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सपनों की मौत: कागजी सिस्टम, बेसमेंट की पढ़ाई, आखिर किसकी लापरवाही? दिल्ली में 3 छात्रों की मौत का जिम्मेदार कौन?

अंडरग्राउंड कोचिंग, कागजी सिस्टम और उम्मीदों की मौत, दिल्ली में यूपीएससी की तैयारी करने वाले बच्चों की कोचिंग संस्थान में हुई मौत का आखिर कौन जिम्मेदार, आज हर कोई पूछ रहा है ये सवाल? कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में पानी भर जाने से दो छात्राओं और एक छात्र की जो मौत हुई है आखिर उसके लिए किसे दोषी ठहराया जाए? दिल्ली सरकार को, लापरवाह कोचिंग सेंटर को, आखिर इन मौतों का हिसाब कौन देगा? सिस्टम पर सवाल उठाते इस हादसे के पीछे की कहानी आप जानेंगे और दंग रह जाएंगे। किस तरह से ये कोचिंग वाले करोड़ों का व्यापार कर रहे हैं लेकिन बच्चों की सुरक्षा के नाम पर इनके पास कुछ नहीं है? कैसे आंखें मुंदे सरकार काम कर रही है और कैसे सिस्टम में सड़ांध आ चुका है, यह हादसा इसकी बानगी है। चलिए विस्तार से इस वीडियो में हम आपको बताते हैं कि आखिर ये घिनौना खेल कैसे लगातार चल रहा है और सब आंखों पर पट्टी बांधे हैं।

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दिल्ली की राउस आईएएस स्टडी सर्किल कोचिंग में पानी भरने से दो छात्राओं और एक छात्र की मौत जाती है। आईएएस बनकर समाज की सेवा करने का सपना देखकर इन छात्रों और उनके परिवारों का सपना एक झटके में टूटकर बिखर जाता है। परिवारवालों के आंखों में आंसू हैंं। जो छात्र दिल्ली में रहकर कोचिंग कर रहे हैं सभी डरे और सहमे हुए हैं लेकिन सवाल किससे किया जाए? किसे दोषी ठहराया जाए? इन मौतोंं के लिए आखिर किसे जिम्मेदार बताया जाए, हर कोई बस यही पूछ रहा है।

ये घटना हुआ कैसे पहले वो जान लीजिए। बेसमेंट में कोचिंग संस्था ने लाइब्रेरी बनाई हुई है जहां जलनिकासी का कोई जगह नहीं है। पानी जब अंदर भरा तो ये बच्चे लाइब्रेरी में बैठकर पढ़ाई कर रहे थे और वहीं फंस गए। उसमें से निकल ही नहीं पाए। सवाल ये है कि आखिर ये छात्र वहां से निकल क्यों नहीं पाए। तो कुछ प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो कुछ दिन पहले ही बेसमेंट के दरवाजे पर में कुछ दिन पहले ही बायोमैट्रिक सिस्टम लगाया गया था. छात्रों की एंट्री इसी के जरिए होती थी। पानी भरने और बिजली सप्लाई ना होने से बायोमैट्रिक सिस्टम फेल गया. ऐसे में अंदर फंसे स्टूडेंट्स बाहर नहीं निकल सके.
पानी का बहाव बहुत तेज था और पानी निकलने का कोई रास्ता था ही नहीं। ये छात्र छटपटाते रहे लेकिन बाहर निकल नहीं पाए और पानी में डूबकर इनकी मौत हो गई।
अब यहां कैसे लापरवाही हुई उसे भी समझ लीजिए। बेसमेंट में लाइब्रेरी अवैध रूप से चल रही थी। इसमें सिर्फ एक एंट्री और एग्जिट पॉइंट था और ये बायोमेट्रिक था. बाढ़ के कारण सिस्टम बंद हो गया था. अगर बायोमिट्रिक एग्जिट नहीं होता, एग्जिट फ्री होता तो सभी छात्र वहां से सुरक्षित निकल सकते थे लेकिन कोचिंग संचालकों की इस लारवाही का शिकार ये तीन छात्र हो गए। अब सवाल दोबारा यही है कि अगर अवैध रूप से लाइब्रेरी चल रहा था तो प्रशासन कहां सो रहा था? राज्य सरकार का आखिर काम क्या है? कोचिंग संचालक जो लाखों में फीस ले रहे हैं क्या उन्हें अपने बच्चों के जान की परवाह नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि अब गिरफ्तारी के बाद खुद कोचिंग संचालक ने माना है कि बेसमेंट में जल निकासी की कोई व्यवस्था नहीं थी, जिसके कारण हादसा हुआ है. फिलहाल पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है और दो गिरफ्तारियां की हैं. इनमें कोचिंग सेंटर का मालिक और कोऑर्डिनेटर शामिल है. जिन स्टूडेंट्स की जान गई है, उनमें उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर की श्रेया यादव, तेलंगाना की तान्या सोनी और केरल के एर्नाकुलम के नवीन डल्विन का नाम शामिल है। इस घटना के बाद से लोगों में आक्रोश है। लोगों ने तुरंत दोषियों को कड़ी सजा देने और ऐसे कोचिंग संस्थानों को बंद करने की मांग की है। आपकी इस बारे में क्या राय है कमेंट कीजिए।

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