Hindi English Marathi Gujarati Punjabi Urdu
Hindi English Marathi Gujarati Punjabi Urdu

उत्तर प्रदेश: बिजली के निजीकरण से 50,000 संविदा कर्मियों की नौकरी पर संकट, उपभोक्ताओं पर पड़ेगा आर्थिक बोझ !

उत्तर प्रदेश में बिजली वितरण निगमों के निजीकरण का मुद्दा तूल पकड़ता जा रहा है। पूर्वांचल और दक्षिणांचल डिस्कॉम के निजीकरण से लगभग 50 हजार संविदा कर्मचारियों की नौकरी जाने की आशंका है। इसके साथ ही, मध्यांचल और पश्चिमांचल निगम में छंटनी की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है, जिससे हजारों परिवारों के सामने आजीविका का संकट खड़ा हो गया है।

- Advertisement -

संविदा कर्मियों ने जताई नाराजगी

उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन निविदा/संविदा कर्मचारी संघ ने इस फैसले का विरोध करते हुए रविवार को कृष्णानगर में सभा का आयोजन किया। संघ के महामंत्री देवेंद्र कुमार पांडेय ने कहा कि पावर कॉर्पोरेशन का यह निर्णय बिजली उद्योग में सुधार के बजाय समस्याएं बढ़ाएगा। उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों से कम वेतन पर काम कर रहे आउटसोर्स कर्मचारियों को अब बेरोजगारी का सामना करना पड़ सकता है।

उपभोक्ताओं पर पड़ेगा असर

संघ ने यह भी चेतावनी दी कि निजीकरण से केवल कर्मचारियों को ही नहीं, बल्कि उपभोक्ताओं को भी नुकसान होगा। निजी कंपनियों के आने से बिजली दरों में बढ़ोतरी की संभावना है, जिससे आम जनता पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा।

क्या है समस्या का समाधान?

संघ ने सरकार से अपील की है कि बिजली वितरण निगमों में सुधार के लिए ठोस और सार्थक कदम उठाए जाएं। उन्होंने कहा कि निजीकरण के बजाय कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान और बिजली वितरण में पारदर्शिता सुनिश्चित की जानी चाहिए।

अगले कदम पर नजरें

संघ के विरोध प्रदर्शन के बाद इस मुद्दे पर प्रशासन और पावर कॉर्पोरेशन की प्रतिक्रिया का इंतजार है। संविदा कर्मी इस फैसले को वापस लेने और अपने भविष्य की सुरक्षा की मांग कर रहे हैं।

विज्ञापन बॉक्स (विज्ञापन देने के लिए संपर्क करें)

The specified carousel is trashed.

इसे भी पढे ----

वोट जरूर करें

क्या आपको लगता है कि बॉलीवुड ड्रग्स केस में और भी कई बड़े सितारों के नाम सामने आएंगे?

View Results

Loading ... Loading ...

आज का राशिफल देखें