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विद्युत उपभोक्ताओं को गलत व फर्जी बिल भेजना आपराधिक कृत्य, सरकार से जवाब तलब !

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने विद्युत उपभोक्ताओं (Electrical Consumers) को गलत और फर्जी बिल भेजने पर आपराधिक कृत्य बताते हुए जवाब तलब किया है। इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विद्युत आपूर्ति नियमावली 2005 की बिजली चोरी होने के मामलों के निस्तारण के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया से संबंधित नियमों को विद्युत नियामक आयोग द्वारा बनाए जाने को चुनौती देने वाली याचिका पर यूपी सरकार से जवाब मांगा है। इस मामले में कोर्ट का कहना है कि, सरकार चार सप्ताह में जवाब दाखिल करे।

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कोर्ट का कहना है कि, फर्जी बिल बनाकर वसूली करना उपभोक्ताओं के खिलाफ प्रतिवादियों का अवैध और मनमाना रवैया हो गया है। यह उपभोक्ताओं के संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का हनन है। कोर्ट ने मामले में 6 सवाल खड़े करते हुए ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने को कहा है। इसके साथ ही मामले में 14 मार्च की तिथि निश्चित की गई है।

यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता और न्यायमूर्ति सैयद कमर हसन रिजवी ने पवन कुमार केसरी की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। ऐसे में अधिवक्ता ने कहा है कि, विद्युत आपूर्ति नियमावली में यह अधिकार राज्य सरकार (State government) के पास है।

 

हालांकि, नियमों को विद्युत नियामक आयोग ने बना दिया है। यह राज्य सरकार के अधिकारों का अपहरण है और गलत है। विद्युत नियामक आयोग नियम नहीं बना सकता है। याची ने नियमावली की धारा 6 ,8 और 8.1 को चुनौती दी है। इस मामले पर कोर्ट ने जवाब दाखिल करने के लिए कहा है।

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