Hindi English Marathi Gujarati Punjabi Urdu
Hindi English Marathi Gujarati Punjabi Urdu

भाजपा से क्यों नाराज हैं नीतीश कुमार? बड़ा कदम उठाने वाले है नितीश!

बिहार के सीएम नीतीश कुमार कब नाराज हो जाएं, कोई नहीं जानता. बेशक,वे अपनी नाराजगी का संकेत जरूर दे देते हैं. वे जब चुप्पी साध लें तो लोग मान लेते हैं कि कुछ न कुछ तो गड़बड़ है. उनकी नाराजगी भी किसी एक मुद्दे पर भले जाहिर होती है, लेकिन इसके लिए वे शिकायतों का पुलिंदा तैयार करते रहते हैं. उनका गुस्सा तब फूटता है, जब उनके मन का न हो या उनकी मर्जी के खिलाफ हो. नीतीश कुमार पिछले काफी समय से से एक-दो मौकों को छोड़कर सक्रिय भी नजर नहीं आ रहे. सार्वजनिक होते भी हैं तो मीडिया से दूर ही रहते हैं. उनके साथ साये की तरह हरदम मंडराते रहने वाले मंत्री विजय चौधरी और अशोक चौधरी भी साथ नहीं दिख रहे. दोनों डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा और सम्राट चौधरी भी किनारे-किनारे ही रह रहे हैं. नीतीश का यह रूप तब-तब सामने आता है, जब वे कुछ चौंकाने वाला कदम उठाने वाले होते हैं. राजनीतिक विश्लेषक नीतीश के इस रूप का अलग-अलग अंदाज में आकलन कर रहे हैं.

- Advertisement -

 

विश्लेषकों का एक तबका इसे भाजपा से नीतीश की नाराजगी के रूप में देख रहा है. नाराजगी के कारण भी गिना-बता रहा है. ऐसे लोग मानते हैं कि नीतीश इस बार भाजपा के साथ खुले मन से गए तो हैं, लेकिन भाजपा उनकी भावनाओं को समझ नहीं पा रही है. बिहार को विशेष राज्य के दर्जे की उनकी मांग केंद्र सरकार ने सिरे से खारिज कर दी. इसकी भरपाई विशेष पैकेज से तो की, लेकिन विपक्ष ने जिस तरह विशेष राज्य को मुद्दा बना लिया है, उससे नीतीश आहत हैं. नीतीश की नाखुशी का दूसरा कारण यह बताया जा रहा है कि बड़ी मुश्किल से उन्होंने जाति जनगणना का मुद्दा आरजेडी के हाथ से झटका था. केंद्र के इनकार के बाद राज्य सरकार ने तमाम बाधाओं को पार करते हुए 500 करोड़ के खर्च से जाति सर्वेक्षण कराया. जाति सर्वेक्षण को जरूरी और जायज ठहराने के लिए उन्होंने उसी के जैसे आरक्षण की सीमा बढ़ा कर 65 प्रतिशत की फिर यह मामला कोर्ट में अंटक गया है.नीतीश की सारी कवायद पर पानी फिर गया है. उन्हें तकलीफ इस बात की है कि केंद्र सरकार ने अगर इसे संविधान की नौंवी अनुसूची में शामिल कर लिया होता तो यह नौबत ही नहीं आती. विपक्ष अब नीतीश कुमार को इस मुद्दे पर घेरने में लगा है. इससे उनका गुस्सा स्वाभाविक है.

 

वक्फ संशोधन बिल भी नीतीश की नीतियों के खिलाफ है. यह अलग बात है कि गठबंधन धर्म का पालन करते हुए जेडीयू ने लोकसभा में इसका समर्थन किया है, लेकिन नीतीश ऐसे मुद्दों से दूर ही रहते आए हैं. जेडीयू के मुस्लिम नेता भी वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ आवाज उठाने लगे हैं. नीतीश की नाखुशी का यह भी एक कारण हो सकता है.

 

जानकार मानते हैं कि नीतीश कुमार को एक और भय सता रहा है. प्रशांत किशोर का बिहार के राजनीतिक फलक पर अभ्युदय जितना इंडिया ब्लाक की अग्रणी पार्टी आरजेडी के लिए खतरे की घंटी बना हुआ है, उससे कम नीतीश के लिए नुकसानदेह नहीं है. प्रशांत किशोर भले अपनी गोटी जमाने के लिए भाजपा को भी निशाने पर रखने से परहेज नहीं करते, लेकिन सबसे अधिक वे आरजेडी और जेडीयू को ही अपना निशाना बनाते हैं. तो ऐसा में कुछ कहा नहीं जा सकता की कब नितीश का दिमाग ठनके, और वो कब क्या फैसला ले लें।

विज्ञापन बॉक्स (विज्ञापन देने के लिए संपर्क करें)

The specified carousel is trashed.

इसे भी पढे ----

वोट जरूर करें

क्या आपको लगता है कि बॉलीवुड ड्रग्स केस में और भी कई बड़े सितारों के नाम सामने आएंगे?

View Results

Loading ... Loading ...

आज का राशिफल देखें