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कश्मीरी पंडितों को मिलेगा इंसाफ, 3 दशक बाद खुलेगी जस्टिस नीलकंठ गंजू हत्या की फ़ाइल !

Retired Judge Neelkanth Ganjoo case: अब कश्मीरी पंडितों को इंसाफ मिलने की आशा की जा रही है। एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए 34 साल बाद 1989-90 के कश्मीरी हिन्दू नरसंहार के मामलों को एक बार फिर से खोलने का फैसला किया गया है। दरअसल, दोबारा खोले जा रहे मामलों में पहला केस रिटायर्ड जज नीलकंठ गंजू से जुड़ा है। जिनकी हत्या यासीन मालिक के जेकेएलएफ आतंकवादियों ने 4 नवंबर 1989 को श्रीनगर में कर दी गयी थी। जज गंजू ने जेकेएलएफ आतंकी मकबूल बट को फांसी की सजा सुनाई थी। आतंकी मकबूल को ये सजा ब्रिटेन में भारतीय राजनयिक रवींद्र महात्रे की हत्या में दोषी सिद्ध होने के बाद सुनाई थी।

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तीन दशक पहले सेवानिवृत्त न्यायाधीश की हत्या के पीछे बड़ी आपराधिक साजिश की आशंका जताई गयी थी। इसी का पता लगाने के लिए जम्मू-कश्मीर पुलिस की जांच एजेंसी ने नए सिरे से तफ्सीश शुरू कर दी है। जम्मू-कश्मीर की राज्य एजेंसी (SIA) ने एक विज्ञप्ति जारी की है। जिसमें हत्याकांड के तथ्यों और परिस्तिथियों से परिचित सभी लोगों से जानकारी साझा करने की अपील की गयी है।

आपको बता दें कि रिटायरमेंट के बाद चार नवंबर 1989 को जस्टिस गंजू की आतंकियों ने गोली मारकर हत्‍या कर दी थी। जस्टिस गंजू ने साल 1968 में जम्‍मू-कश्‍मीर लिब्रेशन फ्रंट के लीडर मकबूल बट को मौत की सजा सुनाई थी l इसी कारण आतंकियों ने न्यायाधीश गंजू की हत्या कर दी थी। इसी संबंध में एसआईए ने गंजू हत्या मामले के सभी तथ्यों जानने के लिए इसकी जानकारी रखने वालों से अपील की है। अपील की गयी है कि वे आगे आएं और उन घटनाओं का विवरण साझा करें। जिनका प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से तत्काल मामलों की जांच पर असर हो। साथ भी ये भी कहा गया है कि जानकारी देने वालों की पहचान छुपा कर रखी जायेगी।

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