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सुप्रीम कोर्ट पहुंचा नए संसद भवन का मामला ,सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दाखिल ,19 पार्टियों ने किया विरोध !

NEW Parliament; नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से करवाने के लिए विपक्षी दलो की 19 पार्टिओ ने सुप्रीम कोर्ट में एक पीआईएल दाखिल हुई है. अपील में कहा गया है कि राष्ट्रपति देश की प्रथम नागरिक हैं.ना की प्रधानमंत्री संविधान के अनुच्छेद 79 के मुताबिक राष्ट्रपति संसद का भी हिस्सा हैं. लोकसभा सचिवालय ने उनसे उद्घाटन न करवाने का जो फैसला लिया है, वह गलत है.ये लोकतन्त्र की हत्या है ! इससे ये साफ पता चलता है की बीजेपी संविधान को नहीं मानती है !

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याचिका में कहा गया है कि देश के संवैधानिक प्रमुख होने के नाते राष्ट्रपति ही प्रधानमंत्री की नियुक्ति करते हैं. सभी बड़े फैसले भी राष्ट्रपति के नाम पर लिए जाते हैं.अनुच्छेद 85 के तहत राष्ट्रपति ही संसद का सत्र बुलाते हैं. और अनुच्छेद 87 के तहत उनका संसद में अभिभाषण होता है,

 

जिसके बाद वो दोनों सदनों को सम्बोधित करते है . संसद से पारित सभी विधेयक राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ही कानून बनते हैं. इसलिए, राष्ट्रपति से ही संसद के नए भवन का उद्घाटन करवाया जाना चाहिए.

 

 

याचिकाकर्ता ने कहा है कि 18 मई को लोकसभा सचिवालय ने संसद भवन के उद्घाटन के लिए जो निमंत्रण पत्र जारी किया है, वह असंवैधानिक है. सुप्रीम कोर्ट यह निर्देश दे कि उद्घाटन राष्ट्रपति से करवाया जाए.

 

गुरुवार 25 मई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने पीएम मोदी की निशाना साधते हुए कहा, एक व्यक्ति के अहंकार और खुद का प्रचार करने की इच्छा ने देश की पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपित के हाथों से संसद का उद्घाटन किए जाने का गौरव छीन लिया. ऐसे प्रधानमंत्री हमने कभी नहीं देखा !

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