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कौन होगा भाजपा का नया अध्यक्ष? ये तीन नाम चल रहे हैं सबसे आगे

देश की सत्ताधारी पार्टी बीजेपी अब अपने अगले अध्यक्ष को चुनने की दिशा में आगे बढ़ रही है। पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होगा इसके लिए अटकलों का बाजार भी गर्म है। इस बीच गई बड़े नेताओं का नाम भी चल रहा है। इनमें कुछ ऐसे नेता हैं जो रेस में सबसे आगे हैं। इसमें महाराष्ट्र के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस का नाम है। वे सबसे आगे चल रहे हैं लेकिन उनके अलावा भी कई नाम ऐसे हैं जो अचानक से चौंका सकते हैं।

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दरअसल, लोकसभा चुनावों के बाद से ही चर्चा तेज हो गई थी कि जल्द ही जेपी नड्डा की जगह कोई और बीजेपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनेगा। इन नामों में धर्मेंद्र प्रधान, भूपेंद्र यादव, विनोद तावड़े और केशव प्रसाद मौर्य का नाम अब तक चल रहा था लेकिन 28 जुलाई के बाद इस दौड़ में देवेंद्र फडणवीस का नाम शामिल हो गया जो अब सबसे आगे चल रहे हैं।

महाराष्ट्र में यह चर्चा सबसे अधिक हो रही है कि चुनावों को देखते हुए फडणवीस पर ही मुहर लगेगी। क्या देवेंद्र फडणवीस भाजपा के अगले अध्यक्ष हो सकते हैं? इस सवाल पर राजनीतिक पंडित मानते हैं कि पार्टी के संगठन से लेकर महाराष्ट्र सरकार में महत्वपूर्ण दायित्व संभाल चुके होने के कारण उनका नाम सबसे आगे है। पार्टी और संघ के शीर्ष नेताओं से उनके संबंध भी बहुत अच्छे हैं। महाराष्ट्र में सरकार बनाने में भी उनकी भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रही है। बिहार के प्रभारी भी रह चुके हैं। ऐसे में संभव है कि वो ही पार्टी के अगले अध्यक्ष हों।

इस बीच एक और सवाल है। भाजपा के वर्तमान अध्यक्ष जेपी नड्डा ब्राह्मण समुदाय से हैं, लिहाजा पार्टी लगातार दूसरा अध्यक्ष भी ब्राह्मण समुदाय से ही देने से परहेज कर सकती है। इंडिया गठबंधन ने जिस तरह जातिगत जनगणना, ओबीसी और दलित कार्ड का दांव खेला है, उसे देखते हुए इस बात की अटकलें लगाई जा रही हैं कि भाजपा अगला अध्यक्ष ओबीसी या दलित समुदाय से दे सकती है। यदि ऐसा होता है तो धर्मेंद्र प्रधान या भूपेंद्र यादव पार्टी के खांचे में फिट बैठ सकते हैं। पार्टी के केंद्रीय संगठन में कार्य करने का लंबा अनुभव, केंद्रीय मंत्री के रूप में कार्य करने का अनुभव और केंद्रीय नेताओं से उनकी नजदीकी भी उन्हें इस पद के योग्य बनाती है।

इन समीकरणों में केशव प्रसाद मौर्य भी बिल्कुल फिट बैठते हैं। ओबीसी समुदाय से आने वाले मौर्य उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष के साथ-साथ उत्तर प्रदेश सरकार में उपमुख्यमंत्री के महत्वपूर्ण पद पर भी बने हुए हैं। संगठन में रहने और हिंदुत्व के चेहरे के रुप में भी देखा जाता है। संघ को भी उनके नाम पर कोई आपत्ति नहीं होगी। पार्टी उन्हें केंद्र में भेजकर उत्तर प्रदेश में चल रहे राजनीतिक तनाव का भी पटाक्षेप करने की रणनीति अपना सकती है।

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