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कूनो नेशनल पार्क में एक और चीते की मौत, जानिए क्यों हो रहीं हैं एक के बाद एक मौतें?

कूनो नेशनल पार्क में चीतों की मौत का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है। अब एक और चीते की मौत की खबर सामने आई है। जिस चीते ने इस बार दम तोड़ा है उसका नाम सूरज था जिसे साउथ अफ्रीका से कूनो नेशनल पार्क लाया गया था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सूरज शुक्रवार सुबह इनक्लोजर के बाहर लेटा हुआ था। जब काफी देर तक उसने मूवमेंट नहीं की, तो पार्क के कर्मचारी उसके पास पहुंचे। जांच करने पर पता चला कि उसकी मौत हो गई है। ये कूनो में एक साल के अंदर आठवें चीते की मौत है, ऐसे में पूरे प्रोजेक्ट पर अब सवाल खड़े हो रहे हैं। इससे तीन दिन पहले तेजस नाम के चीते की मौत हुई थी !

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कूनो नेशनल के पार्क प्रशासन के मुताबिक मॉनिटरिंग टीम को चीता घायल अवस्था में मिला था। उसके गले में चोट के निशान थे। आनन-फानन में डॉक्टरों ने उसका इलाज शुरू किया, लेकिन उसने दम तोड़ दिया। ऐसे में तीन दिन में दो चीतों की मौत से अधिकारियों की नींद उड़ी हुई है। हालांकि बाद में पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि उसके अंगों में इंफेक्शन था। सबसे पहले 27 मार्च को साशा नाम की मादा चीता ने दम तोड़ा। उसको किडनी की बीमारी थी।

 

 

 

बता दें कि इसी साशा ने इस साल मार्च में 4 शावकों को जन्म दिया था, लेकिन मई में निर्जलीकरण और कमजोरी के कारण उनमें से तीन की मौत हो गई है। इसके बाद नर चीता उदय की अप्रैल में मौत हुई। उसको हार्टअटैक आया था। वहीं मई में एक मादा चीता की मौत हुई थी। वो नर चीते के साथ झड़प में घायल हुई थी। आपको बता दें धरती पर सबसे तेज दौड़ने वाले इस वन्यजीव को 1952 में भारत में विलुप्त घोषित कर दिया गया था.

 

 

 

 

जिसके बाद इस वन्यजीव के भारत में दोबारा लाने की कवायद शुरू हुई और इसी के चलते पिछले साल पीएम मोदी के जन्मदिन पर एक भव्य कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में 5 मादा और 3 नर सहित आठ नामीबियाई चीतों को केएनपी के बाड़ों में छोड़ा गया था.इसकी खूब मीडिया कवरेज हुई शेर लाया चीते जैसी हेडलाइंस चलायीं गयीं। इसके बाद इसी साल साउथ अफ्रीका से 12 चीते आए। जिससे कूनो में चीतो की संख्या 20 पहुंच गई थी। फिर एक मादा चीता ने चार शावकों जन्म दिया। ऐसे में उनकी संख्या 24 हो गई। अब तक कुल 8 की मौत हुई है, इसमें तीन शावक शामिल हैं। ऐसे में कूनो में बचे हुए चीतों की संख्या अब 16 रह गयी है।वहीँ वन्यजीव विशेषज्ञों ने अफ्रीकी चीतों को संभालने के तरीके पर सवाल उठाया है और इन जानवरों की देखभाल में अधिक अनुभवी पशु चिकित्सकों की मदद लेने का सुझाव दिया है.

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