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वृद्धाश्रम में रहकर लिख दीं 400 किताबें, 80 करोड़ छीन बेटे-बेटी ने घर से निकाला

एक 80 करोड़ का मालिक वृद्धाश्रम में रहने को मजबूर है। आखिर क्यों? वृद्धाश्रम में रहते हुए इन्होंने 400 किताबें लिख दीं। काशी में जन्मे श्रीनाथ खंडेलवाल अब 80 साल के हैं। गुलाम भारत में पैदा हुए खंडेलवाल ने 15 साल की उम्र में कलम पकड़ ली थी।

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श्रीनाथ खंडेलवाल ने बताते हैं, ’10वीं फेल हूं और 15 साल की उम्र से किताबें लिख रहा हूं। ज्यादातर किताबें अन्य किताबों और पुराणों का ट्रांसलेशन है। इसमें मुझे महारथ है। अभी तक 400 किताबें लिख चुका हूं। जिनमें कई पुराण भी हैं। शिव पुराण के 5 वॉल्यूम हैं, जो ऑनलाइन हैं। उसकी कीमत 6 हजार से ज्यादा है। ऐसी ही सैकड़ों किताबें ऑनलाइन हैं, लेकिन फिर भी घर से बेघर हूं।’

 

80 करोड़ ले लिए और बेघर कर दिया

जब लोग इंटरनेट की दुनिया से ज्यादा वाकिफ नहीं थे, उस वक्त से मेरी किताबें ऑनलाइन थीं। लेकिन, आज वृद्धाश्रम में हूँ। 400 किताबों को लिखने वाला काशी का यह लेखक आखिर वृद्धाश्रम में क्या कर रहा है? उनका बड़ा बेटा बिजनेसमैन और बेटी सुप्रीम कोर्ट में वकील है। एसएन खंडेलवाल की मानें, तो दामाद भी वकील हैं और उनके पास करीब 80 करोड़ की प्रॉपर्टी है। इनका कहना है कि इनके बेटे बेटियों ने इनकी 80 करोड़ की संपत्ति हड़प ली और इन्हें वृद्धाश्रम में रहने को मजबूर कर दिया।

बेटे-बेटी ने कहा, फेंक देना इसे

दुखी होकर वे कहते हैं, ‘हमारी सारी जायदाद छीनकर निकाल दिया। बस यही दर्द है। मेरा बेटा बड़ा बिजनेसमैन है और बेटी सुप्रीम कोर्ट में वकील है। दामाद भी वकील है। हमारी इस समय 80 करोड़ की प्रॉपर्टी है। लेकिन, जब हम बीमार हुए तो घर से बाहर निकालकर कहा, ले जाना कहीं फेंक देना इसे। वापस मत लाना।’

 

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