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महिला आरक्षण विधेयक की पूरी राजनीतिक कहानी , जाने यहाँ

Mahila Aarakshan Bill: देश में नरेंद्र मोदी सरकार ने 27 सालो से महिला आरक्षण बिल को लागु कर दिया है। इस बिल को पास करवाने की कोशिशें पूर्व प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल से लेकर अटल बिहारी बाजपेय तक ने की थी , लेकिन वो 27 सालों तक यह किसी न किसी कारण से अटका रहा.

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अब 2024 का लोकसभा चुना चुनाव होने हैं तो वही सरकार अब आधी आबादी को खुश करने की भी तमाम कोशिशें कर रही है तो वही विपक्ष का कहना है इस बिल को पास करवाकर बीजेपी महिलाओं की आधी आबादी को खुश करने के साथ ही इंडिया गठबंधन में भी फूट डालना चाहती है, क्योंकि इस बिल के प्रस्ताव के विरोध में नीतीश कुमार, लालू प्रसाद और अखिलेश यादव की पार्टियां हमेशा से ही रही हैं.

 

महिला आरक्षण बिल को 1996 में तैयार किया गया था. हालांकि शुरू से ही इस बिल को लेकर विवाद रहा. पहली बार में विरोधी नेताओं ने इसे पेश नहीं होने दिया. पूर्व प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल ने फिर पेश करने की कोशिशें कीं. हालांकि इसमें उनकी ही पार्टी ने साथ नहीं दिया.

 

जिसके बाद 1998 में ही पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने भी बिल को लोगू करने की कोशिश की लेकिन हो नहीं पाया तब समाजवादी पार्टी के नेताओं ने इसका कड़ा विरोध किया. फिर साल 2000 में कानून मंत्री राम जेठमलानी ये बिल पेश करने में तो सफल रहे लेकिन उस वक्त भी वो इसे पास नहीं करवा पाए. 2002 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इस बिल के पक्ष में फिर एक बैठक बुलाई लेकिन उस वक्त भी इस पर सहमति नहीं बन पाई, यूपीए सरकार में भी इस बिल को पास कराने की तमाम कोशिशें की गईं लेकिन वो भी राज्यसभा में इसे पास नहीं करवा पाई. क्योंकि मुलायम सिंह यादव की सपा और लालू यादव की आरजेडी इसमें ओबीसी आरक्षण की मांग पर अड़ी रही.

 

 

लोकसभा में क्या होंगे बदलाव
अब इस बिल के पास होने के बाद भारत की लोकसभा में महिला सदस्यों की संख्या 82 से बढ़कर 181 हो जाएगी. फिलहाल इस बिल में ओबीसी आरक्षण की अलग से कोई व्यवस्था नहीं है. हालांकि ओबीसी आरक्षण की मांग के लिए ही ये बिल इतने समय से लटका हुआ था. आपको बता दें ये बिल 15 साल के लिए ही लाया गया है. उसके बाद इसे जारी रखने के लिए फिर से इसे पेश करना होगा.

 

 

अगर .2019 में हुए लोकसभा चुनाव पर नजर डालें तो पूरे देश में 724 महिलाओं उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था. जिनमें सबसे ज्यादा महिला कैंडिडेट कांग्रेस से थीं. कांग्रेस ने 54 महिलाओं को मैदान में उतारा था. वहीं बीजेपी ने 53 महिला उम्मीद्वारों को टिकट दिया था. इसके अलावा पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश से 11-11 महिलाएं जीतकर लोकसभा पहुंची थीं

 

बिहार में क्या है महिला सांसदों का आंकड़ा
बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं लेकिन फिलहाल वहां से 10 फीसदी महिला सांसद भी लोकसभा में नहीं हैं. 2019 में बिहार से 3 महिलाएं चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंची थीं. जिनमें बीजेपी, जेडीयू और लोजपा की 1-1 महिला सांसद शामिल हैं.

 

उत्तर प्रदेश में सीटों की संख्या
उत्तर प्रदेश में लोकसभा सीटों की संख्या 80 है . वहां मौजूदा लोकसभा में 11 महिला सांसद हैं. 2019 में उत्तर प्रदेश में कुल 104 महिलाएं चुनावी मैदान में उतरी थीं. जिनमें से कांग्रेस की 12 महिला कैंडिडेट, बीजेपी की 10 और अपना दल की 1, सपा की 6 और बसपा की 4 महिला कैंडिडेट शामिल थीं.

 

2024 चुनाव में बीजेपी को मिलेगा फायदा?

वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान का भी मानना है कि बीजेपी को इस कदम से चुनाव में फायदा मिलेगा.उन्होंने आगे कहा, “वहीं विधानसभा में तो इसका ज्यादा असर नहीं दिखेगा, लेकिन बीजेपी लोकसभा चुनाव में नए कैंडिडेट को लाकर पार्टी में एक नयापन लाने की जरूर कोशिश करेगी. ऐसे में महिला आरक्षण बिल को देखते हुए महिला कैंडिडेट्स को चेहरा बनाया जा सकता है और पार्टी में नयापन दिखाया जा सकता है.”

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