जीवन में जैसे सांस लेना, भोजन करना और पानी पीना आवश्यक है। वैसे ही नींद भी उतनी ही जरूरी है। जीवन में नींद के महत्व को विज्ञान और शास्त्रों में समझाया गया है कि, गलत समय पर सोना, गलत तरीके से सोना या तनाव के कारण नींद न आना व्यक्ति के लिए कितना खतरनाक साबित हो सकता है, इसके बारे में भी विस्तार से बताया गया है।
भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद नींद को जीवन का एक बेहद जरूरी हिस्सा मानता है। यह दुनिया के तमाम जानदार प्राणी की मूल प्रवृत्ति है, जीवन का सुख और दुख, पोषण, गैर-पोषण, बल और दुर्बलता, बल और प्राण, ज्ञान और अज्ञान, आयु और मृत्यु सब कुछ नींद पर निर्भर करता है।
ऐसे में अच्छी नींद लेने के लाभ के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए हर साल 17 मार्च को विश्व नींद दिवस मनाया जाता है। वर्ल्ड स्लीप डे पहली बार 2008 में वर्ल्ड स्लीप सोसाइटी (world sleep society) द्वारा आयोजित किया गया था।
अच्छी नींद लेने के लिए नींद के उन सभी तत्वों को अच्छी तरह से समझना जरूरी है, जिससे यह प्रभावित होती है।
सांस लेने का सही पैटर्न, खर्राटे लेना, सोने की सही मुद्रा, शाम की दिनचर्या तय करना।
अनुकूल शारीरिक वातावरण बनाना नींद के कुछ प्रमुख तत्व हैं. जैसे- अच्छी नींद लेने के लिए एक आदर्श स्थिति और आसन महत्वपूर्ण हैं। आयुर्वेद के मुताबिक, बायीं करवट लेकर सोना बहुत फायदेमंद होता है, क्योंकि यह परिसंचरण में सुधार करता है और पाचन और हृदय संबंधी कार्यों में सुधार करता है।
ये है सोने के नियम
- सोने से पहले व्यक्ति को हमेशा हाथ-पैर धोकर सोना चाहिए।
- कभी भी मैले या जूठे बिस्तर पर नहीं सोना चाहिए।
- सोने से पहले हमेशा बिस्तर को साफ करें ।
- कभी भी सूने या निर्जल घर में अकेले नहीं सोना चाहिए।
- इसके साथ ही कभी किसी देव मंदिर या शमशान में भी न सोएं.
- व्यक्ति को स्वस्थ शरीर और लंबी आयु के लिए बह्मा मुहूर्त में उठना चाहिए।
- ऐसे लोग जो विद्यार्थी, नौकर या द्वारपाल होते हैं, उन्हें अधिक नहीं सोना चाहिए।