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क्या नितीश बनेंगे विपक्षी एकता के कप्तान? मोदी-शाह की जोड़ी का इसपर क्या है प्लान

पटना में विपक्षी दलों की बैठक की पहल नितीश ने की थी। अब बंगलुरु में होने वाली बैठक में भी उनकी भूमिका महत्वपूर्ण बतायी जा रही है।

 

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बिहार की राजधानी पटना के बाद मंगलवार यानी 18 जुलाई को बैंगलुरु में विपक्षी दलों की बैठक होनी है। 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले होने वाली इस विपक्षी बैठक को कई मायनों में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। माना जा रहा है कि इस बैठक में कई बड़े फैसले किये जा सकते हैं। सूत्रों के अनुसार पटना में हुई पिछली बैठक में शामिल लगभग 16 विपक्षी दलों के नेता द्वारा यह तय हुआ था कि दूसरी बैठक में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होगी। बैंगलुरु में होने वाली इस बैठक में 24 विपक्षी पार्टियों के नेताओं के शामिल होने की संभावना है।

 

 

 

 

 

विपक्षी दलों की बैठक में होंगे बड़े फैसले

कहा जा रहा है कि बैंगलुरु में होने वाली इस बैठक में बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार को लेकर बड़ा फैसला लिया जा सकता है। पटना में विपक्षी दलों की बैठक नितीश कुमार की पहल पर हुई थी तो वहीं बंगलुरु में होने वाली बैठक में कांग्रेस की भूमिका अहम बतायी जा रही है। दरअसल पटना में हुई बैठक में नीतीश कुमार के प्रयास की काफी तारीफ हुई थी। इस प्रयास को आगे भी बढ़ाने की बात कही गयी थी। इसीलिए यह चर्चा तेज है कि बेंगलुरु की बैठक में नीतीश कुमार को संयोजक बनाने की घोषणा की जा सकती है। आपको बता दें कि नीतीश कुमार की बीजेपी के विरोधी खेमे के कई बड़े नेताओं से अच्छे संबंध हैं इसके अलावा वो उतर भारत के बड़े ओबीसी नेता के तौर पर भी पहचान रखते हैं, जिनकी जाति का वोट हिन्दी बेल्ट के कई राज्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके साथ ही नीतीश कुमार का लंबा राजनीतिक अनुभव और बेदाग छवि भी नए गठबंधन को फायदा पहुंचा सकता है। इसके अलावा संयोजक में दूसरा नाम सोनिया गांधी का भी हो सकता है क्योंकि इससे पहले भी सोनिया गांधी दो बार UPA गठबंधन को अच्छे तरह से लीड कर चुकी हैं। इस बार भी कांग्रेस की कोशिश है कि सोनिया गांधी के सहारे एक ऐसा रास्ता निकाला जाएजो 2024 में मजबूत गठबंधन बन कर बीजेपी को टक्कर दे सके। इसके अलावा इस बैठक में 2024 के मद्देनज़र होने वाले लोकसभा चुनाव की रणनीति, विपक्षी पार्टियों की भूमिका आदि पर भी अहम चर्चा होनी है।

 

 

 

 

 

बीजेपी कर रही अपने पुराने सहयोगियों को एकजुट

दूसरी तरफ ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने एनडीए में शामिल होने का एलान किया है जिनका बड़ा जनाधार पूर्वी उत्तर प्रदेश में है। मोदी, शाह और योगी की कड़ी आलोचना करते रहे ओमप्रकाश राजभर की पार्टी को एनडीए में शामिल करना इस ओर इशारा करता है कि बीजेपी ने अपने पुराने सहयोगियों को दोबारा अपने पाले में लेने की कोशिश तेज कर दी है। खासकर विपक्षी दलों के बीच हुई पटना की बैठक के बाद बीजेपी ने भी अपनी तैयारियां तेज़ कर दी है। अमित शाह ने पिछले दिनों विपक्षी दलों की बैठक को ’20 लाख करोड़ रुपये का घोटाला करने वाली पार्टियों की बैठक’ करार दिया। लेकिन विपक्षी दलों की दूसरी बैठक की खबर के साथ ही बीजेपी की एनडीए के अपने पुराने सहयोगियों के साथ बैठक करने की चर्चाएं भी तेज़ हो गयी। जहाँ एक ओर बेंगलुरू में विपक्षी दलों की बैठक 17 और 18 जुलाई को हो रही है। वहीं बीजेपी ने भी नई दिल्ली में एनडीए के सहयोगी दलों की बैठक 18 जुलाई को ही बुलाई है। ये बैठक मानसून सत्र के दो दिन पहले ही की जा रही है। ऐसे में कहा जा रहा है कि ये बैठक सदन में सहयोगी दलों के बीच समन्वय की रणनीति पर विचार करने के लिए बुलाई गई है, लेकिन माना ये जा रहा है कि इस बैठक का असली मकसद ये बीजेपी की ओर से एनडीए के नए-पुराने सहयोगियों को एकजुट करना है।

 

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