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राम मंदिर में क्यों रामलला की 51 इंच की मूर्ति की ही हो रही है प्राण प्रतिष्ठा?

अयोध्या के राम मंदिर में जब 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा होगी तो पांच साल के राम लला की 51 इंच की मूर्ति मंदिर के गर्भगृह में स्थापित की जाएगी. ये श्याम वर्ण वाली होगी. इसमें 5 साल के बाल स्वरूप में श्रीराम कमल पर विराजमान होंगे. ऐसे में अब ज्यादातर लोग ये जानना चाह रहे हैं कि आखिर 51 इंच की ही मूर्ति क्यों तो चलिए विस्तार से इस बारे में बताते हैं।

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हिंदू धर्म में आमतौर पर बाल्यकाल को 05 साल की उम्र तक माना जाता है. इसके बाद बालक को बोधगम्य माना जाता है.चाणक्य और दूसरे विद्वानों ने इस पर साफ कहा है कि पांच साल की उम्र तक बच्चे की हर गलती माफ होती है, क्योंकि वो अबोध होता है.

हमारे ग्रंथों में भी पांच साल की उम्र तक भगवान और दिव्य पुरुषों की बाल लीला का अधिक आनंद लिया गया है. भगवान राम की पांच साल की उम्र की मूर्ति स्थापित किए जाने के संबंध में काकभुशुंडी के श्लोक बहुत सामयिक और सटीक लगते हैं.

भारत में मौजूदा दौर में पांच साल के बालक की ऊंचाई मोटे तौर पर 43 से 45 इंच के आसपास मानी जाती है लेकिन राम जिस दौर में पैदा हुए, उसमें आम लोगों की औसत लंबाई कहीं ज्यादा होती थी. इस लिहाजा 51 के शुभ नंबर को देखते हुए उनकी ऊंचाई 51 मानी गई.

ये मूर्ति काले पत्थर की क्यों. दरअसल राम लला की मूर्ति को शालिग्राम पत्थर से बनाया गया है, जिनसे हिंदू धर्म के देवी देवताओं की मूर्तियां बनाई जाती हैं. इसे पवित्र पत्थर मानते हैं. शालिग्राम काले रंग के चिकने, अंडाकार पत्थर होते हैं. धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक, शालिग्राम भगवान विष्णु के विग्रह स्वरूप हैं. ये एक प्रकार का जीवाश्म पत्थर है. शालिग्राम आमतौर पर पवित्र नदी की तली या किनारों से इकट्ठा किया जाता है.

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