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शांति निकेतन: एक कस्बे से विश्व धरोहर बनने तक का सफ़र !

शांति निकेतन को UNESCO की वर्ल्ड हेरिटेज साइट की लिस्ट में शामिल किया गया है। रविवार को सऊदी अरब में वर्ल्ड हेरिटेज कमिटी के 45 वें सत्र की बैठक थी। जिसमें शांति निकेतन को वर्ल्ड हेरिटेज लिस्ट में शामिल करने का फैसला किया गया। शांति निकेतन पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में बोलपुर के निकट एक छोटा शहर है। यह कोलकाता से लगभग 180 किलोमीटर उत्तर में स्थित है। जिसे प्रसिद्ध नोबेल पुरस्कार विजेता रवीन्द्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) ने विश्व प्रसिद्ध बनाया। टैगोर ने यहाँ विश्वभारती विश्वविद्यालय (University) की स्थापना की। यह शहर प्रत्येक वर्ष हजारों पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यहां टैगोर ने अपनी कई साहित्यिक कृतियाँ यहाँ लिखीं। साथ ही यहाँ स्थित रवीन्द्रनाथ टैगोर का घर ऐतिहासिक महत्व रखता है।

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क्या है शांति निकेतन का इतिहास ?

विकिपीडिया के अनुसार रवीन्द्रनाथ के पिता देवेंद्रनाथ टैगोर ने वर्ष 1863 में सात एकड़ जमीन पर एक आश्रम की स्थापना की। जो आज विश्वभारती के नाम से जाना जाता है। रवीन्द्रनाथ ने 1901 में सिर्फ पांच छात्रों को लेकर यहां एक आवासीय स्कूल खोला। इन पांच लोगों में उनका अपना पुत्र भी शामिल था। आगे 1919 में उन्होंने कला के एक स्कूल ‘कला भवन’ की नींव रखी। यह प्राचीन भारतीय परंपराओं और धार्मिक और सांस्कृतिक सीमाओं से परे मानवता की एकता की दृष्टि पर आधारित था।

मानवता की एकता या “विश्व भारती” को मान्यता देते हुए 1921 में शांतिनिकेतन में एक ‘विश्व विश्वविद्यालय’ की स्थापना की गई थी। 20वीं सदी की शुरुआत के प्रचलित ब्रिटिश औपनिवेशिक वास्तुशिल्प अभिविन्यास और यूरोपीय आधुनिकतावाद से अलग, शांतिनिकेतन एक पैन-एशियाई आधुनिकता की ओर दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करता है। जो पूरे क्षेत्र की प्राचीन, मध्ययुगीन और लोक परंपराओं पर आधारित है। राष्ट्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त विश्वभारती में आज हजारों छात्र पढ़ते हैं।

 

बंगाल के इतिहास और संस्कृति से है गहरा जुड़ाव।

शांतिनिकेतन शहर को कामकाज की भाषा में बोलपुर कहा जाता है। इसे हेरिटेज लिस्ट में शामिल करने की कोशिशें तो 2010 में ही शुरू हुईं थी। बीती मई में रवींद्र जयंती के मौक़े शांति निकेतन को विश्व धरोहर का दर्जा मिलने बताय पर आशंका जताई जा रही थी। बंगाल के इतिहास और संस्कृति की बात की जाए तो, शांति निकेतन के जिक्र के बिना यह अधूरी है। शांति निकेतन का नाम बंगाल के इतिहास और संस्कृति से काफ़ी गहरे जुड़ा है। इस खबर पर पीएम मोदी और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने खुशी जताई है।

 

Rabindranath Tagore के पिता का बड़ा सहयोग।

आपको बता दें कि इस शहर की स्थापना रवींद्रनाथ के पिता महर्षि देवेंद्र नाथ टैगोर ने 1863 में की थी। इस जगह को तब भुवनडांगा के नाम से जाना जाता था। बताया जाता है कि उन्होंने यहां करीब 20 एकड़ जमीन सालाना पांच रुपए की लीज पर ली। जिसके बाद यहां एक आश्रम की स्थापना की गयी। देवेंद्रनाथ ने उस आश्रम का नाम शांति निकेतन रखा। उसी के आधार पर धीरे-धीरे यह इलाक़ा शांति निकेतन के नाम से मशहूर हो गया। बीसवीं सदी की शुरुआत में यह जगह धीरे-धीरे राज्य की कला और संस्कृति के केंद्र के तौर पर उभरने लगा। यहां आयोजित होने वाला पौष मेला और होली उत्सव पूरी दुनिया में काफी मशहूर हैं। विश्व भारती यूनिवर्सिटी ने इस स्थान को एक अलग प्रसिद्धि दिलवाई। धीरे-धीरे यह एक महत्वपूर्ण पर्यटन क्षेत्र बन गया।

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