बड़ी कंपनियों का अधिग्रहण कर लिया। इसमें व्हाइटहैट जूनियर का अधिग्रहण करीब एक बिलियन डॉलर में किया गया था। इससे बायजू पर 1.2 बिलियन डॉलर से ज्यादा का कर्ज हो गया था लेकिन बायजू को लग रहा था कि जल्द ही वह कर्जे से निकल जाएगा लेकिन यह बड़ी गलती थी।

 

दूसरी गलती हुई वह अति आत्मविश्वास जिसने कोरोना के बूम में इस कंपनी को ऑनलाइन विस्तार के लिए साहस दिया था। जैसे ही कोरोना खत्म हुआ। चीजें ऑफलाइन होनी शुरू हुईं। बच्चे स्कूलों में जाने लगे। ऑफलाइन कोचिंगों पर पहले जैसा भरोसा फिर बढ़ने लगा। चूंकि बायजू सिर्फ ऑनलाइन एजुकेशन की सुविधा दे रही थी तो कंपनी को बुरी तरह से नुकसान होने लगा। वित्त वर्ष 2021-22 में कंपनी ने 5592 करोड़ रुपये का घाटा दिखाया। वहीं पिछले वर्ष के दौरान यह घाटा 2428 करोड़ रुपये था।

 

प्रमोशन पर खूब खर्चा करना

बायजू ने अपने प्रमोशन पर बहुत खर्च किया। मार्केट पर खूब पैसे उड़ाए। शाहरुख खान जैसा बड़ा स्टार रखा गया। कोरोना के समय बड़ी कंपनियों के खरीदने से पहले ही कंपनी कर्ज में थी। कोरोना के बाद यह कर्ज बढ़ता गया और कंपनी फंसती चली गई। जब कंपनी पर कर्ज बढ़ गया तो वह उसे चुकाने में नाकाम होने लगी। जो कर्जदार थे वो दबाव बनाने लगे लेकिन कंपनी कुछ नहीं कर पा रही थी। इस कारण कोर्ट में केस गया। यहां तक की भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) का भी कंपनी से कानूनी विवाद कोर्ट में चल रहा है।

 

 

छात्रों की शिकायतें ना सुनना

कंटेंट के स्तर पर भी कंपनी कुछ खास नहीं कर पाई। जब ऑनलाइन शिक्षा के दौरान बच्चे कंटेंट पर सवाल उठाते या कहते कि सही से नहीं पढ़ाया जा रहा है तो उस तरफ भी मैनेजमेंट ध्यान नहीं दे रहा था। मैनेजमेंट की सोच सिर्फ कंपनी को विस्तार देने में था और यहीं से पतन शुरू हुआ।

 

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