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मंगल ग्रह पर वैज्ञानिकों को मिली ऐतिहासिक सफलता, पानी की खोज से जीवन की संभावना बढ़ी

पर्थ: मंगल ग्रह पर वैज्ञानिकों ने एक ऐतिहासिक सफलता हासिल की है। वर्षों से चली आ रही खोज के बाद, वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह की सतह पर पानी के साक्ष्य खोज निकाले हैं। इस खोज से लाल ग्रह पर जीवन की संभावना को लेकर नई उम्मीदें जगी हैं।

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मंगल ग्रह का निर्माण लगभग 4.5 अरब वर्ष पहले हुआ था, और इस दौरान पानी की मौजूदगी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अनुसंधानों के अनुसार, मंगल ग्रह पर पानी का सबसे पुराना साक्ष्य 4.45 अरब वर्ष पुराना हो सकता है। यह जानकारी मंगल ग्रह से आए उल्कापिंडों में पाए गए खनिज जिरकोन के अध्ययन से सामने आई है।

पहली बार 1970 के दशक में मंगल पर पानी के प्रमाण मिले थे, जब नासा के मेरिनर 9 अंतरिक्ष यान ने नदी घाटियों की तस्वीरें लीं। इसके बाद, मार्स ग्लोबल सर्वेयर और मार्स एक्सप्रेस जैसे मिशनों ने सतह पर हाइड्रेटेड क्ले मिनरल्स की मौजूदगी का खुलासा किया। ये खनिज पानी की उपस्थिति का संकेत देते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि मंगल ग्रह पर पहले एक वैश्विक महासागर हो सकता था, जो ग्रह की सतह के बनने के तुरंत बाद मौजूद था।

मंगल ग्रह पर पानी की खोज तीन तरीकों से की गई है:

1. सतह पर परिक्रमा करने वाले अंतरिक्ष यानों के अवलोकन।
2. जमीन पर मंगल रोवर द्वारा जुटाई गई जानकारी।
3. पृथ्वी पर गिरे मंगल ग्रह के उल्कापिंडों का अध्ययन।

हालिया अध्ययन से यह भी संकेत मिलता है कि 4.45 अरब वर्ष पहले मंगल पर मैग्माटिक हाइड्रोथर्मल प्रणालियां सक्रिय थीं। इससे यह स्पष्ट होता है कि मंगल ग्रह की सतह पर उसके बनने के कुछ समय बाद पानी मौजूद था। बता दे, इस नई खोज के बाद यह सवाल और मजबूत हो गया है कि क्या मंगल ग्रह पर कभी जीवन था। वैज्ञानिकों की इस बड़ी सफलता ने मंगल पर भविष्य में मानव मिशनों और जीवन की संभावनाओं को नई दिशा दी है।

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