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युवती ने रचाया भगवान शिव से विवाह, शिवलिंग को रथ पर सवार कर निकली बरात..!!

झांसी : एक अनोखी शादी की तस्वीरें सामने आयी है। रविवार को एक युवती ने सावन के महीने में भगवान शिव के साथ सभी रस्मों-रिवाजों के साथ शादी की। इस अनोखी शादी में सब कुछ अन्य शादियों के जैसा ही था, लेकिन दूल्हे की जगह भगवान शिव का शिवलिंग था। बाराती दूल्हे की तरह सजाकर भगवान शिव का शिवलिंग लेकर लड़की के घर पहुंचे। जिसके बाद दुल्हन गोल्डी ने उन्हें वरमाला पहनाई और सभी रस्मों को निभाते हुए भगवान शिव को अपना जीवन साथी बना लिया।

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मेरा पूरा जीवन भगवान शिव को समर्पित है।

दुल्हन गोल्डी ने बोला कि मेरा पूरा जीवन भगवान शिव को समर्पित है। इस अनोखे विवाह में हल्दी, संगीत वरमाला से लेकर प्रत्येक रस्में निभायी गयी। बरात के साथ सेहरा बांधे भगवान शिव दूल्हे के रूप में लड़की के घर पहुंचे और धूमधाम से शादी संपन्न हुई। इस अनोखी शादी को देखने के लिए इतनी भीड़ पहुंची कि कुर्सियां काम पद गयी। इस शादी में पहुंचे लोगों के लिए भोज का भी आयोजन किया गया था।

शादी के लिए छपवाए गए निमंत्रण कार्ड ।

आपको बता दें कि इस शादी के लिए बाकायदा निमंत्रण कार्ड भी छपवाए गए थे जिन्हे सभी रिश्तेदारों तथा दोस्तों को बाटा गया था। शादी के दो दिन पहले लड़की के घर हल्दी का आयोजन हुआ था जिसमे घर की महिलाओं ने लड़की पर हल्दी चढ़ाई। इसके बाद रात्रि को गीतांजलि विवाह घर में भगवान शिव और गोल्डी का विवाह संपन्न हुआ।

सेहरा बांधे भगवान शिव दूल्हे के रूप में पहुंचे लड़की के घर।

दूल्हे रुपी भगवान शिव के शिवलिंग को सत्यम कालोनी स्तिथ ब्रह्मकुमारी आश्रम द्वारा रथ पर सवार किया गया। बरात के लड़की के घर पहुंचने पर लड़कीवालों ने शिवलिंग को टीका कर घर में स्वागत किया। इस शादी में पहुंचे मेहमानो के लिए भोजन का भी आयोजन था। इसके अलावा दुल्हन को उसके माता-पिता ने कपडे, बर्तन आदि उपहार भी भेंट किया। गोल्डी का कहना है कि अब वो भगवान शिव के साथ ब्रह्मकुमारी आश्रम में रहूंगी और जीवन पर समाज की सेवा करुँगी।

समाज सेवा भाव से किया भगवान शिव से विवाह ।

महानगर में अन्नपूर्णा कॉलोनी निवासी गोल्डी (27 वर्ष) बताती है कि जब वो 10 वर्ष की आयु की थी तभी उनके माता-पिता ने उन्हें पढ़ाई के लिए ब्रह्मकुमारी हॉस्टल भेज दिया था जहां उन्होंने ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई की। इसके साथ ही वहां पर उनकी आध्यात्मिक पढ़ाई भी हुई और उनका मन समाज सेवा में लगने लगा। 2016 में बीकॉम करने के बाद वो ब्रह्मकुमारी आश्रम में ही रहने लगी। गोल्डी ने आगे बताया कि ब्रह्मकुमारी आश्रम में उन्होंने देखा कि अन्य बहने अपना पूरा जीवन भगवान को समर्पित कर समाज सेवा में लगाती थी। उन्ही को देखकर गोल्डी ने भी दो माह पूर्व ही भगवान शिव से विवाह करने का फैसला लिया। जिसके लिए उनके माता-पिता ने पूरा समर्थन किया।

गोल्डी वो कन्या है, जो 21 कुल का उद्धार करने वाली है।

गोल्डी के पिता बलराम रायकवार बबीना के डाकघर में उप डाकपाल के पद पर कार्यरत हैं जबकि माँ किरण हाउस वाइफ हैं। गोल्डी का एक बड़ा भाई और दो छोटी बहने हैं। इस शादी में भोपाल ज़ोन की निर्देशिका राजयोगिका ब्रह्मकुमारी अवधेश दीदी का कहना है कि शादी के बाद कन्या एक कुल को संभालती है। लेकिन गोल्डी वो कन्या है, जो 21 कुल का उद्धार करने वाली है।

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