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गोंडा जिला अस्पताल की लापरवाही: अस्पताल के गेट पर हुई डिलीवरी…बच्चे की मौत !

गोंडा जिला अस्पताल की तरफ से एक बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया है। यहां मंगलवार, 15 अगस्त को एक महिला ने दर्द से कराहते हुए अस्पताल के गेट पर ही बच्चे को जन्म दिया। महिला दर्द से कराहती रही लेकिन कोई कर्मचारी स्ट्रेचर लेकर बाहर नहीं निकला। इतना ही नहीं जन्म देते समय बच्चा आधा महिला के गर्भ में ही फसा रह गया। जिसके बाद भी किसी नर्स या डॉक्टर ने बाहर आने की जहमत नहीं उठाई। इसके बाद जैसे तैसे परिजनों ने महिला को उठा कर प्रसव कक्ष तक पहुंचाया। लेकिन तब तक बच्चे की मौत हो गयी।

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गोंडा जिला अस्पताल की लापरवाही ने ली नवजात की जान। 

आपको बता दें कि मंगलवार शाम जिला अस्पताल के गेट पर एक महिला ने बच्चे को जन्म दिया। इस दौरान बच्चा गर्भ से आधा ही बाहर आया था कि उसकी मौत हो गयी। महिला का पति आधे घंटे तक स्टेचर की गुहार लगाता रहा। लेकिन स्टेचर नहीं मिला, जिससे परिजन महिला को जिला अस्पताल के अंदर नहीं ले जा पाए। दर्द से कराहते हुए महिला ने अस्पताल के गेट पर ही बच्चे को जन्म दे दिया। जिमें बच्चे की मृत्यु हो गयी। इस मामले में अस्पताल कर्मचारियों की बड़ी लापरवाही सामने आयी है। इस घटना का एक वीडियो भी तेजी से वायरल हो रहा है।

आधे घंटे तक स्टेचर की गुहार लगाता रहा पति। 

दरअसल, पटेल नगर निवासी राजेंद्र प्रसाद अपनी पत्नी अनीता को ऑटो से लेकर करीब शाम 6 बजे जिला अस्पताल पहुंचे। इसके बाद उन्होंने अस्पताल के अंदर जाकर कर्मचारी से स्ट्रेचर लाने को कहा। लेकिन कर्मचारी स्ट्रेचर लेकर बाहर नहीं आये। इस बीच अनीता को तेज प्रसव पीड़ा होने लगी। इसी बीच जिला अस्पताल के गेट पर ही अनीता के गर्भ से आधा बच्चा बाहर आ गया। इसके बाद परिजनों ने जैसे तैसे अनीता को उठाया और अस्पताल के अंदर लेकर गए। लेकिन वहां मौजूद जंजीरों के कारण अंदर तक जाने में काफी समय लग गया। जब तक अनीता को अस्पताल में वार्ड के अंदर ले जाया बच्चा गर्भ में आधा फसा हुआ था। जिस कारण वार्ड में पहुंचकर डिलीवरी तो हो गयी लेकिन बच्चा नहीं बच सका।

मेरे बच्चे की मौत का जिम्मेदार पूरा अस्पताल प्रशासन है।

अनीता के पति का कहना है कि आधे घंटे तक कोई स्ट्रेचर लेकर नहीं आया। जब बच्चा आधा बाहर आ गया तब दो कर्मचारी व्हीलचेयर लेकर बाहर आये। जिस पर परिजनों और आसपास के लोगों ने नाराजगी व्यक्त की। अनीता के पति राजेंद्र ने बताया कि मैंने एम्बुलेंस को भी कॉल की थी। लेकिन एम्बुलेंस नहीं आयी। जिसके बाद मुझे अपनी पत्नी को ऑटो में लेकर अस्पताल आना पड़ा। मैंने कर्मचारियों को स्ट्रेचर लाने को कहा लेकिन कोई नहीं लाया। मैंने नर्स और डॉक्टर से भी गुहार लगाई, लेकिन कोई नहीं आया। मेरे बच्चे की मौत का जिम्मेदार पूरा अस्पताल प्रशासन है। हम अपनी पत्नी को गोद में लेकर अंदर गए।

इस घटना को वहां मौजूद लोगों ने अपने कैमरे में कैद किया। वीडियो में देखा जा सकता है कि अस्पताल के इमरजेंसी में डॉक्टर की कुर्सी खाली पड़ी थी। मतलब वहां पर डॉक्टर मौजूद नहीं थे। इसके बाद परिजन दूसरी मंजिल तक अनीता को गोद में उठा कर डिलीवरी रूम ले कर गए। जहां तैनात डॉक्टर ने नवजात शिशु को मृत घोषित कर दिया। गोंडा की डीएम नेहा शर्मा के आदेश पर तीन सदस्यीय कमेटी इसे मामले की जांच कर रही है। इसके अलावा जिला अस्पताल प्रशासन का कहना है कि वो भी इस मामले की जांच कर रहे हैं।

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