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UP निकाय चुनाव का रास्ता साफ, OBC आरक्षण रद्द, तत्काल चुनाव कराने के निर्देश

उत्तर प्रदेश में होने वाले नगर निकाय चुनाव को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने अहम फैसला सुनाते हुए ओबीसी आरक्षण को रद्द कर दिया है। साथ ही तत्काल चुनाव कराने के निर्देश भी जारी कर दिए हैं। इसके साथ ही अब यूपी निकाय चुनाव का रास्ता साफ हो गया है।

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फैसले के अनुसार, निकाय चुनाव बिना ओबीसी आरक्षण के होंगे। इससे चुनाव कराने का रास्ता साफ हो गया है। कोर्ट ने इस मामले में लगातार सुनवाई चलते रहने के कारण राज्य निर्वाचन आयोग के अधिसूचना जारी करने पर रोक लगाई थी। कोर्ट ने अब कहा है कि जब तक ट्रिपल टेस्ट न हो तब तक ओबीसी आरक्षण नहीं होगा। इसके साथ ही कोर्ट ने बिना आरक्षण के तत्काल चुनाव कराने के निर्देश दिए।

 

31 दिसंबर तक ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया पूरी करे सरकार

ऐसे में अब साफ हो गया है कि ओबीसी के लिए आरक्षित सभी सीटें अब जनरल मानी जाएंगी। हाई कोर्ट ने कहा है कि ओबीसी को आरक्षण देने के लिए एक आयोग बनाया जाए। हाई कोर्ट ने सरकार को 31 दिसंबर तक का समय दिया है कि वह ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया पूरी करे। ऐसे में सरकार के पास ट्रिपल टेस्ट और रैपिड सर्वे के लिए बेहद कम समय बचा है।

 

याचिका में ये कहा गया था

इस मामले में याची पक्ष ने कहा था कि निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण एक प्रकार का राजनीतिक आरक्षण है। इसका सामाजिक, आर्थिक अथवा शैक्षिक पिछड़ेपन से कोई लेना देना नहीं है। ऐसे में ओबीसी आरक्षण तय किए जाने से पहले सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई व्यवस्था के तहत डेडिकेटेड कमेटी द्वारा ट्रिपल टेस्ट कराना अनिवार्य है।

 

सरकार ने कोर्ट में ये कहा था

इस राज्य सरकार ने दाखिल किए गए अपने जवाबी हलफनामे में कहा था कि स्थानीय निकाय चुनाव मामले में 2017 में हुए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के सर्वे को आरक्षण का आधार माना जाए। सरकार ने कहा था कि इसी सर्वे को ट्रिपल टेस्ट माना जाए। सरकार ने ये भी कहा था कि ट्रांसजेंडर्स को चुनाव में आरक्षण नहीं दिया जा सकता। सुनवाई में हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा था कि किन प्रावधानों के तहत निकायों में प्रशासकों की नियुक्ति की गई है? इस पर सरकार ने कहा कि 5 दिसंबर 2011 के हाईकोर्ट के फैसले के तहत इसका प्रावधान है।

 

जानिए रैपिड सर्वे क्या होता है
रैपिड सर्वे में जिला प्रशासन की देखरेख में नगर निकायों द्वारा वार्डवार ओबीसी वर्ग की गिनती कराई जाती है। इसके आधार पर ही ओबीसी की सीटों का निर्धारण करते हुए इनके लिए आरक्षण का प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा जाता है।

 

ट्रिपल टेस्ट क्या होता है, जानिए
नगर निकाय चुनावों में ओबीसी का आरक्षण निर्धारित करने से पहले एक आयोग का गठन किया जाता है, जो निकायों में पिछड़ेपन की प्रकृति का आकलन करता है। इसके बाद पिछड़ों के लिए सीटों के आरक्षण को प्रस्तावित होगा। दूसरे चरण में स्थानीय निकायों द्वारा ओबीसी की संख्या का परीक्षण कराया जाएगा और तीसरे चरण में शासन के स्तर पर सत्यापन होता है।

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