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लोकसभा चुनाव में यूपी से बीजेपी को जो उम्मीद थी वह धराशाही हो गई !

गोंडा :  80 लोकसभा वाली यूपी से एनडीए को मात्र 36 सीटों में ही संतोष करना पड़ा, वहीँ इण्डिया गठबंधन के खाते में 43 गई जिसमे से सबसे अधिक समाजवादी पार्टी को मिली। वहीँ मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में यूपी से 9 मंत्री बनाये गए जिसमे से देवीपाटन मंडल की गोंडा लोकसभा से मनकापुर राजघराने के पूर्व सदस्य कीर्तिवर्धन सिंह लगातार तीसरी बार देश की सबसे बड़ी पंचायत में पहुंचे। और मोदी सरकार में इस बार उन्हें राज्यमंत्री बनाया गया है। राज्यमंत्री बनाए गए कीर्तिवर्धन सिंह गोंडा लोकसभा सीट से पांचवीं बार सांसद बने हैं। विज्ञान परास्नातक कीर्तिवर्धन सिंह ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत 1998 में समाजवादी पार्टी से थी.

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बृजभूषण और कीर्तिवर्धन की पुरानी है अदावत
कीर्तिवर्धन सिंह ने भाजपा प्रत्याशी बृजभूषण शरण सिंह को हराकर अपने पिता आनंद सिंह की हार का बदला लिया था और पहली बार संसद पहुंचे थे. भाजपा नेता बृजभूषण सिंह और मनकापुर राजघराने की पुरानी अदावत है। अक्सर बृजभूषण मनकापुर राजघराने पर टिपण्णी करने से नहीं चूकते है। लोगों की माने तो कीर्तिवर्धन सिंह का कद बढ़ना बृजभूषण सिंह के लिए बड़ी चुनौती है। अक्सर अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहने वाले बृजभूषण का दबदबा अब देवीपाटन मंडल में कायम रह सकेगा या नहीं यह आने वाला समय बताएगा। लेकिन कीर्तिवर्धन सिंह का मंत्री बनना कहीं न कहीं बृजभूषण को झटका जरूर है।

 

इंदरा गांधी के समय लगे नारे
अगर मनकापुर राजघराने की बात करें तो कीर्तिवर्धन के पिता आनंद सिंह भी गोंडा से चार बार सांसद चुने गए. उन्होंने 1971 के चुनाव उन्होंने 1971 के चुनाव में पहली बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीता. इसके बाद 1980, 1984 और 1989 में हुए चुनावों में भी आनंद सिंह ने जीत ने जीत हासिल की थी. एक समय जब इंदिरा गाँधी तक चुनाव हार गईं तो उस समय भी मनकापुर राजघराने के आनंद सिंह चुनाव जीते एक नारा दिया गया उनके उपनाम के साथ अन्नू नहीं यह आंधी है,पुरे जनपद का गाँधी है और वह चुनाव गए। हालांकि 1991 में आनंद सिंह बीजेपी के बृजभूषण शरण सिंह से चुनाव हार गए. इसके बाद 1996 में वह सपा के टिकट पर चुनाव लड़े, लेकिन इस बार भी सफलता हाथ नहीं लगी और वह बृजभूषण शरण सिंह की पत्नी केतकी देवी सिंह से हार गए..लगातार दो चुनाव हारने के बाद आनंद सिंह ने अपनी राजनीतिक विरासत अपने बेटे कीर्तिवर्धन सिंह को सौप दी.

 

कीर्तिवर्धन ने बृजभूषण को हरा कर लिया पिता का बदला
कीर्तिवर्धन ने सपा के टिकट पर पहली बार 1998 में चुनाव लड़ा और बीजेपी प्रत्याशी बृजभूषण शरण को हराकर पिता की हार बदला लिया. हालांकि 1999 में यहां से बृजभूषण ने जीत हासिल की. उसके बाद 2004 में भी कीर्तिवर्धन सांसद चुने गए. 2009 में गोंडा से कांग्रेस की टिकट पर बेनी प्रसाद वर्मा ने चुनाव जीता. यह चुनाव हारने के बाद कीर्तिवर्धन सिंह 2014 में बीजेपी में शामिल हो गए और यहां से बीजेपी की टिकट पर जीत हासिल की. उसके बाद लगातार तीन बार कीर्तिवर्धन सिंह ने जीत की हैट्रिक लगाई..गोंडा लोकसभा सीट पर अब तक 17 चुनाव हो चुके हैं. सबसे ज्यादा बार इस सीट से चुने जाने का रिकॉर्ड अब कीर्तिवर्धन सिंह के नाम दर्ज था, लेकिन यह रिकॉर्ड उनके ही बेटे कीर्तिवर्धन सिंह ने तोड़ दिया. कीर्तिवर्धन सिंह इस सीट से पांचवीं बार सांसद चुने गए. वहीं बृजभूषण शरण सिंह ने इस सीट दो बार जीत दर्ज की है, जबकि एक बार उनकी पत्नी केतकी देवी सिंह सांसद चुनी गई हैं.

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