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रेप पीड़िता के अबॉर्शन की इजाजत पर सुप्रीम कोर्ट ने लगायी गुजरात हाईकोर्ट को फटकार !

गुजरात की एक 25 वर्षीय युवती के साथ इसी साल जनवरी में रेप हुआ था। जिसके बाद वह प्रेग्नेंट हो गयी थी। महिला अबॉर्शन कराना चाहती थी, जिसके लिए उसने गुजरात हाईकोर्ट में अर्जी दी थी। मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ़ प्रेग्नेंसी (MTP) एक्ट के तहत, 24 हफ्ते से अधिक प्रेग्नेंसी को अबॉर्ट कराने के लिए हाईकोर्ट से इजाजत लेनी होती है। जिसके कारण पीड़ित महिला ने हाईकोर्ट का रुक किया था। मगर वहां से उसकी इस याचिका कको खारिज कर दिया गया। जिसके बाद पीड़ित महिला ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इस सब में समय निकलता गया और महिला अब 28 हफ्ते की प्रेग्नेंट है।

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संवेदनशील मामले में हाईकोर्ट की लापरवाही पर लगाई फटकार

महिला शनिवार, 19 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट पहुंची। छुट्टी के बावजूद मामले की गंभीरता को समझते हुए जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्जल भुइयां की स्पेशल बेंच ने मामले की सुनवाई की। कोर्ट ने महिला की फ्रेश मेडिकल रिपोर्ट कराने का आर्डर दिया था, जिसे रविवार को सौपा गया। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद पीड़ित महिला को अबॉर्शन की अनुमति दे दी। इसके साथ ही इतने संवेदनशील मामले में हाईकोर्ट की लापरवाही पर फटकार भी लगाई।

ऐसे मामलों में एक-एक दिन अहम होता है- जस्टिस नागरत्ना

दरअसल, गुजरात हाईकोर्ट ने महिला के अबॉर्शन की याचिका को 17 अगस्त को खारिज कर दी थी। हालांकि इस आर्डर की कोई कॉपी जारी नहीं की गई थी। इसके बाद महिला 19 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट पहुंची। 19 अगस्त को सुनवाई के दौरान जस्टिस नागरत्ना ने गुजरात हाईकोर्ट को फटकार लगाई। नागरत्ना ने कहा ऐसे मामलों में एक-एक दिन अहम होता है, तो सुनवाई की तारीख क्यों टाली गई? आपको बता दें कि गुजरात हाईकोर्ट ने 11 अगस्त इस केस की तत्काल सुनवाई न करते हुए अगली तारीख 12 दिन बाद की दी थी।

कोर्ट ने सुनवाई के लिए 12 दिन बाद की तारीख दी।

जानकारी के अनुसार, हाईकोर्ट में केस दायर करते समय पीड़िता 26 हफ्ते की प्रेग्नेंट थी। इस समय पीड़िता 28 हफ्ते की प्रेग्नेंट है। पीड़िता ने 7 अगस्त को हाईकोर्ट को अप्रोच किया था, जिसके अगले दिन 8 अगस्त को सुनवाई हुई। मेडिकल रिपोर्ट के बाद, 11 अगस्त को याचिका मजूर की गई। लेकिन इसके बाद कोर्ट ने सुनवाई के लिए 12 दिन बाद की तारीख दी। जिसके बाद 17 अगस्त को बिना कारण बताये ही केस स्टेटस रिजेक्ट दिखाया गया। इस सब में एक हफ्ता चला गया।

इस पर जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि कोई भी अदालत ऐसे कैसे कर सकती है। सुनवाई की तारीख 12 दिन बाद रखने में कितना कीमती समय बरबाद हुआ। और साथ ही अभी तक 17 को जारी आदेश की कॉपी अपलोड नहीं की गई। हम सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटरी को गुजरात के रजिस्ट्रार जनरल से पूछताछ करने का निर्देश देते हैं।

 

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