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सर्व सेवा संघ: गांधी, विनोबा और जेपी की यादों पर चला बुलडोजर, मौके पर भारी फोर्स !

सर्व सेवा संघ: वाराणसी में रेलवे जिला प्रशासन पुलिस और रेलवे सुरक्षा की टीम शनिवार सुबह 7.30 बजे ही सर्व सेवा संघ पर मौजूद है। सुबह से ही वाराणसी के सर्व सेवा संघ परिसर के 80 मकानों को गिराने की कार्यवाही की जा रही है। इसके लिए छह बुलजोजरों का प्रयोग किया जा रहा है। 3 घंटे में करीब 12 बिल्डिंगों को गिराया जा चुका है। इस दौरान सर्व सेवा संघ परिसर में लोगों ने जमकर हंगामा भी किया। इसके अलावा गांधी, विनोबा, जेपी को मानने वालों ने भी इसका काफी विरोध किया। लेकिन पुलिस ने उन्हें परिसर के अंदर नहीं जाने दिया। परिसर में और उसके आस-पास भारी संख्या में पोलिकबल तैनात किया गया है।

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वाराणसी के सर्व सेवा संघ परिसर पर चला प्रशासन का बुलडोजर।

आज सुबह से ही गांधी, विनोबा और जेपी की तपोस्थली कहे जाने वाले सर्व सेवा संघ परिसर में सुबह से ही बुलडोजर चलाये जा रहे हैं। सबसे पहले परिसर स्थित गेस्ट हाउस को गिराया गया। जिसे लेकर परिसर में रहने वाले व अन्य लोगों ने इसका काफी विरोध किया। लेकिन किसी की एक भी सुनी नहीं गयी। सर्व सेवा संघ का मुख्य द्वार बंद करने के बाद मकानों पर बुलडोजर चलाये जा रहे हैं। वहीं इसका विरोध करने वाले राम धीरज सहित पांच अन्य लोगों को पुलिस हिरासत में लिया गया है।

भारत के पहले राष्ट्रपति की अध्यक्षता में हुई थी स्थापना।

आपको बता दें कि गांधी विचार के राष्ट्रीय संगठन सर्व सेवा संघ की स्थापना मार्च 1948 में हुई थी। इसकी स्थापना भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की अध्यक्षता में हुई थी। आचार्य विनोबा भावे के मार्गदर्शन में क़रीब 62 साल पहले सर्व सेवा संघ भवन की नींव रखी गई। जिसका मकसद महात्मा गांधी के विचारों का प्रसार करना था। यहां रहकर गांधी-विनोबा-जेपी ने आजाद भारत की संकल्पना पर विमर्श भी किया था। संघ से जुड़े लोगों ने आरोप लगाते हुए कहा कि रेलवे की ओर से यह भूमि दी गयी थी। जिसे बाद में नियमों के विपरीत जाकर वापस ले लिया गया। यहीं नहीं मामला लंबित होने के बाद भी ध्वस्तीकरण शुरू कर दिया गया।

दो दिन पहले किसान नेता राकेश टिकैत, योगेंद्र यादव और मेधा पाटेकर ने परिसर को बचाने के लिए आवाज बुलंद की थी। जमीन को बचाने के लिए पिछले करीब 80 दिनों से संघ के लोग धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। इससे जुड़े कई कागज़ भी दिखाए गए लेकिन सारे दावों को नकार दिया गया। बता दें वाराणसी में दक्षिणी इलाके में बने नामों घाट से सटे राजघाट की 13 एकड़ जमीन पर सर्व सेवा संघ बना है। जिसमें प्रकाशन, गांधी विद्या संस्थान, साधना स्थल, गांधी स्मारक, जेपी प्रतिमा व आवास हैं। इसके अलावा औषधालय, वाचनालय, अतिथि गृह, चरखा प्रशिक्षण केंद्र, बालवाड़ी और डाक घर बने हैं। पेड़ पौधों से सजा परिसर हरा-भरा है। जहां कभी-कभी गांधी के विचारों से प्रेरित लोग मिलते हैं।

बड़े प्रोजेक्ट का तैयार किया गया है ब्लूप्रिंट।

परिसर की जमीन ऐसी हैं जहां से पानी, सड़क और रेल तीनों से यातायात की सुविधा उपलब्ध है। माना जा रहा है कि इसके महत्व को देखते हुए ही प्रशासन की नजर भी जमीन पर पड़ी। ऐसे में सरकार ने यहां किसी बड़े प्रोजेक्ट का ब्लूप्रिंट तैयार किया है। यह पूरी जमीन कभी रक्षा मंत्रालय की थी। रक्षामंत्रालय से यह जमीन बाद में रेलवे ने खरीद ली थी। जानकारी अनुसार रेलवे ने ये जमीन सर्व सेवा संघ को बेच दी थी। कुछ समय पहले ही इस जमीन के मालिकाना हक़ को लेकर मामला हाईकोर्ट पहुंचा। हाईकोर्ट के आदेश पर ही वाराणसी जिलाधिकारी ने मामले की जांच की। रिपोर्ट में कहा गया कि रेलवे ने यह जमीन 1941 में रक्षा विभाग से खरीदी थी। इस जमीन को आगे चलकर किसी निजी व्यक्ति या निजी संगठन को बेचने की नीति नहीं थी।

इसके बाद याचियों ने डीएम के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन कोई राहत नहीं मिली। बल्कि एक सलाह देते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि स्थानीय न्यायालय में लंबित मुकदमे के मामले में आवेदन कर सकते हैं। बाद में, सर्व सेवा संघ ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की। लेकिन वहां भी उन्हें निराशा ही हाथ लगी। सुप्रीम कोर्ट ने स्थानीय अदालत जाने की सलाह दी थी। इसके बाद संघ की ओर से सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट में वाद दाखिल हुआ। लेकिन अभी इस मामले में सुनवाई नहीं हुई है।

 

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