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सूर्य मिशन आदित्य-एल1 सेल्फी ने ली सेल्फी, पृथ्वी और चंद्रमा की भेजी तस्वीरें !

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा ट्विटर पर एक तस्वीर साझा की, जिसे आदित्य-एल1 ने क्लिक किया था। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा एक वीडियो साझा किया गया। जिसमें सूर्य के प्रकाश से प्रकाशित पृथ्वी के एक गोलार्ध की छवि है। जिसके साथ-साथ एक सफेद धब्बा भी दिखाया गया है, जिसे एजेंसी ने चंद्रमा बताया है।

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आदित्य-एल1 ने पृथ्वी और चंद्रमा की तस्वीरें भेजीं।

भारत के महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष यान मिशन, आदित्य-एल1 ने आज यानी गुरूवार को पृथ्वी और चंद्रमा की तस्वीरें भेजीं। आदित्य-एल1 ने यह तस्वीरें अपने गंतव्य लैग्रेंजियन पॉइंट (एल1) की ओर बढ़ते हुए भेजी। यह पॉइंट पृथ्वी से 1.5 मिलियन किमी दूर स्थित है। तस्वीरें इसरो द्वारा ट्विटर पर एक सेल्फी के साथ साझा की गईं, जिसे आदित्य-एल1 ने क्लिक किया था।

सूर्य का अध्ययन करने के लिए भारत ने अपना पहला मिशन, आदित्य-एल1 भेजा है। जो पृथ्वी के चारों ओर अण्डाकार कक्षा से जहां यह वर्तमान में मौजूद है। स्वयं के साथ-साथ पृथ्वी और दूर के चंद्रमा की तस्वीरें ली हैं। ISRO ने गुरुवार सुबह एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा, “सूर्य-पृथ्वी एल1 बिंदु के लिए नियत आदित्य-एल1, पृथ्वी और चंद्रमा की सेल्फी और तस्वीरें लेता है।

सूर्य के साथ साथ अंतरिक्ष का भी अध्ययन करेगा।

अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा पोस्ट किए गए वीडियो में उसके ऑनबोर्ड कैमरे द्वारा कैप्चर की गई अंतरिक्ष यान के एक हिस्से की छवि दिखाई गई है। जिसमें मिशन द्वारा किए जा रहे दो मुख्य विज्ञान प्रयोग दिखाए गए हैं। यह विज़िबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (वीईएलसी) दिखाता है। जो सौर कोरोना का अध्ययन करेगा। जिसमें बहुत सी आंतरिक परतें भी शामिल होंगी। जिनका अध्ययन अन्य मिशनों द्वारा नहीं किया गया है। साथ ही सौर पराबैंगनी इमेजिंग टेलीस्कोप (एसयूआईटी) जो सौर वातावरण की विभिन्न परतों का अध्ययन करेगा। छोटी UV तरंगदैर्घ्य जिनका पृथ्वी से पता लगाना संभव नहीं है।

वीडियो में सूर्य के प्रकाश से प्रकाशित पृथ्वी के एक गोलार्ध की छवि के साथ-साथ एक छोटा सफेद धब्बा भी दिखाया गया था। जिसे अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा चंद्रमा के रूप में इंगित करना था। अंतरिक्ष यान वर्तमान में अपनी कक्षा के साथ-साथ वेग को बढ़ाने के लिए एक श्रृंखला से गुजर रहा है। जब तक कि यह अंततः सूर्य की ओर नहीं जा सकता। आदित्य L1, 5 सितंबर को पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगता हुआ गुजरा, और 282 किमी x 40,225 किमी की कक्षा तक पहुंच गया।

 

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