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Uttar Pradesh News: बिजली के निजीकरण के खिलाफ कर्मचारियों में आक्रोश, प्रदेशभर में विरोध प्रदर्शन शुरू

Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण को लेकर कर्मचारियों में भारी आक्रोश देखने को मिल रहा है। प्रदेश के पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम को निजी हाथों में सौंपने की पावर कार्पोरेशन की योजना के खिलाफ गुरुवार को राज्यभर में विरोध प्रदर्शन किए गए। शुक्रवार, 13 दिसंबर को इसे “निजीकरण विरोध दिवस” के रूप में मनाने की घोषणा की गई है।

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प्रदेशभर में विरोध प्रदर्शन और जन जागरण अभियान

गुरुवार को राज्य के विभिन्न बिजली कार्यालयों में जन जागरण कार्यक्रम आयोजित किए गए। लखनऊ स्थित हाईडिल कॉलोनी में कर्मचारियों और उनके परिवारजनों ने प्रदर्शन कर निजीकरण का विरोध किया। अभियंता संघ और विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारी इस आंदोलन में शामिल रहे।

निजीकरण विरोध दिवस की तैयारी

संघर्ष समिति ने घोषणा की है कि शुक्रवार को प्रदेश के सभी जिलों और परियोजनाओं में निजीकरण विरोध दिवस मनाया जाएगा। इसके तहत कार्यालय समय के बाद विरोध सभाएं आयोजित की जाएंगी। समिति ने पावर कार्पोरेशन प्रबंधन पर आरोप लगाया कि वह अनावश्यक रूप से निजीकरण का निर्णय लेकर औद्योगिक अशांति का माहौल बना रहा है।

निजीकरण से फायदे के बजाय नुकसान का दावा

संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम से प्रति यूनिट 4.47 रुपये मिल रहे हैं, जबकि निजी कंपनी टोरेंट से आगरा में केवल 4.36 रुपये प्रति यूनिट प्राप्त हो रहे हैं। इसके बावजूद निजीकरण का निर्णय समझ से परे है।

संपत्तियों के मूल्यांकन पर सवाल

पदाधिकारियों का कहना है कि अरबों रुपये की कीमती जमीन और परिसंपत्तियां बिना उचित मूल्यांकन के मात्र एक रुपये में निजी कंपनियों को सौंपने की योजना है। यह जनता की संपत्ति है, जिसे इस तरह सौंपना अनुचित है।

जनसंपर्क अभियान शुरू होगा

राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर्स संगठन ने घोषणा की है कि 14 से 18 दिसंबर तक निजीकरण के खिलाफ जनसंपर्क अभियान चलाया जाएगा। इस दौरान जनप्रतिनिधियों से मिलकर ज्ञापन सौंपा जाएगा और निजीकरण रोकने की अपील की जाएगी।

निजीकरण से बेहतर परिणाम देने का दावा

पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन ने अपनी बैठक में प्रस्ताव दिया कि निगमों को निजी हाथों में देने के बजाय एसोसिएशन को जिम्मेदारी दी जाए। उन्होंने दावा किया कि वे निगमों को घाटे से उबारने में सक्षम हैं।

आंदोलन की मुख्य मांगें

– निजीकरण की प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाई जाए।
– परिसंपत्तियों और जमीन का उचित मूल्यांकन हो।
– कर्मचारियों की भागीदारी से बिजली वितरण व्यवस्था को और मजबूत किया जाए।

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