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HIV दवाइयां बंद करने से हो सकता है इम्यून सिस्टम पर गंभीर असर, जानिए क्या होंगे परिणाम ?

एचआईवी (ह्यूमन इम्यूनोडेफिशियेंसी वायरस) के मरीजों के लिए उनकी दवाइयां लेना अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि इन दवाओं के बिना शरीर पर गंभीर असर हो सकता है। जब एचआईवी उपचार को रोका जाता है, तो मरीज का इम्यून सिस्टम कमजोर पड़ने लगता है, जिससे शरीर में विभिन्न प्रकार की जानलेवा बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

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विशेषज्ञों का कहना है कि एचआईवी के मरीजों के लिए उनकी नियमित दवाइयां जीवन रक्षक होती हैं। यदि दवाइयां लेना बंद कर दिया जाए, तो इम्यून सिस्टम को भारी नुकसान होता है, जिससे वह शरीर को बीमारी से बचाने में असमर्थ हो जाता है। इसके परिणामस्वरूप मरीजों को फंगल इंफेक्शन, निमोनिया, साल्मोनेला, और ट्यूबरकुलोसिस (टीबी) जैसी गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है।

संयुक्त राष्ट्र एड्स एजेंसी के उप कार्यकारी निदेशक क्रिस्टीन स्टेगलिंग के अनुसार, अमेरिकी सरकार द्वारा विदेशी सहायता फंड पर रोक लगाने के कारण एचआईवी उपचार कार्यक्रमों पर प्रभाव पड़ा है, जिससे दुनियाभर में कई मरीजों को इलाज में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (CDC) के मुताबिक, एचआईवी उपचार के बिना एड्स से पीड़ित लोग सामान्य रूप से केवल तीन साल तक जीवित रहते हैं। इस स्थिति में शरीर का इम्यून सिस्टम पूरी तरह से कमजोर हो जाता है, जिससे हर प्रकार के संक्रमण का खतरा अधिक बढ़ जाता है।

इसलिए, एचआईवी के मरीजों को उपचार में कोई भी लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए, क्योंकि दवाइयों की नियमित खुराक न लेने से न केवल उनका इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है, बल्कि उनकी जान भी जा सकती है।

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