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कौन हैं ईरान की जेल में कैद नरगिस मोहम्मदी..? जिन्हे मिला नोबेल पीस पुरस्कार !

साल 2023 के नोबेल शांति पुरस्कारों की घोषणा हो चुकी है। यह प्राइज ईरान की महिला पत्रकार और एक्टिविस्ट नरगिस मोहम्मदी को दिया गया है। नरगिस को यह प्राइज ईरान में महिलाओं की आजादी एवं उनके हक़ के लिए किये गए संघर्ष के लिए दिया गया है। नरगिस मोहम्मदी ने मानवाधिकारों को बढ़ावा देने और लोगों की आजादी की लड़ाई के लिए काफी लड़ाई लड़ी है। वर्तमान में 51 साल की नरगिस ईरान की एक जेल में कैद हैं। उन्हें 31 साल की जेल और 154 कोड़ों की सजा सुनायी गयी है। उन्हें ये सजा सरकार के खिलाफ प्रोपेगैंडा फैलाने के आरोप में दी गयी है। गौतलब है कि शांति का नोबेल पुरस्कार में एक मैडल, एक डिप्लोमा और 11 मिलियन स्वीडिश क्राउन की रकम दी जाती है। यह राशि भारतीय मुद्रा में 8.33 करोड़ की होती है।

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Human Rights एवं महिला हकों के लिए मिली सजा।

आपको बता दें कि नरगिस का जन्म ईरान के ज़ंजन में हुआ था। उन्होंने इमाम खुमैनी अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय से भौतिकी में डिग्री प्राप्त की और एक पेशेवर इंजीनियर बन गईं। इस दौरान उन्होंने छात्र समाचार पत्र में महिलाओं के अधिकारों का समर्थन करने वाले लेख लिखे। राजनैतिक छात्र समूह में सक्रिय होने के कारण उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। नरगिस एक पर्वतारोहण समूह में भी सक्रिय थीं, लेकिन राजनीतिक गतिविधियों के कारण बाद में उन्हें प्रतिबंधित कर दिया गया। मोहम्मदी ने कई सुधारवादी समाचार पत्रों के लिए एक पत्रकार के रूप में काम किया। उन्होंने कई पुस्तकें लिखीं जिसमें द रिफॉर्म्स, द स्ट्रेटेजी एंड द टैक्टिक्स शामिल हैं। वर्ष 2003 में वो नोबेल शांति पुरस्कार विजेता शिरीन एबादी की अध्यक्षता वाले संगठन डिफेंडर्स ऑफ ह्यूमन राइट्स सेंटर में शामिल हो गईं।

मानवाधिकार गतिविधियों की तुलना शासन को गिराने के प्रयासों से की।

नरगिस को पहली बार 1998 में ईरानी सरकार की आलोचना के लिए गिरफ्तार किया गया था। 2010 में उन्हें स्वास्थ्य में गिरावट के चलते कुछ समय के लिए रिहा कर दिया गया था। लेकिन 2011 में नरगिस पर एक बार फिर से मुकदमा चलाया गया। जिसमें उन्हें सरकार एवं राष्ट्र विरोधी कार्यों के लिए दोषी पाया गया। जिसके लिए उन्हें एक बार फिर 11 साल की सजा सुनाई गयी। जिसपर नरगिस ने कहा कि उन्होंने बार-बार मेरी मानवाधिकार गतिविधियों की तुलना शासन को गिराने के प्रयासों से की। इस सजा को साल 2012 में घटाकर छह वर्ष का कर दिया गया। जिसका दुनियाभर में काफी विरोध हुआ। जिसके बाद 31 जुलाई 2012 को मोहम्मदी को जेल से रिहा कर दिया गया।

31 अक्टूबर 2014 को दिए गए एक भाषण का वीडियो शोसल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ। जिसके परिणामस्वरूप 5 मई 2015 को नरगिस को नए आरोपों के आधार पर फिर से गिरफ्तार कर लिया गया। जिसके बाद 8 अक्टूबर 2020 को नरगिस को जेल से रिहा कर दिया गया। मार्च 2021 में, नरगिस ने ईरान में मौत की सज़ा पर ईरान मानवाधिकार वार्षिक रिपोर्ट की प्रस्तावना लिखी। जिसे “सिस्टम के खिलाफ प्रचार फैलाने” सहित आरोपों में ढाई साल की जेल और 80 कोड़े की सजा सुनाई गयी।

नरगिस ने एक किताब लिखी, जिसका नाम है व्हाइट टॉर्चर। इसमें उन्होंने ईरान की जेल में कैद महिलाओं के इंटरव्यू लिखे। 2022 में उन्हें रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (RSF) के लिए साहस पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था (सोर्स-विकिपीडिया)। आपको बता दें कि नोबेल पीस पुरस्कार की शुरुआत 1901 में हुई थी। अब तक यह सम्मान 111 लोगों और 30 संस्थाओं को मिल चुका है।

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