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डीआरडीओ मना रहा अपना 66 वा स्थापना दिवस, रक्षा क्षेत्र में भारत को बुलंदियों पर ले जाने में है अहम योगदान !

दिल्ली आज 1 जनवरी को DRDO अपना 66 वां स्थापना दिवस मना रहा है। इस संगठन में भारतीय सेना का अहम योगदान रहा है। डीआरडीओ का गठन 1958 में भारतीय सेना के पहले से चल रहे तकनीकी विकास प्रतिष्ठान (TDEs) और रक्षा विज्ञान संगठन (DSO) के साथ तकनीकी विकास एवं उत्पादन निदेशालय (DTDP) को मिला कर किया गया था। इसकी स्थापना विश्व स्तरीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी स्थापित करके भारत को समृद्ध और हमारी रक्षा सेवाओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी प्रणालियों और समाधानों से लैस करके निर्णायक बढ़त प्रदान करने के लिए की गई थी।

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आपको बता दे, DRDO का गठन 1958 में किया गया था। डीआरडीओ अपने स्थापना के समय 10 प्रतिष्ठानों या प्रयोगशालाओं वाला एक छोटा संगठन था। धीरे-धीरे यह हर मामले में आगे बढ़ा है चाहे वो विषयों की विविधता हो प्रयोगशालाओं की संख्या हो या इसकी उपलब्धियां हों। इसका मुख्यालय दिल्ली के राष्ट्रपति भवन के निकट ही, सेना भवन के सामने डी आर डी ओ भवन में स्थित है। इसकी एक प्रयोगशाला महात्मा गाँधी मार्ग पर उत्तर पश्चिमी दिल्ली में स्थित है।

 

 

 

इसका मुख्य काम हमारी रक्षा सेवाओं के लिए अत्याधुनिक सेंसर, हथियार, उपकरणों का डिजाइन, विकास और उत्पादन करना व इसके लिए शोध करना है।इसके अलावा यह वैमानिकी, आयुध, इलेक्ट्रॉनिक्स, लड़ाकू वाहन, इंजीनियरिंग सिस्टम, इंस्ट्रूमेंटेशन, मिसाइल, उन्नत कंप्यूटिंग और सिमुलेशन, विशेष सामग्री, नौसेना प्रणाली, जीवन विज्ञान, प्रशिक्षण, सूचना प्रणाली मिसाइलों, आयुध, प्रकाश का मुकाबला करने वाले विमान, रडार, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली जैसे अहम विषयों पर काम करती है।

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