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निठारी कांड: बेगुनाहों के खून से रंगी कोठी, कहानी सुरेंद्र कोली और मोनिंदर की।

निठारी कांड मामला एक बार फिर चर्चा में है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नोएडा के चर्चित निठारी कांड के आरोपी सुरेंद्र कोली को बरी कर दिया। सोमवार को हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कोली को 12 और मनिंदर को दो मामलों में बरी करते हुए फांसी की सजा रद्द कर दी। कोली पर आरोप था कि वह लड़कियों को लालच देकर कोठी पर बुलाता था। उबलात्कार करने के बाद उनकी हत्या कर देता था। लाश के टुकड़े करके नाले में फेक देता था। यहीं नहीं उन पर मानव अंगों की तस्करी, बच्चों से दुष्कर्म और हत्या कभी आरोप लगा। यह एक ऐसा कांड था जिसके सामने आने के बाद लोगों का दिल दहल उठा था। लोगों ने आरोपियों की तुलना नर पिशाच से कर डाली थी।

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आपको बता दें कि निठारी कांड में सीबीआई ने 16 मामले दर्ज किये थे। हाई कोर्ट ने कोली को 12 मामलों में बरी किया है। वहीं कोठी D-5 के मालिक मोनिंदर सिंह पंढेर को 2 मामलों में बरी किया गया है। हाई कोर्ट ने सीधे तौर पर कोई सबूत और गवाह न होने के आधार दोनों को बरी किया है। न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति एसएएच रिजवी की अदालत ने यह फैसला सुनाया। दिसंबर 2006 में हुए इस कांड के खुलासे ने लोगों को हिला कर रख दिया था।

निठारी कांड: क्या है दिल दहलाने वाला पूरा मामला ?

बात 2006 की है, जब नोएडा सेक्टर-31 के पास गांव निठारी गांव के डी-5 कोठी के बगल से नरकंकाल मिलने शरू हुए। यह कोठी मोनिंदर सिंह पंढेर की थी। चंडीगढ़ के मोनिंदर सिंह पंढेर ने ये कोठी 2005 में खरीदी थी। नोएडा में ही पंढेर की कंपनी थी, ऐसे में एक ठिकाने के तौर पर ये कोठी उसने खरीदी थी। मोनिंदर परिवार चंडीगढ़ में रहता था। ऐसे में मोनिंदर ने चंडीगढ़ में नौकरी कर चुके सुरेंद्र कोली को नोएडा बुला लिया। बताते हैं कि सुरेंद्र खाना बनाने में एक्सपर्ट था।

सुरेंद्र कोली उत्तराखंड के अल्मोड़ा के एक गांव का रहने वाला था। वह ब्रिगेडियर के घर खाना बनाने का काम करता था। 2003 में कोली मोनिंदर के संपर्क में आया। जिसके बाद वह सेक्टर-31 डी-5 कोठी में काम करने लगा। वह कोठी में ही छत पर बने एक कमरे में रहने लगा। लेकिन महीने में अधिकांश दिन मोनिंदर सिंह कहीं न कहीं टूर पर ही रहता था। लिहाजा, कोठी में मालिक की तरह सुरेंद्र ही रहता था।

कोठी के पीछे नाले से मिली 16 मानव कंकाल 

दरअसल, साल 2006 में नोएडा प्राधिकरण को डी-5 कोठी के पास वाले नाले से सफाई के दौरान नर कंकाल मिले। इसी दौरान घरों में साफ-सफाई करने वाली एक महिला 2006 में लापता हुई। घर से चलते समय वह पति को बताकर गई थी कि उसे सुरेंद्र कोली ने बुलाया है। इसलिए वह पंढेर की कोठी संख्या डी-5 पर काम की बात करने जाएगी। जिसके बाद से उसका कोई अता-पता नहीं चला। इसी दौरान 24 दिसंबर 2006 को जब कोठी के पीछे नाले से मिली 16 मानव खोपड़ियां की पुलिस ने जांच कराई। तो पता चला कि उनमें से एक खोपड़ी उक्त लापता महिला की भी थी। आपको बता दें कि इस सब के बीच कई गांव वालों ने बच्चों तथा लड़कियों की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। ऐसे में पुलिस सुरेंद्र कोली के खिलाफ केस दर्ज किया।

29 दिसंबर 2006 को निठारी कांड खुलने के बाद आरोपी कोली ने कोठी के पीछे गैलरी से भी काफी सामान बरामद कराया था। इसमें कपडे़, चप्पल, जूते आदि शामिल थे। इसमें एक साड़ी वह भी बरामद हुई थी, जिसे घटना वाले दिन लापता महिला पहनकर घर से निकली थी। डीएनए टेस्ट से चूंकि लापता महिला की सटीक जानकारी नहीं मिल सकी थी। ऐसे में उसका एक फोटो और बरामद खोपड़ियां चंडीगढ़ सीएफएसएल भेजी गईं। फोटो के सुपर इंपोजिकल ऑफ इस्कल टेस्ट के बाद फोरेंसिक एक्सपर्टस ने एक खोपड़ी को लापता महिला की खोपड़ी करार दिया था। इस तरह से निठारी के नर पिशाच का काला सच सबके सामने आ गया था।

उत्तर प्रदेश सरकार ने मामला सीबीआई को सौंप दिया था।

इसके बाद 11 जनवरी 2007 को उत्तर प्रदेश सरकार ने मामला सीबीआई को सौंप दिया। सीबीआई ने आरोपियों से पूछताछ की और 28 फरवरी और 01 मार्च 2007 को दिल्ली में एसीएमएम की कोर्ट में अपना इकबालिया बयान दर्ज कराया। इसमें आरोपियों ने वारदात को कबूल किया था। सीबीआई की जांच में पता चला कि आरोपियों ने मासूम बच्चों को कोठी में बुलाकर उनके साथ रेप किया। जिसके बाद उनकी गला घोंटकर हत्या की। इतना ही नहीं, इन बच्चों के शवों के टुकड़े किए और भगौने में पकाकर खा भी गए थे।

निठारी कांड के खुलते ही देश भर में हलचल मच गई थी। यह इतना भयानक कांड था, कि इसने पूरे देश और दुनिया को हिलाकर रख दिया। आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा की मांग देश के कोने-कोने से उठी। मामले की गंभीरता को देखते हुए सीबीआई ने इसकी जांच शुरू की थी।आपको बारे दें कि कोली को अब तक लोवर कोर्ट से 13 मामलों में तथा पंढेर को तीन मामलों में फांसी की सजा हो चुकी है। हालांकि, इनमें से कोली को 12 मामलों में अब हाईकोर्ट ने बरी कर दिया है। वहीं पंढेर को दो मामलों में बरी किया गया है।

 

 

 

 

 

 

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